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सैकड़ों बमों को किया डिफ्यूज, हजारों जान बचाने वाले जांबाज शहीद को सलाम...

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, गुरुवार, 12 मई 2016 (14:40 IST)
फिल्म अभिनेता शाहरुख खान ने 'जब तक है जान' में एक जांंबाज और निडर बम डिस्पोजल ऑफिसर की भूमिका निभाई थी। वैसे ही कारनामे करने वाले एक जाबांज अफसर थे नरेंद्र सिंह। एनएसजी से रिटायर्ड होने के बाद से ही नरेंद्र सिंह नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर के जंगलवॉर फेयर कॉलेज में बम विशेषज्ञ के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। 
218 बमों को किया डिफ्यूज : पिछले 16 साल से एनएसजी व मिजोरम के वारंगटे व जंगलवार में बम का प्रशिक्षण देने वाले नरेन्द्र को बमों के बारे में गजब की जानकारी थी। श्रीलंका में अशांति के दौर में भारत से भेजी गई शांति सेना के बम निरोधक दस्ते में भी वे शामिल थे।
 
एनएसजी से रिटायर होने के बाद वे पिछले 10 साल से कांकेर के जंगलवार कॉलेज में बम डिफ्यूज ट्रेनर के रूप में पदस्थ थे। इस दौरान उन्होंने प्रदेशभर में लगभग 218 बमों को निष्क्रिय किया। जिससे लगभग 1900 किलो विस्फोटक बरामद हुआ था। इसतरह सैकड़ों जिंदगियां बचाने वाले नरेन्द्र पूरे इलाके के हीरो बन गए थे। 
 
क्या हुआ : नरेंद्र सिंह बुधवार सुबह 8 बजे डीएसपी रैंक के कुछ नव प्रशिणक्षार्थियों को बम की तकनीक समझा रहे थे। डेमो के लिए उन्होंने जीवित बम फेंका जिसे फटना था, लेकिन नहीं फटा। उसे देखने के लिए नरेंद्र बम की ओर बढ़े और जैसे ही झुके बम फट गया।
 
उसमें से स्पिंटर तेजी से निकलकर उनके दाहिनी आंख से होते हुए सिर में जा घुसा, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल नरेंद्र सिंह को तत्काल शासकीय कोमलदेव जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। दोपहर दो बजे पोस्टमार्टम के बाद उनका शव हेलिकॉप्टर से उनके गृहग्राम डिडवाना,नागौर (राजस्थान) भेज दिया गया। 

सिर पर था देशभक्ति का जूनून: जंगलवॉर फेयर कॉलेज के डायरेक्टर ब्रिगेडियर बीएस पंवार का कहना है कि बमों के मामलों में नरेंद्र को इतनी आतुरता थी कि यदि आधी रात को भी सूचना मिले तो नरेंद्र बम डिफ्यूज करने निकल जाया करते थे।


सैकड़ों की बचाई जान: नरेंद्र सिंह कांकेर जिले के अलावा छत्तीसगढ़ के सभी नक्सल प्रभावित इलाकों में बम निकालने जाते थे। वह चाहे टिफिन बम हो, बारूदी सुरंग हो, पाइप बम हो या आईडी हर प्रकार के विस्फोटक को निष्क्रिय करने में मिलाने की महारथ हासिल थी। राजनांदगांव जिले के मदनवाड़ा में एसपी शहीद विनोद चौबे पर हुए हमले के बाद वे मदनवाड़ा गए औैर नक्सलियों द्वारा बिछाए गए बमों का जखीरा बरामद किया था।
 
नारायणपुर में तात्कालिक पुलिस अधीक्षक के एन्टी लैंड माइन व्हीकल को उड़ाने की घटना के बाद वे घटनास्थल से ही दो और बम बरामद कर अन्य बड़ी घटना को नाकाम किया था। बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों के अलावा धमतरी के रिसगांव मुठभेड़, गरियाबंद, राजनांदगांव के अलावा गढ़चिरौली तक बम बरामद करने गए। 

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