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तलाक पीड़िता का दर्द, ससुर के बाद अब देवर के साथ हलाला की शर्त

हमें फॉलो करें तलाक पीड़िता का दर्द, ससुर के बाद अब देवर के साथ हलाला की शर्त
, सोमवार, 9 जुलाई 2018 (19:49 IST)
बरेली (यूपी)। बरेली में तीन तलाक और हलाला का चौंकाने वाला एक कथित मामला सामने आया है। एक शख्स पर उसकी बीवी ने पहले तलाक देकर घर से निकालने और फिर से साथ रखने के लिए अपने ही ससुर के साथ ‘हलाला’ कराने और दोबारा तलाक देने के बाद अब देवर से हलाला कराने की जिद करने का आरोप लगाया है।
 
बरेली शहर के बानखाना निवासी शबीना ने रविवार को आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष निदा खान के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बताया कि उसकी शादी गढ़ी-चैकी के रहने वाले वसीम से वर्ष 2009 में हुई थी। उसका आरोप है कि दो साल बाद शौहर ने उसे तलाक देकर घर से निकाल दिया। बाद में उसी साल वसीम ने अपने पिता के साथ उसका हलाला कराया। उसके बाद वह फिर वसीम के साथ रहने लगी, मगर लड़ाई-झगड़े खत्म नहीं हुए।
 
शबीना का आरोप है कि वर्ष 2017 में उसके शौहर ने उसे फिर तलाक दे दिया। अब वह अपने भाई के साथ हलाला करने की शर्त रख रहा है। शबीना ने ऐसा करने से इंकार कर दिया है और अब वह तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह पर सख्त कानून चाहती हैं ताकि औरतें इस जुल्म से बच सकें।
 
अपने ही ससुर के साथ हलाला करने के बारे में पूछे गए एक सवाल पर शबीना ने कहा कि उनके पास इसके सिवा और कोई रास्ता नहीं था। वह तो बस अपना उजड़ा घर बसाना चाहती थी।
 
इस बीच, मुफ्ती खुर्शीद आलम ने बताया कि सबसे पहले तो यह देखना होगा कि ससुर के साथ हलाला कैसे हुआ? अगर ऐसा हुआ तो बड़ा गुनाह है। दूसरी बात, ससुर से हलाला होने पर बहू अपने पहले शौहर पर हराम हो गई। वह दोबारा अपने पहले शौहर के साथ नहीं रह सकती।
आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष निदा खान ने इस मौके पर कहा कि औरतों को तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह का दंश देने वाले मर्द शरीयत के नाम का खुलकर गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सही फैसलों के लिए जरूरी है कि शरई अदालतों (दारूल क़ज़ा) में औरतों को भी काजी बनाने की व्यवस्था की जाए।
 
उन्होंने कहा कि वह नहीं मानती कि इस्लामी कानून ऐसा है जिसके तहत एकतरफा फैसले दिए जाते हों। इस्लाम में औरतों के अधिकारों के लिए जो व्यवस्थाएं हैं, उन्हें अक्सर छुपाया जाता है ताकि उन्हें इंसाफ ना मिले।
 
निदा ने कहा कि शौहर के जुल्म से बेघर हुईं औरतें अब कानून का सहारा चाहती हैं। ऐसा सख्त कानून, जो उनका घर उजड़ने से बचाए। साथ ही उन्हें पूरी सुरक्षा भी दे सके। उन्होंने कहा कि तीन तलाक पर अभी कानून संसद में पारित नहीं हुआ है। सरकार को चाहिए कि इसमें हलाला और बहु-विवाह को भी शामिल करे। इससे लाखों औरतों की जिंदगी नर्क बनने से बच जाएगी।
 

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