Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

रक्षाबंधन : अटूट विश्वास का बंधन

हमें फॉलो करें रक्षाबंधन : अटूट विश्वास का बंधन

गायत्री शर्मा

ND
ND
हम सभी सामाजिक प्राणी है, जो एक-दूसरे से जुड़े रहने के लिए स्वेच्छा से रिश्तों के बंधन में बंधते है। ये बंधन हमारी स्वतंत्रता का हनन करने वाले बंधन नहीं अपितु प्रेम के बंधन होते हैं, जिसे हम जिंदादिली से जीते और स्वीकारते हैं।

हमारे समाज में हर रिश्ते को कोई न कोई नाम दिया गया है। ठीक उसी तरह आदमी और औरत के भी कई रिश्ते हो सकते हैं, मगर उन रिश्तों में सबसे प्यार रिश्ता 'भाई-बहन' का रिश्ता होता है। यह रिश्ता हर रिश्ते से मीठा और प्यारा रिश्ता होता है क्योंकि इस रिश्ते में मिठास भरता है भाई-बहन का एक-दूसरे के प्रति प्रेम व विश्वास।

यह विश्वास प्रतीक रूप में भले ही रेशम की कच्ची डोर से बँधा होता है परंतु दोनों के मन की भावनाएँ प्रेम की एक पक्की डोर से बँधी रहती है, जो रिश्तों की हर डोर से मजबूत डोर होती है। यही प्रेम रक्षाबंधन के दिन भाई को अपनी लाड़ली बहन के पास खीच लाता है।

रक्षाबंधन केवल एक त्योहार नहीं बल्कि हमारी परंपराओं का प्रतीक है, जो आज भी हमें अपने परिवार व संस्कारों से जोड़े रखे हैं। रक्षाबंधन बहन की रक्षा की प्रतिबद्धता का दिन है, जिसमें भाई हर दुख-तकलीफ में अपनी बहन का साथ निभाने का वचन देता है। यही वह वचन है, जो आज के दौर में भी भाई-बहन को विश्वास के बँधन से जोड़े हुए है।

यही वह त्योहार है, जिसे बहन अपने घर अर्थात अपने मायके में मनाती है। तभी तो हर रक्षाबंधन पर बहन जितनी बेसब्री से अपने भाई के आने का इंतजार करती है उतनी ही शिद्दत से भाई भी अपनी बहन से मिलकर उसका हालचाल जानने को उसके पास ‍खिंचा चला आता है और भाई और बहन का मिलन होता है, तब सारे गिले-शिकवे दूर होकर माहौल में बस हँसी-ठिठौली के स्वर ही गुँजायमान होते हैं, जो खुशियों का पर्याय होते हैं।

आप भी इस त्योहार को प्यार के साथ बनाएँ तथा इस दिन अपनी बहन को उसकी खुशियाँ उपहारस्वरूप दें। याद रखें यह रिश्ता, जितना मजबूत और प्यारा रिश्ता है उतना ही कमजोर भी इसलिए रिश्ते की इस डोर को सदैव मजबूती से थामे रखें।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi