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किसान दुखी रहेगा, तो अन्न खाने वाला भी दुखी रहेगा : गुरुदेव श्री श्री रविशंकर

आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित ग्रामोत्सव कार्यक्रम में 10,000 किसानों ने लिया भाग

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WD Feature Desk

Shri Shri Ravi Shankar
पुणे में आयोजित एक ऐतिहासिक सभा में, 10,000 किसान नैसर्गिक खेती की सफलता का उत्सव मनाने के लिए एकत्रित हुए और सभी ने आर्ट ऑफ लिविंग के सकारात्मक प्रभाव के लिए गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
 
आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित ग्रामोत्सव कार्यक्रम में 10,000 किसानों, 500 सरपंचों और गांवों के अन्य प्रमुख व्यक्तियों ने जमकर भाग लिया। इन सभी किसानों, सरपंचों तथा गांव के अन्य प्रमुख व्यक्तियों ने संस्था की सेवा परियोजनाओं के माध्यम से उनके जीवन में आए परिवर्तन और प्रचुरता के लिए संस्था का आभार व्यक्त किया।

आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था द्वारा महाराष्ट्र के संभाजी नगर जिले के आसपास 10,000 से अधिक आदिवासी किसानों को नैसर्गिक खेती और टिकाऊ कृषि में प्रशिक्षित किया गया है, जिससे अब वे आत्मनिर्भर हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में भी इस परियोजना का उल्लेख किया  गया था।
 
इस विशाल सभा को संबोधित करते हुए, आध्यात्मिक गुरु और मानवतावादी, गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने राज्य में किसानों की आत्महत्या की समस्या को हल करने पर बल दिया। 'हमें किसानों की आत्महत्या को रोकना है। यहां 500 सरपंच हैं। मैं आप सब से विनती करता हूं कि आपके गांव में एक भी किसान डिप्रेशन में न रहे, आप यह ज़िम्मेदारी उठाइये। हमारे स्वयंसेवक और युवाचार्य आपका साथ देंगे। मैं महाराष्ट्र सरकार से भी विनती करता हूं कि वे इसे आगे बढ़ाएं- ताकि किसान आत्महत्या न करें।' 
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गुरुदेव ने आगे कहा, 'यदि आप देखें कि एक भी किसान दुखी या तनावग्रस्त है, तो रुकें और उनसे बात करें। उनसे पूछें कि उन्हें क्या परेशानी है? हमें किसानों से कहना चाहिए कि यदि किसी को अपना जीवन न्यौछावर करना हो तो देश की सेवा में न्यौछावर करें;  आर्ट ऑफ लिविंग यही करता है- मन से नकारात्मकता के विष को दूर करने में सहायता करता है और जीवन को नया लक्ष्य देता है।' गुरुदेव ने बताया कि यदि किसान दुखी है, उसके द्वारा उत्पादित अन्न का उपभोक्ता भी स्वस्थ नहीं होगा। 
 
गुरुदेव ने ग्राम प्रधानों और अभिभावकों से यह सुनिश्चित करने की भी अपील की कि युवा और बच्चे व्यसनों और शराब से दूर रहें। 'हमें भक्ति और खुशी की लहर की आवश्यकता है जैसे संत तुकाराम और नामदेव के समय में थी।'
 
हाल ही में आर्ट ऑफ लिविंग संस्था ने महाराष्ट्र में समग्र ग्रामीण विकास के अपने प्रयासों के अंतर्गत राज्य सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। आर्ट ऑफ लिविंग संस्था समझौते के अंतर्गत महाराष्ट्र में 1.3 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में नैसर्गिक खेती को लागू कर रही है और हजारों किसानों को इसका प्रशिक्षण दे रही है। यहीं नहीं संस्था, किसानों को अपनी उपज की बिक्री के लिए सीधे बाजार की सुविधा भी प्रदान कर रही है। सीधे बाज़ार की सुविधा न केवल बिचौलियों को समाप्त कर रही है बल्कि किसानों के मुनाफे में भी वृद्धि कर रही है। 
 
