Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(षष्ठी तिथि)
  • तिथि- वैशाख कृष्ण षष्ठी/सप्तमी (क्षय)
  • शुभ समय-10:46 से 1:55, 3:30 5:05 तक
  • व्रत/मुहूर्त-गुरु अर्जुन देव ज., ग्राम ज.
  • राहुकाल- दोप. 3:00 से 4:30 बजे तक
webdunia
Advertiesment

रावण की पूजा का प्रचलन

- प्रस्तुति शतायु

हमें फॉलो करें रावण की पूजा का प्रचलन
ND

क्या रावण का मंदिर बनाकर उसकी पूजा की जानी चाहिए? यदि लोग ऐसा करने लगे तो फिर अच्छे-बुरे का फर्क ही क्या रह जाएगा। जो बुराई के खिलाफ हैं वे कदाचित इस तरह की बातों का पक्ष नहीं लेंगे।

भारत में कई ऐसे गाँव हैं जहाँ रावण का पुतला नहीं जलाया जाता बल्कि दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है। मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में एक गाँव है जहाँ राक्षसराज रावण का मंदिर बना हुआ है। यहाँ रावण की पूजा होती है। मध्यप्रदेश में पहला और देश में संभवतया यह दूसरा मंदिर है।

मध्यप्रदेश के ही प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मंदसौर में भी रावण की पूजा की जाती है। मंदसौर नगर के खानपुरा क्षेत्र में रावण रूण्डी नामक स्थान पर रावण की विशालकाय मूर्ति है। किंवदंती है कि रावण दशपुर (मंदसौर) का दामाद था। रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी मंदसौर की निवासी थीं। मंदोदरी के कारण ही दशपुर का नाम मंदसौर माना जाता है।

webdunia
WD
उत्तरप्रदेश में गौतमबुद्ध नगर जिले के बिसरख गाँव में भी रावण का मंदिर निर्माणाधीन है। मान्यता है कि गाजियाबाद शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर गाँव बिसरख रावण का ननिहाल था। नोएडा के शासकीय गजट में रावण के पैतृक गाँव बिसरख के साक्ष्य मौजूद नजर आते हैं। इस गाँव का नाम पहले विश्वेशरा था, जो रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा। कालांतर में इसे बिसरख कहा जाने लगा।

जोधपुर शहर में भी लंकाधिपति रावण का मंदिर है जहाँ दवे, गोधा एव श्रीमाली समाज के लोग रावण की पूजा-अर्चना करते हैं। ये लोग मानते हैं कि जोधपुर रावण की ससुराल थी। रावण के वध के बाद रावण के वंशज यहाँ आकर बस गए थे। उक्त समाज के लोग स्वयं को रावण का वंशज मानते हैं।

महाराष्ट्र के अमरावती और गढ़चिरौली जिले में 'कोरकू' और 'गोंड' आदिवासी रावण और उसके पुत्र मेघनाद को अपना देवता मानते हैं। अपने एक खास पर्व 'फागुन' के अवसर पर वे इसकी विशेष पूजा करते हैं। इसके अलावा, दक्षिण भारत के कई शहरों और गाँवों में भी रावण की पूजा होती है।

मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के चिखली ग्राम में ऐसी मान्यता है कि यदि रावण को पूजा नहीं गया तो पूरा गाँव जलकर भस्म हो जाएगा इसीलिए वहाँ भी रावण का दहन नहीं किया जाता बल्कि दशहरे पर रावण की पूजा होती है। गाँव में ही रावण की विशालकाय मूर्ति स्थापित है।

इस तरह हम देखते हैं कि ऐसे अनेक स्थान हैं जहाँ रावण की पूजा-अर्चना की जाती है और रावण को बुराई का प्रतीक नहीं माना जाता। माना जाता है कि रावण महात्मा और महापंडित था। रामायण में रावण की अच्छाई के भी कई किस्से मिलते हैं।

और भी....
...जहाँ रावण भी पूजा जाता है
...तो भस्म हो जाएगा पूरा गाँव
भारत में बनेगा रावण का पहला मंदिर

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi