Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

भागवत धर्म प्रचार का अमृत महोत्सव

आचार्य गोविंददेव गिरी महाराजके 75 वर्ष पूर्ण होने के निमित्त उनका जीवन प्रवास व अन्य जानकारी

हमें फॉलो करें Govinda Giri Maharaj
Govinda Giri Maharaj
 - सत्येंद्र राठी
हिंदू धर्म और संस्कृति के प्राचीन ग्रंथ अर्थात चार वेद। वेद, पुराण, रामायण, महाभारत, साथ ही श्रीमद्भागवत, श्रीमद्भगद्गीता इन सबका तत्त्व ज्ञान तो हिंदू सभ्यता का पालन करने वाले आख़िरी व्यक्ति की जीवनशैली का अभिन्न अंग ही माना जाएगा। दुर्भाग्यवश अर्वाचीन समय में इस शाश्वत तत्त्व ज्ञान पर धूल पड़ी नज़र आने लगी, और दुनिया को ज्ञान का प्रकाश देने वाला हमारा भारत पिछड़ा समझा जाने लगा।
 
ऐसे में अनेक संतों ने भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में हिंदू धर्मा पताका को ऊंचा रखने का महत्वपूर्ण काम किया और ग्रंथसार को अलग-अलग जामा पहनाकर सामान्य व्यक्ति तक पहुंचाने के क्रम को जारी रखा। साथ ही अपने आचरण से इस बदलाव को जीवन क्रम में उतारने का मार्ग भी दिखलाया।
 
ऐसे संत-महात्माओं की सूची में एक अनिवार्य नाम आता है, पूजनीय आचार्य किशोरजी व्यास उर्फ गोंविददेव गिरी महाराज का।
 
अहमदनगर जिले में स्थित बेलापुर गांव में बसे प्रकांड पंडित मदनगोपाल व्यास और गुलाबदेवीके 25 जनवरी 1949 को पुत्र रत्न हुआ, जिसका नाम किशोर रखा गया। पिता जी से मिला पांडित्य और ननिहाल से विरासत में आई भगवदभक्ति, अतएव किशो रके बाल्यकाल में ही उनकी बुद्धि और वाणी की प्रतिभा से बेलापूर निवासी परिचित हो गए। एक कार्यक्रम में तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले किशोर द्वारा दिए धार्मिक भाषण को खूब सराहना मिली और 'होनहार बिरवानके होत चिकने पात' इस कहावत का सही अर्थ समझ में आया।
webdunia
लड़कपन से ही वेद, उपनिषद, पुराण, भागवत इन आध्यात्मिक ग्रंथों के वाचन और मनन से किशोर के विचारों को बल प्राप्त हुआ। पूज्य पिताजी की आज्ञा से उन्होंने सत्रह वर्ष की आयु में ही भागवत कथा पर प्रवचन करना आरंभ कर दिया।
 
बेलापूर से माध्यमिक शिक्षण पूर्ण कर आध्यात्मिक गुरु पांडुरंगशास्त्री आठवले के ठाणे स्थित तत्त्वज्ञान विद्यापीठ में जाकर किशो रने शिक्षा ग्रहण की। इसी बीच उन्होंने पुणे विद्यापीठ से तत्त्वज्ञान में स्नातक की पदवी भी प्राप्त की।
 
विश्व के समग्र तत्त्व ज्ञान का अभ्यास करने किशोर ने वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में दाख़िला लिया और विद्याभ्यास पूर्ण कर 'आचार्य' पदवी प्राप्त की।
 
स्वाध्याय परिवारके संस्थापक पांडुरंगशास्त्री आठवले के मार्गदर्शन में आचार्य किशोरजी व्यासने महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा के शहरों, देहातों में जा भागवतकथा साथ ही वेद, उपनिषद, पुराण, महाभारत, रामायण, ज्ञानेश्वरी, दासबोध आदि ग्रंथो पर व्याख्यान, प्रवचन किए। भागवत धर्म के प्रसार हेतु किशोरजी ने महर्षि वेदव्यास प्रतिष्ठान, श्रीकृष्ण सेवा निधि, गीता परिवार, संत श्री ज्ञानेश्वर गुरुकुल संस्थाओं का निर्माण किया।
 
