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सैर करें मजौली द्वीप की...

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ANI

असम में फैले नक्सलबाद ने जहाँ एक ओर यहाँ पर्यटन समाप्त होने के कगार पर पहुँच गया है, वहीं यहाँ के अद्भुद सौन्दर्य को दुनिया के सामने लाने की पुरजोर कोशिश जारी है।

आसाम की खूबसूरत वादियों में बसा मजौली द्वीप, जो ऊपरी आसाम के जोरहत नामक जिले से बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, बहुत समय से पर्यटन की बहुँच से अछूता रहा है।

लेकिन पिछले कुछ वर्षों से असम के पर्यटन मन्त्रालय ने इसकी खूबसूरती से दुनिया को वाकिफ कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित यह छोटा सा द्वीप, अपने आप में विश्व का अकेला ऐसा द्वीप है, जो किसी नदी में स्थित है

यहाँ के स्थानीय टूर प्रबन्धकों के अनुसार, केवल प्रकृति प्रेमी पर्यटक ही इस द्वीप में आना पसन्द करते हैं। इन्क्रेडेबिल इंडिया नामक अभियान के तहत सरकार इस पर्यटन का प्रचार-प्रसार कर रही है।

स्थानीय टूर प्रबन्धक भूपेन बोरा के अनुसार, यदि उल्फा ने आतंक फैलाना कम कर दिया, तो यहाँ पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ेगी। जाहिर है लोग वहीं आना पसन्द करेंगे, जहाँ सैन्य गतिविधियाँ कम होगीं। फिलहाल यहाँ तीस-चालीस से अधिक विदेशी पर्यटक नहीं आते हैं।

ऐसा माना जाता है कि 16वीं शताब्दी में संकरदेब नामक एक समाज सुधारक इस द्वाप में आए थे, जहाँ उन्होंने वैष्णव सम्प्रदाय का जोर-शोर से प्रचार-प्रसार किया था। संकरदेब ने मजौली में बहुत से संघों और आश्रमों का निर्माण किया था।

मगर नक्सलवाद के भय से इतनी अनमोल साँस्कृतिक सम्पदा दुनिया के सामने नहीं आ पा रही है। सुभाष गुप्ता नामक एक पर्यटक के अनुसार, यदि कोई पर्यचक बाहर से यहाँ आता है और उसके दिमाग में इस स्थान को लेकर भय है, तो वह यहाँ पर्यटन का लुत्फ नहीं उठा पाएगा। कोई भी व्यक्ति अपने परिवार को लेकर यहाँ आना ही नहीं चाहेगा

650 किलोमीटर के क्षेत्रफल वाला यह द्वीप अपने अद्भुद सौन्दर्य के साथ-साथ वैष्णव सँस्कृति के लिए भी जाना जाता है। इस द्वीप में कुल 25 वैष्णव संघ स्थापित हैं। यदि इस द्वीप को उपयुक्त माहौल मिले, तो यह पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय हो सकता है

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