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चमत्कारी हैं ‪रामचरित मानस की यह 5 चौपाइयां‬

हमें फॉलो करें चमत्कारी हैं ‪रामचरित मानस की यह 5 चौपाइयां‬
श्री रामचरित मानस पवित्र ग्रंथ है। दिव्य महाकाव्य है। इस मनोहारी काव्य से हम लाए हैं 5 ऐसी चौपाइयां जो विलक्षण रूप से असरकारी हैं। रामनवमी के शुभ अवसर पर अवश्य पढ़ें यह चौपाई और पुण्य लाभ लें। 
 
1. शत्रु को मित्र बनाने का मंत्र -
इस चौपाई के प्रभाव से आपका घोर शत्रु भी आपका मित्र बन जाएगा और वह सपने में भी आपका अहित नहीं सोचेगा -
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। 
गोपद सिंधु अनल सितलाई॥
 
बयरु न कर काहू सन कोई। 
राम प्रताप विषमता खोई॥

2. शत्रुता और शत्रु नाश का मंत्र -
 
भगवान श्रीराम के लघु भ्राता शत्रुघ्न जी का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है- शत्रु + घ्न (नाशक) अर्थात् शत्रु का विनाश करने वाले। 
 
“जाके सुमिरन तें रिपु नासा। नाम सत्रुहन बेद प्रकासा॥”
 
अर्थात् जिनके स्मरण मात्र से शत्रु का नाश होता है, उनका वेदों में प्रसिद्ध 'शत्रुघ्न' नाम है। यदि व्यक्ति सर्वप्रथम अपने शत्रु का स्मरण कर उसके बाद शत्रुघ्नजी का स्मरण कर इस चमत्कारी चौपाई का जप करता रहता है, तो शत्रुघ्नजी या तो शत्रु के हृदय से शत्रुता समाप्त कर देते हैं, या शत्रु के अत्यंत दुष्ट या आसुरी शक्ति होने पर उसे विनष्ट कर देते हैं।

3. शत्रु से मुकदमा जीतने का मंत्र -
 
यदि आपके शत्रु ने आपके ऊपर मुकदमा कर दिया है और आप उसमें सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस चौपाई का जप करें- 
 
पवन तनय बल पवन समाना। 
बुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥।

4. शत्रु का सामना करने का मंत्र-
 
यदि आप अपने शत्रु के सामने जा रहे हैं और आपके मन में घबराहट हो रही है, तो विश्वासपूर्वक इस चौपाई का जप करें -
 
 
कर सारंग साजि कटि भाथा। अरिदल दलन चले रघुनाथा।।
 

5. शत्रु से वाद-विवाद में जीतने का मंत्र यदि आप अपने शत्रु को वार्तालाप में हराना चाहते हैं, तो इस चौपाई का जप अत्यंत लाभप्रद है- 
 
“तेहि अवसर सुनि सिव धनु भंगा। आयउ भृगुकुल कमल पतंगा॥”
 
चौपाइयों को सिद्ध करने की विधि - 
रामनवमी पर इन चौपाईयों को सिद्ध करने के लिए एक छोटा सा हवन करें। यह हवन रात 10 बजे के बाद ही शुरु करें। इस हवन को करने के लिए अनिवार्य सामग्रियां जान लें और उनकी मात्रा का विशेष ध्यान रखें - 
 
हवन सामग्री- 1.चंदन का बुरादा 2. तिल 3. शुद्ध घी 4. चीनी 5. अगर 6. तगर 7. कपूर 8. शुद्ध केसर 9. नागरमोथा 10. पंचमेवा और 11. जौ। इन सभी सामग्रियों को मिलाकर 108 आहुति के लिए कुल 1 सेर यानि 80 तोला सामग्री बनाएं।

इस मिश्रण सामग्री में सामग्री का अनुपात कम ज्यादा हो सकता है लेकिन कुल 108 आहुतियों में हर आहुति लगभग पौने तोले की होगी। हवन करते समय बैठने के लिए कुश या फिर ऊन का आसन रखें और हवन करते समय धुले हुए सूती वस्त्र ही पहनें।
 
अब चौपाई को पढ़ते हुए कुल 108 आहुतियां, जिसमें प्रत्येक चौपाई पढ़ते समय 1 आहुति डालें और हवन करें। प्रत्येक आहुति डालते समय चौपाई के अंत में स्वाहा अवश्य बोलें।
 
एक दिन हवन करने से ही मंत्र सिद्ध हो जाता है। इसके बाद जब तक कार्य सफल न हो, तब तक उस चौपाई रूपी मंत्र का प्रतिदिन कम-से-कम 108 बार सुबह या रात्रि को सुविधानुसार जप करें।
 
यदि दो-तीन कार्यों के लिये दो-तीन चौपाइयों का अनुष्ठान करना चाहें, तो पहले उन्हें अलग-अलग हवन करके सिद्ध कर लें।लंकाकांड की चौपाई होने पर शनिवार को हवन करें।

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