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प्यार वही, इजहार के ढंग बदले...

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- कुलवंत हैपी

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प्यार पहले भी होता था, प्यार आज भी होता है। मगर प्यार करने और प्यार का इज़हार करने के ढंग बदल चुके हैं। आज से कुछेक साल पहले का दृश्य याद करो, जब कोई लड़का लड़की को देखता, अगर वो शर्मा कर मुस्कराते हुए गुजर जाती तो समझ लिया जाता था कि अब बात बन सकती है।

इस उम्मीद में कई बार तो कई साल गुजर जाते थे, मगर लड़की और लड़का एक-दूसरे को देखकर समय गुजार देते थे, वो आपस में हर बात करते थे, लेकिन जब प्यार के इज़हार की बात आती तो उनके हाथ-पैर काँपने लगते थे, उनकी जुबाँ तुतलाने लगती थी, मानो वो कोई अपराध या जुर्म कर रहे हैं, मगर आज तो प्यार का इज़हार करने का ढंग ही बदल गया।
  प्यार पहले भी होता था, प्यार आज भी होता है। मगर प्यार करने और प्यार का इज़हार करने के ढंग बदल चुके हैं। आज से कुछेक साल पहले का दृश्य याद करो, जब कोई लड़का लड़की को देखता, अगर वो शर्मा कर मुस्कराते हुए गुजर जाती तो समझ लिया जाता था कि अब बात बन सकती है।      


आज लड़की को देखा और दूसरे दिन उसके सामने प्यार का प्रस्ताव रख दिया। अगर उसने स्वीकार कर लिया तो ठीक है, वरना आगे अभियान तो जारी है। इसके अलावा फ्रेंडशिप डे, रोज़ डे, वेलेंटाइन डे जैसे दिनों ने आशिकों को अपनी बात कहने का अवसर प्रदान कर दिया।

प्यार करने के नज़रिए बदल गए !
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हाईटैक हो रही दुनिया के साथ प्यार करने का ढंग भी हाईटैक हो गया। होटल पर खाना खिलाकर, कॉफी शॉप पर जाकर कॉफी पिलाकर और हाथ में फूल पकड़कर, मेरी भाषा में कहें तो आजकल प्यार को करने से जताना ज्यादा जरूरी है। अगर आप ऐसा करने में नाकाम हैं तो प्यार के झंझट में ना पड़ें।

पहले दिलबर के दिन में एक बार दीदार हो जाने पर हज या गंगा नहाने जैसी बात हो जाती थी। मगर आज दिनभर उसके साथ घूमने-फिरने के अलावा देर रात तक प्यार की बातें करना शामिल है। फिर भी प्यार पूरा नहीं पड़ता, फिर भी आज पहले से ज्यादा झगड़े होते हैं।

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