कार्यक्रम में प्रमोचित की गई 'किसान टोकरी,' उपभोक्ताओं को किसानों से सीधे जोड़ती है।
 
नैसर्गिक खेती के अनगिनत लाभ हैं। महाराष्ट्र के किसान किशोर थोराट ने बताया, 'गुरुदेव की प्रेरणा से, मैं पिछले सात वर्षों से नैसर्गिक खेती कर रहा हूं। मिश्रित फसल के साथ, अब मैं प्राकृतिक रूप से उगाए जाने वाले फलों और सब्जियों की दर निर्धारित करता हूं। मैं 1 एकड़ भूमि में, 28 प्रकार के फल और 40 प्रकार की सब्जियां उगा रहा हूं। मैं प्रति वर्ष लगभग 7 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहा हूं।' नैसर्गिक खेती में प्रशिक्षित धूमलवाडी गांव के फाल्टन के एक अन्य किसान, दत्तात्रेय डुमर अपने उगाए फल पूरे भारत, दुबई और यूके में बेच रहे हैं। इसके अलावा, चूंकि वे सभी उत्पाद जैविक हैं, इसलिए रासायनिक उर्वरकों पर कोई पैसा बर्बाद नहीं होता है।
 
कार्यक्रम में उपस्थित लोकप्रिय मराठी अभिनेता और पर्यावरण कार्यकर्ता, सयाजी शिंदे ने कहा, 'आज गुरुदेव की उपस्थिति में मैंने अनुभव किया है कि जब हम सकारात्मक मानसिकता के साथ काम करते हैं तो काम कैसे सफलतापूर्वक होता है।' उन्होंने सभी को कम से कम 500 पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित कियाऔर कहा 'केवल पेड़ ही सेलिब्रिटी स्टेटस के पात्र हैं।'
 
हिवरे बाजार के सरपंच और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित पोपट राव पवार ने भी मिट्टी को स्वस्थ रखने की आवश्यकता के विषय में बात की। उन्होंने कहा, रसायन मुक्त खेती ही हमारी आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ रख सकती है। 'अगर हम त्रेता युग जैसा रामराज्य चाहते हैं, तो हमें गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी के दृष्टिकोण को लागू करना होगा और नैसर्गिक खेती को हर जगह ले जाना होगा।'
 
'आर्ट ऑफ लिविंग सोशल प्रोजेक्ट्स' तथा 'महाराष्ट्र सरकार-मनरेगा' ने जलतारा परियोजना को आगे बढ़ाते हुए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के ओएसडी श्री मंगेश चिवाटे और महाराष्ट्र मनरेगा विभाग के ओएसडी राहुल गेठे और ईजीएस मनरेगा की उप सचिव श्रीमती संजना घोपड़े भी उपस्थित रहीं।
 
आर्ट ऑफ लिविंग की जलतारा परियोजना के अंतर्गत, केवल 2 वर्षों में 115 गांवों में 45,500 जलतारा पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिससे लाखों लोगों को लाभ हुआ है। जलतारा पुनर्भरण संरचनाएं; रेत, बजरी और चट्टानों से भरी 4x4x6 पुनर्भरण संरचनाएं हैं। जब पानी बहता है तो इन संरचनाओं में रिसता है और भूजल के स्तर को रिचार्ज करता रहता है।

जलतारा संरचनाएं बाढ़ को रोकती हैं, मिट्टी के कटाव को कम करती हैं और मिट्टी में पोषण बनाए रखती हैं जिससे किसानों की फसलों का बचाव होता है। जगह-जगह पर इन संरचनाओं के कारण जहां जल स्तर में औसतन 14 फीट का सुधार हुआ है वहीं किसानों की आय में औसतन 120% से अधिक की वृद्धि हुई है और फसलों की पैदावार में भी 42% से अधिक का सुधार देखा गया है।

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