Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(षष्ठी तिथि)
  • तिथि- वैशाख कृष्ण षष्ठी/सप्तमी (क्षय)
  • शुभ समय-10:46 से 1:55, 3:30 5:05 तक
  • व्रत/मुहूर्त-गुरु अर्जुन देव ज., ग्राम ज.
  • राहुकाल- दोप. 3:00 से 4:30 बजे तक
webdunia
Advertiesment

प्रकाश पर्व विशेष : गुरु गोविंद सिंह जयंती आज, जानें उनके बारे में अनसुनी बातें...

हमें फॉलो करें प्रकाश पर्व विशेष : गुरु गोविंद सिंह जयंती आज, जानें उनके बारे में अनसुनी बातें...

WD Feature Desk

HIGHLIGHTS
 
* आज सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह की जयंती।
* गुरु गोविंद सिंह जी का जीवन परिचय।
* देशभर में प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाएगी गुरु गोबिंद सिंह की जयंती। 
 
guru gobind singh jayanti : आज, 17 जनवरी 2024 को गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। उनका जन्म पौष सुदी सप्तमी के दिन हुआ था। सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी हैं। आइए यहां जानते हैं उनके जीवन की खास बातें...
 
• श्री गुरु गोविंद सिंह जी (सिखों के दसवें गुरु) का जन्म पौष सुदी 7वीं सन् 1666 को पटना में माता गुजरी तथा पिता श्री गुरु तेगबहादुर जी के घर हुआ। उस समय गुरु तेगबहादुर जी बंगाल में थे और उन्हीं के वचनानुसार बालक का नाम गोविंद राय रखा गया था। 
 
• जब गुरु तेग बहादुर के घर पंजाब में सुंदर और स्वस्थ बालक के जन्म की सूचना पहुंची तो सिख संगत ने उनके अगवानी की बहुत खुशी मनाई। उस समय करनाल के पास ही सिआणा गांव में एक मुसलमान संत फकीर भीखण शाह रहता था। उसने ईश्वर की इतनी भक्ति और निष्काम तपस्या की थी कि वह स्वयं परमात्मा का रूप लगने लगा। 
 
• पटना में जब गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ उस समय भीखण शाह समाधि में लिप्त बैठे थे, उसी अवस्था में उन्हें प्रकाश की एक नई किरण दिखाई दी जिसमें उसने एक नवजात जन्मे बालक का प्रतिबिंब भी देखा। 
 
• भीखण शाह को यह समझते देर नहीं लगी कि दुनिया में कोई ईश्वर के प्रिय पीर का अवतरण हुआ है। यह और कोई नहीं गुरु गोविंद सिंह जी ही ईश्वर के अवतार थे।
 
• गुरु गोविंद सिंह जी वह व्यक्तित्व है जिन्होंने आनंदपुर के सारे सुख छोड़कर, मां की ममता, पिता का साया और बच्चों के मोह छोड़कर धर्म की रक्षा का रास्ता चुना। गुरु गोविंद सिंह जी की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वे अपने आपको औरों जैसा सामान्य व्यक्ति ही मानते थे। गुरु गोविंद सिंह जैसा न कोई हुआ और न कोई होगा।
 
• गोविंद सिंह जी ने कभी भी जमीन, धन, संपदा और राजसत्ता के लिए लड़ाइयां नहीं लड़ीं, हमेशा उनकी लड़ाई होती थी दमन, अन्याय, अधर्म एवं अत्याचार के खिलाफ। 
 
• एक लेखक (लिखारी) के रूप में देखा जाए तो गुरु गोविंद सिंह जी धन्य हैं। उनके द्वारा लिखे गए दसम ग्रंथ, भाषा और ऊंची सोच को समझ पाना हर किसी के बस की बात नहीं है।
 
• गुरु गोविंद सिंह जी जैसा महान पिता कोई नहीं, जिन्होंने खुद अपने बेटों को शस्त्र दिए और कहा, जाओ मैदान में दुश्मन का सामना करो और शहीदी जाम को पिओ।
 
• गुरु गोविंद सिंह जी जैसा कोई दूसरा पुत्र नहीं हो सकता, जिसने अपने पिता को हिंदू धर्म की रक्षा के लिए शहीद होने का आग्रह किया हो।
 
• गुरु गोविंद सिंह जी ने भारतीय विरासत और जीवन मूल्यों की रक्षा तथा देश की अस्मिता के लिए समाज को नए सिरे से तैयार करने के लिए खालसा के सृजन का मार्ग अपनाया और खालसा पंथ की स्थापना की। 
 
• गुरु गोविंद सिंह जी सिखों के दसवें गुरु हैं। गुरु नानक देव की ज्योति इनमें प्रकाशित हुई, इसलिए इन्हें दसवीं ज्योति भी कहा जाता है। 
 