वेद रक्षण, संत साहित्यका प्रचार, बाल संस्कार तथा गीता तत्त्वज्ञान का प्रसार इन चार आयामों पर किशोरजी का किया कार्य आज विश्वभर में फैला है।
 
वर्तमानमें वह श्री रामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष और श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
 
हिंदू तन-मन, हिंदू जीवन के उद्घोष को ही जीवन समझने वाले किशोरजी को कांची कामकोटि के शंकराचार्य, ब्रह्मलीन स्वामी जयेंद्र सरस्वतीजीने अनुग्रह दीक्षा दी। उनके अंतर्मन की रुचि और धर्मकार्य के प्रति निष्ठा को पहचानकर  महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरीजीने उन्हें संन्यास दीक्षा प्रदान की। तदपश्चात् आचार्य किशोरजीने गुरुआज्ञा शिरोधार्य मान 'गोविंददेव गिरी' नाम धारण किया।
 
उनके जीवन की अनेक उपलब्धियों में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि अयोध्याकी रामजन्मभूमिपर निर्मित राम मंदिर के निर्माण आंदोलन में सक्रिय सहभाग है। अपनी युवावस्था से इस आंदोलन से जुड़ने से लेकर करोड़ों भारतीयों द्वारा दी गई धनराशि से वैभवशाली राम मंदिर के निर्माण और रामजन्मभूमि न्यास के कोषाध्यक्ष पदका उत्तरदायित्व सामर्थ्य से संभालने तक किशोरजी इस कार्य से जुड़े हुए हैं।
 
विश्वभरके हिंदुओं ने इस मंदिर निर्माण के लिए उम्मीद से कई गुना अधिक दानराशि प्रदान की। आज उम्रके 75 वें पड़ावपर किशोरजी भागवतधर्मके प्रचारका कार्य अविरत रूपसे कर रहे हैं।
 
उनके पचहत्तर वर्ष पूर्ण होनेके निमित्त आलंदीकी वारकरी शिक्षा संस्थाके सामने वाले मैदान पर 4 फरवरी से 11 फरवरी 2024 के बीच 'गीताभक्ति अमृत महोत्सव' का आयोजन किया गया है। तिथिनुसार पौष वद्य एकादशी अर्थात् 6 फरवरी के दिन किशोरजीका जन्मदिन है। इस अवसरपर 81 कुंडीय यज्ञ, भागवतकथा, वेद-पुराण साथही ज्ञानेश्वरी, तुकाराम गाथा, दासबोध और गुलाबगौरव इन ग्रंथोका पठन किया जाने वाला है। महोत्सवमें भक्तजनोंके लिए भजन-कीर्तन और प्रवचनों का आयोजनभी किया गया है।
 
इस महोत्सव में किशोरजी द्वारा अनुगृहीत उनके विश्वभर के साधकों को तीन दिन उनके सान्निध्य में साधना करने का स्वर्णिम अवसर भी प्राप्त होगा। इस विशाल आयोजन का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत के हाथों होगा।
 
इस महोत्सव में कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती, साध्वी ऋतंभरादेवी, श्रीश्री रविशंकरजी, योगगुरु रामदेवबाबा, स्वामी राजेंद्रदासजी महाराज, ह.भ.प. बंडातात्या कराडकर, ह.भ.प.चंद्रशेखर महाराज देगलूरकर, ह.भ.प. प्रसाद महाराज अंमळनेरकर, काडसिद्धेश्वर महाराज, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उत्तर प्रदेशके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आदि गणमान्य व्यक्तिभी शामिल होंगे।
 
11 फरवरी को होने जा रहे सार्वजनिक कार्यक्र में गोविंददेव गिरी महाराजका सार्वजनिक रूप से सम्मानभी किया जाएगा। इस समारोह में भी विश्वभरसे संत-महंत और भक्त सम्मिलित होंगे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

षटतिला एकादशी 2024: आज कैसे करें काले तिल का प्रयोग, महत्व और 15 काम की बातें