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ग़ाज़ा: मौत के मंजर के बीच माताएं दे रहीं बच्चों को जन्म

हमें फॉलो करें ग़ाज़ा: मौत के मंजर के बीच माताएं दे रहीं बच्चों को जन्म
, गुरुवार, 9 नवंबर 2023 (19:12 IST)
File photo
इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र - ग़ाज़ा में लगभग साढ़े पाँच हज़ार गर्भवती महिलाएं कुछ ही सप्ताहों के दौरान, बच्चों को जन्म देने वाली हैं। क्षमता से अधिक मरीज़ों का इलाज़ कर रहे अस्पताल, पहले से ही अत्यधिक दबाव में हैं। ऐसे में, भीड़ भरे अस्पतालों में डॉक्टर, या तो कम, या बिना ऐनिस्थीसिया (बेहोश करने की दवा), या फिर केवल मोबाइल फ़ोन की रौशनी में ही प्रसव कराने के लिए मजबूर हैं।

इसराइल और हमास चरमपंथियों के बीच जारी संघर्ष का दूसरा महीना शुरू हो गया है, और बिगड़े हालात के मद्देनज़र संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) व सहयोगी एजेंसियां, ​​मानवीय युद्धविराम लागू करने और क्षेत्र में भोजन, ईंधन, पानी व अन्य बुनियादी राहत सामग्री लाने वाले क़ाफ़िलों में वृद्धि की अपील कर रही हैं।
यौन और प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी (UNFPA) में अरब देशों की क्षेत्रीय निदेशक, लैला बेकर ने यूएन न्यूज़ को एक इंटरव्यू में बताया कि ग़ाज़ा में "मानवता के सम्पूर्ण विध्वंस" की स्थिति के बीच, उनके भीतर, नई माताओं और उनके बच्चों के अनिश्चित भविष्य को लेकर डर बना हुआ है।

गर्भवती महिलाओं की मदद : उन्होंने कहा, यूएनएफ़पीए के कर्मचारी, "जब भी उन तक पहुंच पाते हैं," तब-तब गर्भवती महिलाओं को आपातकालीन स्वास्थ्य और सुरक्षित प्रसव किट प्रदान करने की पुरज़ोर कोशिशें करते हैं।
उन्होंने यूएन न्यूज़ को बताया कि बमबारी से भाग रही गर्भवती फ़लस्तीनी महिलाओं को अपने आने वाले बच्चों को लेकर उम्मीद व प्रसन्नता तो है, लेकिन साथ ही वो चिन्तित भी हैं, क्योंकि उन्हें सुरक्षित प्रसव के लिए योग्य स्वास्थ्य पेशेवरों को तलाश करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

लैला बेकर ने बताया, "अपने आप को उस महिला की जगह रखकर देखें कि जब सर्जन उससे कहते हैं कि 'मेरे पास कोई ऐनिस्थीसिया नहीं है, मेरे पास हाथ धोने के लिए पानी या साबुन भी नहीं है, लेकिन हम आपकी जान बचाने की पूरी कोशिश करेंगे"

लैला बेकर ने काहिरा से यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत करते हुए, ग़ाज़ा में मानवीय युद्धविराम और मज़बूत अन्तरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की तात्कालिक आवश्यकता पर बल दिया। यूएनएफ़पीए की क्षेत्रीय निदेशक ने ग़ाज़ा में मानवता के सम्पूर्ण ह्रास की ज़मीनी स्थिति बयान करते हुए, इसे मानवता के इतिहास में हाल की सबसे अतुलनीय क्रूरता वाली घटना क़रार दिया।

50 हज़ार गर्भवती महिलाओं समेत, 22 लाख लोगों को एक महीने तक बन्धक बनाए रखना, जिनमें से अगले कुछ सप्ताहों में साढ़े पांच हज़ार महिलाएं, बच्चों को जन्म देने वाली हैं। उन्होंने कहा, “और जिन 160 महिलाओं ने हाल ही में बच्चों को जन्म दिया है, मुझे कहना चाहिए कि वो भाग्यशाली हैं कि वे इस दुनिया में ख़ुशी व नया जीवन लाने के प्रयासों में सफल रही हैं, लेकिन फ़िलहाल मुझे उनके एवं उनके बच्चों के जीवन को लेकर डर बना हुआ है”

