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शिक्षामित्रों ने दी इस्लाम कबूल करने की चेतावनी

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सीतापुर , रविवार, 30 जुलाई 2017 (19:19 IST)
सीतापुर। उच्चतम न्यायालय के फैसले से आहत शिक्षामित्रों ने राज्य सरकार से न्याय दिलवाने की पहल करने की अपील के साथ चेतावनी दी है कि इंसाफ नहीं मिला तो वे इस्लाम धर्म कबूल कर लेंगे। 
 
शिक्षामित्रों ने शासन-प्रशासन को साफ अल्फाजों में चेतावनी दी कि यदि उनकी समस्या का समाधान न हुआ तो जिस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित कर रहे होंगे, उस समय शिक्षामित्र हिन्दू धर्म का परित्याग कर स्वेच्छा से इस्लाम कबूल कर लेंगे। शिक्षामित्रों की धमकी से प्रशासन में खलबली मच गई है। शिक्षामित्रों ने इस आशय का शपथ पत्र देकर अपने ऐलान की तस्दीक कर दी है। 
 
गौरतलब है कि 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट के निर्णय को उचित ठहराया था जिससे सहायक अध्यापक बनने का सपना देख रहे शिक्षामित्रों को करारा झटका लगा था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आहत शिक्षामित्रों ने इन दिनों प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ रखा है। 
 
सीतापुर में भी शिक्षामित्रों ने अपने हक को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाकर प्रदर्शन किया था और पुलिस बल पर पथराव कर हिंसक आंदोलन को अंजाम दिया, दूसरे दिन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर शांतिपूर्ण ढंग से धरना देकर अपनी आवाज बुलंद की। 
 
हालांकि मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामित्रों को आश्वासन दिया था कि सरकार उनके साथ अन्याय नहीं होने देगी और उनसे शांति एवं संयम बनाए रखने की अपील की थी। बावजूद इसके, रविवार को धरना प्रदर्शन में आए शिक्षामित्र विकास बाजपेई, रमेश चन्द्र, नीलेश वर्मा, अनुज कुमार श्रीवास्तव, धर्मेन्द्र पांडेय, रामप्रसाद, कमलेश वर्मा, अंजू बाजपेई, रीता मिश्रा, मनोज, सोनालिका ने शपथ पत्र देकर कहा कि यदि उनकी समस्याओं का सम्मानजनक हल नहीं निकला तो 15 अगस्त को जिस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लाल किले से राष्ट्र को संबोधित कर रहे होंगे, उस समय वे अपने साथियों के साथ स्वेच्छा से इस्लाम धर्म स्वीकार कर लेंगे।
 
शिक्षामित्रों का कहना है कि एक तरफ जहां गौरक्षा के नाम पर हिन्दूवादी संगठनों द्वारा वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है वहीं यह संगठन शिक्षामित्रों की समस्या के प्रति गंभीर नहीं है। शिक्षामित्रों का कहना है कि फैसले के बाद शिक्षामित्रों के परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं और उनका भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा है। (वार्ता)


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