Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

द्रौपदी के पांच पतियों से कितने पुत्र जन्मे, जानिए

हमें फॉलो करें द्रौपदी के पांच पतियों से कितने पुत्र जन्मे, जानिए

अनिरुद्ध जोशी

द्रौपदी को 'द्रौपदी' इसलिए कहा जाता था कि वे राजा द्रुपद की पुत्री थीं। उन्हें 'पांचाली' इसलिए कहा जाता था कि राजा द्रुपद पांचाल देश के राजा थे। उनका एक नाम 'कृष्णा' भी था, क्योंकि वे भगवान कृष्ण की सखी थीं। उनका एक नाम 'याज्ञसेनी' भी था, क्योंकि वे यज्ञ करने के बाद पैदा हुई थीं।


और अंत में उनका एक नाम 'सैरंध्री' भी था। 'सैरंध्री' का अर्थ होता है पति के अलावा अन्य पुरुषों के साथ रमण करने वाली। लेकिन यह सच नहीं है..अज्ञातवास के दौरान द्रौपदी ने राजा विराट के यहां उनकी पत्नी सुदेष्णा के सौंदर्य की देखरेख करने वाली के रूप में काम किया इसलिए उनका नाम सैरंध्री था।
 
द्रौपदी के पांच पुत्र थे : द्रौपदी ने पांच पांडवों से विवाह किया था। समय-समय पर वह पांचों पतियों के साथ रमण करती थी। द्रौपदी ने एक-एक वर्ष के अंतराल से पांचों पांडव के एक-एक पुत्र को जन्म दिया। इस तरह द्रौपदी के पांच पुत्र थे। जानिए द्रौपदी के पुत्र और पांडवों के अन्य पुत्र एवं पत्नियों के नाम।
 
 
* द्रौपदी से जन्मे युधिष्ठिर के पुत्र का नाम प्रतिविन्ध्य था।
* द्रौपदी से जन्मे भीमसेन से उत्पन्न पुत्र का नाम सुतसोम था।
* द्रौपदी से जन्मे अर्जुन के पुत्र का नाम श्रुतकर्मा था।
* द्रौपदी से जन्मे नकुल के पुत्र का नाम शतानीक था। और
* द्रौपदी से जन्मे सहदेव के पुत्र का नाम श्रुतसेन था।
 
1. युधिष्ठिर :
युधिष्ठिर की दूसरी पत्नी देविका थी। देविका से धौधेय नाम का पुत्र जन्मा।
 
 
2. अर्जुन :
द्रौपदी के अलावा अर्जुन की सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा नामक तीन और पत्नियां थीं। सुभद्रा से अभिमन्यु, उलूपी से इरावत, चित्रांगदा से वभ्रुवाहन नामक पुत्रों का जन्म हुआ।
 
3. भीम :
द्रौपदी के अलावा भीम की हिडिम्‍बा और बलन्धरा नामक दो और पत्नियां थीं। हिडिम्‍बा से घटोत्कच और बलन्धरा से सर्वंग का जन्म हुआ।
 
4. नकुल :
द्रौपदी के अलावा नकुल की करेणुमती नामक पत्नी थीं। करेणुमती से निरमित्र नामक पुत्र का जन्म हुआ।
 
 
5. सहदेव :
सहदेव की दूसरी पत्नी का नाम विजया था जिससे इनका सुहोत्र नामक पुत्र मिला।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास और पौराणिक मान्यता