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गंगा दशहरा आज, जानिए कैसे करें मां गंगा का पूजन, किस दान से मिलेगा पुण्य

हमें फॉलो करें गंगा दशहरा आज, जानिए कैसे करें मां गंगा का पूजन, किस दान से मिलेगा पुण्य
* गंगा दशहरा के दिन क्यों और कैसे करें गंगा पूजन जानिए...
 
गंगा दशहरा हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। पुराणों के अनुसार गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को दशहरा कहते हैं। इसमें स्नान, दान और व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्वर्ग से गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए यह महापुण्यकारी पर्व माना जाता है। 
 
गंगा दशहरा वो समय होता है जब मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था जबकि गंगा जयंती (गंगा सप्तमी) वह दिन होता है जब गंगा का पुनः धरती पर अवतरण हुआ था। गंगा दशहरा के दिन सभी गंगा मंदिरों में भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। वहीं इस दिन मोक्षदायिनी गंगा का पूजन-अर्चना भी किया जाता है।
 
महापुण्यकारी है दान :- गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन लोग पूजा-अर्चना करने के साथ ही दान-पुण्य करते हैं। कई लोग तो हरिद्वार जैसे पवित्र नदी में स्नान करने जाते हैं। इस दिन सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दुगुना फल प्राप्त होता है।

10 पापों से ‍मुक्ति पाने का दिन :- गंगा दशहरा के दिन किसी भी नदी में स्नान करके दान और तर्पण करने से मनुष्य जाने-अनजाने में किए गए कम से कम 10 पापों से मुक्त होता है। इन 10 पापों के हरण होने से ही इस तिथि का नाम गंगा दशहरा पड़ा है।

 
गंगा दशहरा पूजन :-  
 
* गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की पवित्र धारा में स्नान करके पूजन किया जाता है। 
 
* हरिद्वार, ऋषिकेश, इलाहबाद (प्रयाग) और वाराणसी में गंगा स्नान करने का खास महत्व है। 
 
* इस दिन प्रातःकाल सूरज उगने से पूर्व गंगा स्नान करने का खास महत्व होता है।
 
* गंगा दशहरा का व्रत भगवान विष्णु को खुश करने के लिए किया जाता है।
 
* इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है।
 
* इस दिन लोग व्रत करके पानी भी (जल का त्याग करके) छोड़कर इस व्रत को करते हैं।
 
* इस दिन जल का घट दान करके फिर जल पीकर अपना व्रत पूर्ण करते हैं।
 
* इस दिन दान में केला, नारियल, अनार, सुपारी, खरबूजा, आम, जल भरी सुराई, हाथ का पंखा आदि चीजें भक्त दान करते हैं। 
 
* गंगा दशहरा के दिन श्रद्धालु पवित्र गंगा में डुबकी लगाते है ताकि उनके सभी पाप नष्ट हो जाए और वे हमेशा निरोग रहे। 
 
* ग्यारस (एकादशी) की कथा सुनते हैं और अगले दिन लोग दान-पुण्य करते हैं।


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