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बैकफुट पर वसुंधरा, विवादित विधेयक ठंडे बस्ते में

हमें फॉलो करें बैकफुट पर वसुंधरा, विवादित विधेयक ठंडे बस्ते में
, मंगलवार, 24 अक्टूबर 2017 (12:37 IST)
जयपुर। राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को जनप्रक्रिया संहिता में संशोधन का विधेयक प्रवर समिति को सौंप दिया गया। भारी विरोध के चलते एक तरह से यह विधेयक फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है। 
 
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्रसिंह राठौड़ ने अध्यक्ष कैलाश मेघवाल को यह जानकारी दी की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अध्यक्षता में सोमवार को हुई महत्वपूर्ण बैठक के बारे में गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया वक्तव्य देना चाहते हैं। अध्यक्ष ने इसकी अनुमति दे दी, लेकिन कांग्रेस सदस्य इसका विरोध करने लगे इससे पहले अध्यक्ष प्रतिपक्ष के नेता रामेश्वर डूडी को बोलने की अनुमति दी थी जिस पर डूडी ने किसानों की खस्ता हालत का  जिक्र करते हुए उनका कर्ज माफ करने की मांग की।
गृहमंत्री जब वक्तव्य के लिए खड़े हुए तो कांग्रेस के सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि हमें प्रश्नकाल के नाम पर बोलने नहीं दिया जा रहा है, जबकि गृहमंत्री को बोलने की अनुमति दी जा रही है। 
        
भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी भी बोलने लगे तो उनकी गृहमंत्री कटारिया से तकरार हो गई। तिवाड़ी जब गृहमंत्री के सामने आने लगे तो सत्तापक्ष के सदस्य भी उनके खिलाफ बोलने लगे। इस पर कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि तिवाड़ी को धमकाया जा रहा है।
 
इस बीच, गृहमंत्री ने दंड प्रक्रिया संहिता पर संवैधानिक प्रश्न खड़ा करने पर जवाब देते हुए कहा कि हमने चार सितंबर को ही राष्ट्रपति से स्वीकृति ले ली थी उन्होंने कहा कि अध्यादेश जारी होने के डेढ़ माह तक विपक्ष क्या सोता रहा बाद में कटारिया ने जनप्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव रखा, अध्यक्ष ने इस पर सदन की सहमति लेते हुए विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की जानकारी दी।
 
इस बीच, कांग्रेस सदस्यों ने किसानों के कर्ज माफी का मुद्दा उठा दिया तथा आसन के सामने आकर नारेबाजी करने लगे। अध्यक्ष ने प्रश्नकाल शुरू करते हुए प्रश्नकर्ता का नाम पुकारा जिस पर परिवहन मंत्री यूनुस खान ने शोरगुल में ही जवाब दिया सदस्यों ने पूरक प्रश्न भी किए लेकिन शोरगुल में सुनाई नहीं दिया। 
 
उल्लेखनीय है कि विपक्ष समेत भाजपा के भी विधायकों ने सरकार के इस विधेयक का विरोध किया था। इस विधेयक के पारित हो जाने पर सरकारी अधिकारी कर्मचारियों समेत जनप्रतिनिधियों के खिलाफ एफआईआर सरकार की अनुमति के बाद ही संभव हो पाएगी। (एजेंसियां/वेबदुनिया)

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