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मणिपुर का प्राचीन इतिहास क्या है?

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, शनिवार, 22 जुलाई 2023 (13:11 IST)
History of Manipur: भारत के एक राज्य है मणिपुर जो अब जातीय हिंसा की आग में जल रहा है। मणिपुर के 16 जिलों की जमीन इंफाल घाटी और पहाड़ी जिलों के रूप में बंटी हुई है। मणिपुर की धरती पर विविध जातियों और संस्कृतियों का मिश्रण है, जैसे मैतेई, कुकी, नागा, तिब्बती, खासी और असमिया आदि। मैतेई यहां के मूलनिवासी हैं। इंफाल घाटी में मैतेई समुदाय के लोग बड़ी संख्‍या में रहते हैं, जबकि पहाड़ी जिलों में नगा और कुकी जनजातियों का वर्चस्व है। नगा और कुकी लोगों ने ईसाई धर्म अपना रखा है।
 
1. महाभारत काल में मणिपुर : द्रौपदी के अलावा अर्जुन की सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा नामक तीन और पत्नियां थीं। महाभारत आदिपर्व, आश्वमेधिक पर्व के अनुसार वनवास के दौरान अर्जुन जब मणिपुर में थे तो उन्होंने मणिपुर नरेश चित्रवाहन की पुत्री चित्रांगदा को देखा और उसकी सुंदरता पर मोहित होकर उससे विवाह कर लिया। दोनों के पुत्र का नाम 'बभ्रुवाहन' था। मणिपुर को उस काल में नागलोक भी कहते थे। भीम की पत्नी हिडिम्बा आसाम के जनजाति समुदाय की लड़की थी।
 
2. प्राचीन काल में मणिुपर : इतिहासकारों के अनुसार प्राचीनकाल में मणिपुर को कलैपाक या कांगलेइपाक नाम से जाना जाता था। पौराणिक तथ्‍य के अनुसार यह बिष्णुपुर था। बीच में मैत्रबक, कंलैपुं, कथै, मोगली, मिक्ली और पोथोंकल्म नाम से भी जाना जाने लगा था। प्रारंभ में जब यह काब्रा नदी के बास बसने लगा तो इसे मानस के नाम से भी जाना जाने लगा था।
 
3. मणिपुर में पखंगबा नामक राजा का करीब 120 वर्षों तक शासन रहा है। बीच में पम्हीबा नामक प्रसिद्ध हिन्दू राजा हुआ। आधुनिक मणिपुर राज्य की स्थापना का श्रेय 18वीं सदी में जन्में चक्रवर्ती सम्राट बोधचन्द्र सिंह नामक राजा को जाता हैं। मणिपुर में प्राचीन कंगला फोर्ट स्थित हैं जो राजा-महाराजाओं का निवास स्थान हुआ करता था।
 
4. मणिपुर के राजवंशों का लिखित इतिहास सन 33 ई. में राजा पाखंगबा से शुरू होता है। 1819 से 1825 तक यहां बर्मी लोगों ने शासन किया। 24 अप्रैल, 1891 के खोंगजोम युद्ध के बाद मणिपुर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया। 1947 में जब अंग्रेजों ने मणिपुर छोड़ा तब मणिपुर का शासन महाराज बोधचन्द्र संभाल रहे थे। 21 सितंबर 1949 को हुई विलय संधि के बाद 15 अक्टूबर 1949 से मणिपुर भारत का अंग बन गया।
 
5. मणिपुर का प्राचीन इतिहास मैतेई समुदाय और इसके राजवंशों से जुड़ा हुई है। 1500 ईसा पूर्व से ही यह समुदाय यहां रहता आया है।

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