• गुरु गोविंद सिंह ने जफरनामा, शब्‍द हजारे, जाप साहिब, अकाल उस्‍तत, चंडी दी वार, बचित्र नाटक सहित अन्‍य भी रचनाएं भी कीं।
 
• गुरु गोविंद सिंह जी कहते थे कि युद्ध की जीत सैनिकों की संख्या पर निर्भर नहीं होना चाहिए, बल्कि वह तो उनके हौसले एवं दृढ़ इच्छाशक्ति पर निर्भर करती है। जो सच्चे उसूलों के लिए लड़ता है, वह धर्म योद्धा होता है तथा ईश्वर उसे हमेशा विजयी बनाता है।
 
• सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह ने गुरु गद्दी पर बैठने के पश्चात आनंदपुर में एक नए नगर का निर्माण किया और उसके बाद वे भारत की यात्रा पर निकल पड़े। इस दौरान उन्होंने जगह-जगह सिख संगत स्थापित कर दी। 
 
• गुरु गोविंद सिंह जी के दरबार में तकरीबन 52 कवि थे, उन्हें कला-साहित्‍य के प्रति अपार प्रेम था और संगीत वाद्ययंत्र दिलरुबा का अविष्‍कार भी उन्‍होंने ही किया था। 
 
• बैसाखी का दिन सिख धर्म के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, क्योंकि इसी दिन गुरु गोविंद सिंह जी ने वर्ष 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी। 
 
• गुरु गोविंद सिंह कहते थे कि 'धरम दी किरत करनी' यानी अपनी जीविका ईमानदारीपूर्वक काम करते हुए चलाएं।
 
• गुरु गोविंद सिंह कहते हैं 'कम करन विच दरीदार नहीं करना' अर्थात् अपने काम में खूब मेहनत करें और काम को लेकर कोताही कभी न बरतें।
 
• कहा जाता है कि जब गुरु गोविंद सिंह जी ने श्री पौंटा साहिब गुरुद्वारे के पास और यमुना नदी के किनारे दशम ग्रंथ की रचना की, उस समय यमुना नदी बहुत अधिक शोर करती थी, तब उन्होंने यमुना जी को धीरे बहने की विनती की, तबसे यमुना नदी बिल्‍कुल शांत हो गई और आज भी वह शांति से ही बहती है।
 
• गुरु गोविंद सिंह के अनुसार मनुष्य को 'धन, जवानी, तै कुल जात दा अभिमान नै करना' यानी अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर मनुष्य को घमंड नहीं करना चाहिए। 
 
• गुरु गोविंद सिंह महान कर्मप्रणेता, अद्वितीय धर्मरक्षक, ओजस्वी वीर रस कवि और संघर्षशील वीर योद्धा थे। 
 
• गुरु गोविंद सिंह में भक्ति, शक्ति, ज्ञान, वैराग्य, समाज का उत्थान और धर्म और राष्ट्र के नैतिक मूल्यों की रक्षा हेतु त्याग एवं बलिदान की मानसिकता से ओत-प्रोत अटूट निष्ठा तथा दृढ़ संकल्प की अद्भुत प्रधानता थी। 
 
• गुरु गोविंद सिंह ने अपने जीवन का हर पल परोपकार में व्यतीत किया। उनके गुणों का बखान कितना भी किया जाए वो कम ही है। 
 
• श्री पौंटा साहिब (श्री पांवटा साहिब) गुरुद्वारे का सिख धर्म में अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण स्‍थान है, क्योंकि यहां पर गुरु गोविंद सिंह जी ने चार साल बिताए थे। कहा जाता है कि इस गुरुद्वारे की स्‍थापना करने के बाद उन्‍होंने दशम ग्रंथ की स्‍थापना की थी। 
 
• गुरु गोविंद सिंह एक विलक्षण क्रांतिकारी संत है। वे एक महान धर्मरक्षक, कवि तथा वीर योद्धा भी थे। वे सिख धर्म के दसवें गुरु, सिख खालसा सेना के संस्थापक एवं प्रथम सेनापति थे। समूचे राष्ट्र के उत्थान के लिए गुरु गोविंद सिंह जी ने संघर्ष करने के साथ ही निर्माण का भी रास्ता अपनाया।
 
• अपने अंत समय में गुरु गोविंद सिंह जी ने सिखों को गुरु ग्रंथ साहिब को अपना गुरु मानने को कहा और स्वयं ने भी वहां अपना माथा टेका था।
 
• वीरता और त्याग की मिसाल रहे गुरु गोविंद सिंह ने बाल विवाह, सती प्रथा, बहुविवाह, लड़की पैदा होते ही मार डालने जैसी बुराइयों के खिलाफ अपनी आवाज हमेशा बुलंदी के साथ उठाई थी। सन् 1708 को गुरु गोविंद सिंह जी नांदेड़ साहिब में ज्योति जोत में लीन हो गए। 


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Guru Govind Singh : 2024 में कब है गुरु गोविंद सिंह जी का प्रकाश पर्व