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मुझे तानाशाही पसंद है लेकिन सकारात्मक तरीके से : अखिल कुमार

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नई दिल्ली , गुरुवार, 21 दिसंबर 2017 (13:09 IST)
नई दिल्ली। मुक्केबाज अखिल कुमार ने गुरुवार को यहां कहा कि वे ऐसे गुरु हैं जिसे उभरते हुए मुक्केबाजों को प्रशिक्षण देते समय थोड़ी तानाशाही पसंद है लेकिन सकारात्मक तरीके के साथ। भारतीय मुक्केबाजी के राष्ट्रीय पर्यवेक्षक एक बार फिर पेशेवर मुक्केबाजी के रिंग में दिखेंगे। होप एंड ग्लोरी मुक्केबाजी, डब्ल्यूबीसी और मुक्केबाजी प्रीमियर लीग के साथ मिलकर यहां 10 फरवरी को टूर्नामेंट का आयोजन कर रही है जिसमें बतौर मुक्केबाज अखिल भी शामिल होंगे।
 
राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता और ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल का सफर तय करने वाले 36 साल के अखिल ने कोचिंग के बारे में कहा कि मैं तानाशाह की तरह होना चाहता हूं, मुझे लगता है थोड़ी तानाशाही (प्रशिक्षण देते समय) की जरूरत है लेकिन सकारात्मक तरीके से। मैं जिन 2 चीजों पर सबसे ज्यादा ध्यान देता हूं- वे हैं मानसिकता और इच्छाशक्ति। अगर आपके पास ये दोनों हैं तो आपका ध्यान केंद्रित रहेगा। मैं उन्हें आज्ञाकारी बनाना चाहता हूं। अपनी बात को बेबाकी से रखने के लिए जाने जाने वाले इस मुक्केबाज ने कहा कि उन्हें अक्सर 'आक्रामक मुक्केबाज' कहा जाता है, जो कि गलत है।
 
अखिल ने कहा कि मैं आक्रामक मुक्केबाज नहीं हूं, जैसी कि छवि आप सब ने बनाई हैं। मैं बहुत तकनीकी मुक्केबाज हूं। अगर आप मेरे फुटवर्क, ओपन गार्ड, रिंग में चपलता और कौशल को देखे तो मुझे आक्रामक मुक्केबाज नहीं कहा जाना चाहिए।  
 
अखिल कुमार मुक्केबाजी क्लब का संचालन करने वाले अखिल भारतीय मुक्केबाजों के भविष्य के बारे में आशावादी दिखे तथा कहा कि वे काफी अच्छा कर रहे हैं और अगर वे अच्छा कर रहे तो उनकी तारीफ की जानी चाहिए। महासंघ (मुक्केबाजी) चाह रहा कि मुक्केबाजी सही दिशा में जाए। मौजूदा समय में हम उम्मीद के साथ आगे देख सकते हैं। अखिल ने कहा कि उन्हें प्रतिभा की परख है।
 
उन्होंने कहा कि शशि चोपड़ा (जिनकी सिफारिश अखिल ने की थी) को देखिए, उसने गुवाहाटी में हुए युवा विश्व चैंपियनशिप में जीत दर्ज की और मैं वहां था। उन्होंने वहां मौजूद ओलंपियन जितेन्द्र कुमार की तरफ इशारा करते हुए कहा कि एक उदाहरण यहां भी है।
 
बीजिंग ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय करने वाले इस खिलाड़ी ने अपने पेशेवर करियर का आगाज 'बैटल ग्राउंड एशिया' में ऑस्ट्रेलिया के ताई गिलक्रिस्ट को तकनीकी नॉकआउट में शिकस्त देकर शानदार तरीके से किया था लेकिन इसके बाद प्रमोटरों से अनुबंध विवाद के कारण उन्हें इससे हटना पड़ा।
 
'होप एंड ग्लोरी' के बारे में उन्होंने कहा कि ध्यान मुक्केबाजी पर होना चाहिए, न कि मुक्केबाजों पर। एक मुक्केबाज के तौर पर मुझे पता है कि युवा खिलाड़ी अपने सपनों को पूरा करने के लिए किन चुनौतियों से गुजर रहे हैं। प्रतिभावान खिलाड़ियों को एमेच्योर से आगे जाने के लिए जरूरी सुविधाओं की जरूरत है। 
 
तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले इस टूर्नामेंट में अखिल के साथ जितेन्द्र कुमार, ब्रजेश कुमार मीणा (डब्ल्यूबीसी एशियाई मुक्केबाजी चैंपियन) के अलावा फिलीपीन्स, जॉर्जिया, तंजानिया और फ्रांस के मुक्केबाज भाग लेंगे। (भाषा)


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