Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज की 5 अनसुनी बातें

हमें फॉलो करें श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज की 5 अनसुनी बातें

WD feature Desk

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2024: हिंदू हृदय सम्राट और मराठा साम्राज्य के विस्तारक एवं संस्थापक श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज की 19 फरवरी 2024 सोमवार को जन्म जयंती है। छत्रपति शिवाजी महाराज की रणनीति और शासन नीति की आज भी चर्चा होती है। मराठाओं का इतिहास हमेशा गर्व का इतिहास रहा है जिसमें शिवाजी महाराज और बाजीराव पेशवा का इतिहास चमकते सितारों की तरह है।
 
छत्रपति शिवाजी महाराज:-
जन्म : 19 फरवरी 1630
मृत्यु : 03 अप्रैल 1680
1. शिवाजी भोंसले : श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज का पूरा नाम शिवाजी भोंसले था। पुराने लोगों का मानना है कि शिवाजी का नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया था जबकि कुछ कहत हैं कि स्थायी देवता के नाम पर उनका नाम शिवाजी पड़ा। शिवाजी पिता शाहजी और माता जीजाबाई के पुत्र थे। उनका जन्म स्थान पुणे के पास स्थित शिवनेरी का दुर्ग है। उनका बचपन उनकी माता जिजाऊ के मार्गदर्शन में बीता। दादा कोणदेव के संरक्षण में उन्हें सभी तरह की सामयिक युद्ध आदि विधाओं में भी निपुण बनाया था।
2. बचपन में खेल खेल मे सीखा किला जीतना : बचपन में शिवाजी अपनी आयु के बालक इकट्ठे कर उनके नेता बनकर युद्ध करने और किले जीतने का खेल खेला करते थे। युवावस्था में आते ही उनका खेल वास्तविक कर्म शत्रु बनकर शत्रुओं पर आक्रमण कर उनके किले आदि भी जीतने लगे। जैसे ही शिवाजी ने पुरंदर और तोरण जैसे किलों पर अपना अधिकार जमाया, वैसे ही उनके नाम और कर्म की सारे दक्षिण में धूम मच गई, यह खबर आग की तरह आगरा और दिल्ली तक जा पहुंची। अत्याचारी किस्म के तुर्क, यवन और उनके सहायक सभी शासक उनका नाम सुनकर ही मारे डर के चिंतित होने लगे थे।
webdunia
Shivaji Maharaj
3. गुरिल्ला युद्ध के अविष्कारक : कहते हैं कि छत्रपति शिवाजी ने ही भारत में पहली बार गुरिल्ला युद्ध का आरम्भ किया था। उनकी इस युद्ध नीती से प्रेरित होकर ही वियतनामियों ने अमेरिका से जंगल जीत ली थी। इस युद्ध का उल्लेख उस काल में रचित 'शिव सूत्र' में मिलता है। गोरिल्ला युद्ध एक प्रकार का छापामार युद्ध। मोटे तौर पर छापामार युद्ध अर्धसैनिकों की टुकड़ियों अथवा अनियमित सैनिकों द्वारा शत्रुसेना के पीछे या पार्श्व में आक्रमण करके लड़े जाते हैं।
 
4. समर्थ रामदास : 'हिन्दू पद पादशाही' के संस्थापक शिवाजी के गुरु रामदासजी का नाम भारत के साधु-संतों व विद्वत समाज में सुविख्यात है। उन्होंने 'दासबोध' नामक एक ग्रन्थ की रचना भी की थी, जो मराठी भाषा में है। सम्पूर्ण भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक उन्होंने 1100 मठ तथा अखाड़े स्थापित कर स्वराज्य स्थापना के लिए जनता को तैयार करने का प्रयत्न किया। उन्हें अखाड़ों की स्थापना का श्रेय जाता है इसीलिए उन्हें भगवान हनुमानजी का अवतर माना गया जवकि वे हनुमानजी के परम भक्त थे। छत्रपति शिवाजी महाराज अपने गुरु से प्रेरणा लेकर ही कोई कार्य करते थे। छत्रपति महाराजा शिवाजी को 'महान शिवाजी' बनाने में समर्थ रामदासजी का बहुत बड़ा योगदान रहा।
 
5. तुलजा भवानी के उपासक : महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में स्थित है तुलजापुर। एक ऐसा स्थान जहां छत्रपति शिवाजी की कुलदेवी मां तुलजा भवानी स्थापित हैं, जो आज भी महाराष्ट्र व अन्य राज्यों के कई निवासियों की कुलदेवी के रूप में प्रचलित हैं। वीर श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज की कुलदेवी मां तुलजा भवानी हैं। शिवाजी महान उन्हीं की उपासना करते रहते थे। मान्यता है कि शिवाजी को खुद देवी मां ने प्रकट होकर तलवार प्रदान की थी। अभी यह तलवार लंदन के संग्रहालय में रखी हुई है।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

लूस मोशन के बाद आ जाती है कमजोरी? इन 5 चीज़ों का करें सेवन