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देवी बनी बालिका....

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aक्या शारीरिक विचित्रता को दैवी उपहार माना जा सकता है? आप कहेंगे नहीं... कदापि नहीं... यह तो अभिशाप है। लेकिन उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के इंडालपुर गाँव के लोग ऐसा नहीं मानते।

इस गाँव में 4 जुलाई को पैदा हुई गीता, जिसके दो सिर, चार हाथ और दो पाँव हैं, उसकी लोग देवियों की तरह पूजा कर रहे हैं। उसे लोग देवी का अवतार मान रहे हैं।
गीता के पिता रमेश बताते हैं कि उनकी बेटी के दो सिर और चार हाथों के कारण हर कोई उसे देवी माँ कहकर पुकार रहा है। दूर-दूर से लोग उनकी बच्ची को चढ़ावा चढ़ाने आ रहे हैं। वहीं डॉक्टरों का कहना है कि गीता दरअसल दो जुड़वा बच्चे हैं, जो शारीरिक तौर पर एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।

डॉक्टर अशोक अग्रवाल के अनुसार इन बच्चों को सिआमीज की संज्ञा दी जाती है। इसमें कोई दैवी शक्ति वाली बात नहीं, बल्कि यह प्राकृतिक विचित्रता का एक उदाहरण है। कई बार गर्भावस्था के दौरान दो भ्रूण आपस में जुड़ जाते हैं और एक साथ ही विकसित होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप इस तरह से बच्चे पैदा होते हैं।

वहीं दूसरी ओर इस बच्ची के दर्शन के लिए दूर-दराज से लोग यहाँ आ रहे हैं। यहाँ तक कि इस बच्ची की दादी रामदेवी भी इसे देवी माँ का अवतार मानकर इसकी पूजा-अर्चना करती हैं। (एएनआई)

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