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धरती का पहला मानव कौन था?

हमें फॉलो करें धरती का पहला मानव कौन था?
, गुरुवार, 8 जनवरी 2015 (07:02 IST)
संकलन : अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

अभगच्छत राजेन्द्र देविकां विश्रुताम्।
प्रसूर्तित्र विप्राणां श्रूयते भरतर्षभ॥- महाभारत


अर्थात्- सप्तचरुतीर्थ के पास वितस्ता नदी की शाखा देविका नदी के तट पर मनुष्य जाति की उत्पत्ति हुई। प्रमाण यही बताते हैं कि आदि सृष्टि की उत्पत्ति भारत के उत्तराखण्ड अर्थात् इस ब्रह्मावर्त क्षेत्र में ही हुई। वेद अनुसार प्रजापतियों के पुत्रों से ही धरती पर मानव की आबादी हुई। आज धरती पर जितने भी मनुष्य हैं सभी प्रजापतियों की संतानें हैं।

* स्वायंभुव मनु को आदि भी कहा जाता है। आदि का अर्थ प्रारंभ। इस आदि शब्द से ही आदम शब्द की उत्पत्ति हुई होगी। स्वायंभुव मनु की उत्पत्ति ब्रह्मा ने की थी। पुराणों में उनकी उत्पत्ति की कथा अलग-अलग तरीके से बताई गई है जिससे भ्रम उत्पन्न होता है, लेकिन इतना तो तय है कि उनकी उत्पत्ति ब्रह्मा से हुई थी। ब्रह्मा और मनु की परंपरा वाला धर्म अब भारत में नहीं पाया जाता। भारत में विष्णु और शिव सहित अन्य देवी और देवताओं की परंपरा से प्राप्त धर्म का पालन होता है।

* संसार के प्रथम पुरुष स्वायंभुव मनु और प्रथम स्त्री थीं शतरूपा। भगवान ब्रह्मा ने जब 11 प्रजातियों और 11 रुद्रों की रचना की तब अंत में उन्होंने स्वयं को दो भागों में विभक्त कर लिया। पहले भाग का नाम 'का' था और दूसरे भाग का नाम 'या' था। पहला भाग मनु के रूप में और दूसरा शतरूपा के रूप में प्रकट हुआ। कहते हैं कि ब्रह्मा ने प्रजापतियों को प्रकाश से, रुद्रों को अग्नि से और स्वायंभुव मनु को मिट्टी से बनाया था।

* हिंदू धर्म में स्वायंभुव मनु के ही कुल में आगे चलकर स्वायंभुव सहित क्रमश: 7 मनु हुए और 7 होना बाकी है। महाभारत में 8 मनुओं का उल्लेख मिलता है। श्वेतवराह कल्प में 14 मनुओं का उल्लेख है। इन चौदह मनुओं को ही जैन धर्म में कुलकर कहा गया है।

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* स्वायंभुव मनु एवं शतरूपा के कुल पांच सन्तानें थीं जिनमें से दो पुत्र प्रियव्रत एवं उत्तानपाद तथा तीन कन्याएं आकूति, देवहूति और प्रसूति थे।

* आकूति का विवाह रुचि प्रजापति के साथ और प्रसूति का विवाह दक्ष प्रजापति के साथ हुआ। देवहूति का विवाह प्रजापति कर्दम के साथ हुआ। ये सभी प्राजापति ब्रह्मा के पुत्र थे।

* स्वायंभुव मनु के दो पुत्र- प्रियव्रत और उत्तानपाद। उत्तानपाद की सुनीति और सुरुचि नामक दो पत्नी थीं। राजा उत्तानपाद के सुनीति से ध्रुव तथा सुरुचि से उत्तम नामक पुत्र उत्पन्न हुए।

* स्वायंभुव मनु के दूसरे पुत्र प्रियव्रत ने विश्वकर्मा की पुत्री बहिर्ष्मती से विवाह किया था जिनसे आग्नीध्र, यज्ञबाहु, मेधातिथि आदि दस पुत्र उत्पन्न हुए।

* प्रियव्रत की दूसरी पत्नी से उत्तम तामस और रैवत- ये तीन पुत्र उत्पन्न हुए जो अपने नामवाले मनवंतरों के अधिपति हुए।

* महाराज प्रियव्रत के दस पुत्रों में से कवि, महावीर तथा सवन ये तीन नैष्ठिक ब्रह्मचारी थे और उन्होंने संन्यास धर्म ग्रहण किया था।

* महाराज मनु ने बहुत दिनों तक इस सप्तद्वीपवती पृथ्वी पर राज्य किया। जब महाराज मनु को मोक्ष की अभिलाषा हुई तो वे संपूर्ण राजपाट छोड़कर अपनी पत्नी शतरूपा के साथ नैमिषारण्य तीर्थ चले गए।

* मनु ने सुनंदा नदी के किनारे सौ वर्ष तक तपस्या की। दोनों पति-पत्नी ने नैमिषारण्य नामक पवित्र तीर्थ में गौमती के किनारे भी बहुत समय तक तपस्या की। उस स्थान पर दोनों की समाधियां बनी हुई है।

* स्वायम्भु मनु के काल के ऋषि मरीचि, अत्रि, अंगिरस, पुलह, कृतु, पुलस्त्य, और वशिष्ठ हुए। राजा मनु सहित उक्त ऋषियों ने ही मानव को सभ्य, सुविधा संपन्न, श्रमसाध्य और सुसंस्कृत बनाने का कार्य किया।

* राजा प्रियव्रत के ज्येष्ठ पुत्र आग्नीध्र जम्बूद्वीप के अधिपति हुए। अग्नीघ्र के नौ पुत्र जम्बूद्वीप के नौ खण्डों के स्वामी माने गए हैं, जिनके नाम उन्हीं के नामों के अनुसार इलावृत वर्ष, भद्राश्व वर्ष, केतुमाल वर्ष, कुरु वर्ष, हिरण्यमय वर्ष, रम्यक  वर्ष, हरि वर्ष, किंपुरुष वर्ष और हिमालय से लेकर समुद्र के भूभाग को नाभि खंड कहते हैं। नाभि और कुरु ये दोनों वर्ष धनुष की आकृति वाले बताए गए हैं। नाभि के पुत्र ऋषभ हुए और ऋषभ से ‘भरत’ का जन्म हुआ। भरत के नाम पर ही बाद में इस नाभि खंड को भारतवर्ष कहा जाने लगा।

संदर्भ : अग्नि आदि पुराण

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