उन्होंने बताया कि 135 से अधिक स्वास्थ्य सुविधाओं को निशाना बनाया गया है। शेष बची स्वास्थ्य सुविधाओं में, दवाओं की बहुत कमी है, बिजली आपूर्ति के लिए ईंधन नहीं बचा है। आपातकालीन प्रसवों की स्थिति में बहुत कम या बिना ऐनिस्थीसिया के, और कभी-कभी तो केवल मोबाइल फ़ोन की रौशनी में ऑपरेशन करने पड़ रहे हैं।
उन्होंने अफ़सोस जताते हुए बताया कि ज़मीनी स्तर पर स्थिति इतनी ख़राब है कि अब तक वहाँ संयुक्त राष्ट्र के 89 कर्मियों की मौत हो चुकी है। "संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में कभी भी इतनी कम अवधि में, एक ही घटना में, हमने स्टाफ़ के इतने सदस्यों को कभी नहीं खोया”

उन्होंने कहा कि इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र कर्मी, मुस्तैदी से मानवता पर छाए इस संकट पर राहत का मरहम लगाने में जुटे हैं।

यूएनएफ़पीए की क्षेत्रीय निदेशक ने कहा, “ऐसे में, तात्कालिक युद्धविराम बहुत आवश्यक है, ताकि हम बिना शर्त ग़ाज़ा में राहत सामग्री पहुंचा सकें, जिससे दक्षिण में जबरन विस्थापित हुए लोगों, अस्पतालों में घायल पड़े असंख्य लोगों को सहायता प्रदान की जा सके, और कम से कम कुछ अहम मानवीय ज़रूरतें पूरी करने की शुरुआत हो सके”

जीवन की रक्षा : उन्होंने वहां तैनात सभी मानवीय कर्मचारियों की सुरक्षा और उनके जीवन का सम्मान करते हुए उनकी रक्षा करने का आहवान किया। लैला बेकर ने बताया कि इन हालात में भी वो मुस्तैदी से, सर्वोत्कृष्ट कार्य करने का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने बताया, “हमने स्टाफ़ को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया है। उन्हें आपातकालीन प्रजनन स्वास्थ्य किट प्रदान करके, सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने के प्रयास किए हैं। इसमें एक थैले से लेकर, साफ़ प्लास्टिक शीट, गर्भनाल को बन्द करने में मदद करने के लिए एक क्लैंप और उसे काटने की कैंची, साबुन की टिक्की व कुछ पोंछे तक हैं, ताकि कम से कम कुछ हद तक स्वच्छता व रोगाणुरहित वातावरण सुनिश्चित किया जा सके”

इसके अलावा, भारी दबाव में काम कर रहे अस्पतालों की मदद के लिए कई तरह का सामान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, उन्होंने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि विशाल ज़रूरतों के सामने यह एकदम नाकाफ़ी हैं और बाल्टी में एक बून्द के बराबर हैं।

बुनियादी नागरिक ढांचा : उन्होंने कहा कि किसी भी समुदाय के जीवन-यापन के लिए बुनियादी नागरिक ढांचा बेहद अहम होता है। लेकिन ग़ाज़ा के उत्तर में स्थित अस्पताल, स्कूल, घर जैसी आधी से ज़्यादा आवासीय इमारतें ध्वस्त हो जाने के बाद, समुदायों के पास वापस जाने के लिए कुछ नहीं बचा है।

उन्होंने कहा कि अस्पतालों को निशाना बनाने के साथ-साथ, बुनियादी नागरिक ढांचों के प्रति सम्मान की कमी, मानवाधिकारों का बड़ा उल्लंघन है। ऐसे में, उन्होंने बुनियादी नागरिक ढांचों व गरिमा की रक्षा करने, और ग़ाज़ा में फ़लस्तीनियों को अपने घरों में सुरक्षित रहने की अनुमति देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।


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