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(आशा द्वितीया)
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यमलोक जाने का रास्ता देखेंगे?

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भारत एक मंदिर प्रधान देश है, जहां हर छोटे-बड़े, खरे-खोटे, देवी-देवता, फिल्मी सितारों और नेताओं के मंदिर हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यमराज का भी कोई मंदिर है? इस प्रश्न का उत्तर है- हां। अगर यमराज का मंदिर न हो तो मृत्यु के बाद स्‍थूल शरीर तो जहां का तहां रह जाता है लेक‌िन सूक्ष्म शरीरों को यमदूत यमलोक कैसे पहुंचाएंगे? इसके लिए भी एक व्यवस्था है ज‌िसके बारे में गरूड़ पुराण, कठोपन‌िषद, व‌िष्‍णु पुराण में उल्लेख म‌िलता है। 
गरूड़ पुराण में तो भगवान व‌िष्‍णु अपने वाहन गरूड़ को यमलोक के मार्ग, यमराज, नर्कलोक की रूपरेखा, नर्क में म‌िलने वाली सजा और पुनर्जन्म के बारे में भी बताते हैं, लेक‌िन इन सबसे हटकर कुछ ऐसे रहस्य भी हैं ज‌िसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। मरने के बाद तो हर व्यक्त‌ि और जीव की आत्मा यमलोक में पहुंचती है लेक‌िन आप चाहें तो यमलोक जाने वाले मार्ग पर जीते-जी अपने शरीर के साथ जा सकते हैं और अगर आपका कलेजा मजबूत है तो आप उस स्‍थान को भी देख सकते हैं।
 
ह‌िमाचल प्रदेश को 'देवभूम‌ि' के रूप में जाना जाता है, यहां के चंबा ज‌िले के भरमौर नामक स्थान पर यमराज का भी एक मंद‌िर है। कहते हैं कि यमदूत मरने के बाद आत्माओं को सबसे पहले यहीं पर लेकर आते हैं और उन्हें इकट्ठा करते हैं। किसी घर की तरह द‌िखने वाला यह मंद‌िर रहस्‍यों से भरा पड़ा है। कुछ लोग यहां आकर भी अंदर जाने का साहस नहीं जुटा पाते हैं। मंद‌िर में एक खाली कमरा है ज‌िसे यमराज के सच‌िव च‌ित्रगुप्त का कमरा कहा जाता है।
 
यमराज के इस मंद‌िर को 'यमराज की कचहरी' के नाम से भी लोग जानते हैं, जहां पर चित्रगुप्त अपना बही-खाता रखते हैं और आत्माओं को उनके कर्मों का हिसाब बताते हैं। कहते हैं कि यमदूत जब आत्माओं को लेकर आते हैं तब यमराज का यहां दरबार लगता है और यमराज व्यक्त‌ि की आत्मा को उनके कर्मों के अनुसार अपना फैसला सुनाते हैं। इसके बाद आत्माओं को उनके कर्मों के अनुसार यहां से स्वर्ग और नर्क भेजा जाता है। इस मंद‌िर में आने के बाद आपके सामने से एक और बड़े रहस्य का पर्दा हटेगा।
 
कहते हैं क‌ि इस मंद‌िर में 4 अदृश्य द्वार हैं, जो चारों द‌िशाओं में हैं। व्‍यक्त‌ि की आत्मा को उनके कर्मों के अनुसार यमदूत अलग-अलग द्वार से लेकर जाते हैं। गरूड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में मौजूद इस तरह के 4 द्वारों का ज‌िक्र क‌िया गया है। ये चारों द्वार सोने, चांदी, तांबे और लोहे के बने हैं। गरूड़ पुराण के अनुसार धर्मात्मा व्यक्त‌ि सोने, चांदी के द्वार से जाते हैं। तांबे के द्वार से ऐसे लोग जाते हैं ज‌िनके कर्म सामान्य होते हैं। पाप‌ियों की आत्मा को लोहे के द्वार से लेकर यमदूत जाते हैं, जो नर्क की ओर जाता है।

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