Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

भैया मेरे रा‍खी के बंधन को निभाना...

हमें फॉलो करें भैया मेरे रा‍खी के बंधन को निभाना...

राजश्री कासलीवाल

WD
'भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना.... ! इस गीत को जब आप गुनगुनाते हैं तब दिल में एक अजीब-सी हलचल पैदा होती है। दिल कुछ अलग ही गुनगुनाने लगता है। लेकिन आज के युग में हर त्योहार का महत्व कुछ कम हो गया है। त्योहार मनते तो सभी हैं परंतु उसमें दिखावटीपन काफी हद तक बढ़ चुका है। फैशन के इस बढ़ते युग में त्योहार की कुछ खास कडि़याँ पीछे छूट जाती है।

भागदौड़ भरी जिंदगी, फैशनेबल और स्टेट्‍ससिंबल का दिखावा बढ़ने के कारण ये त्योहार पुराने जमाने के रीति-रिवाजों को कहीं पी‍छे छोड़ आए हैं। अब जहाँ एक भाई राखी की डोर के बंधन को पूरी ईमानदारी से निभाता है। वहीं कई ऐसे भी हैं जो जरा-सी बोलचाल, जरा-सा झगड़ा होने पर एक-दूसरे से लड़ाई-झगड़ा करने के साथ-साथ मारपीट से लेकर मर्डर करने पर उतारू हो जाते हैं।

webdunia
ND
जब बेटी की शादी होकर वह अपने मायके से ससुराल के लिए रवाना होती है तो उसे सबसे ज्यादा याद अपने भाई, माता-पिता की आती है। ऐसे समय जब राखी का त्योहार आता है तो बहन को सबसे ज्यादा अपने प्यारे भैया का इंतजार होता है। भैया जो कि उसका सखा भी होता है और सहेली भी।

बचपन में अपने भाई के साथ बिताए गए वो दिन उस बहना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और यादगार साबित होते हैं। जब वह ससुराल में होती है। उसे भाई के द्वारा दिए गए उस रक्षा वचन का इंतजार उसे हमेशा रहता है। भाई के मायने बहुत बड़े पैमाने पर होते हैं। बहन चाहे नई नवेली दुल्हन हो या फिर सालों पहले उसकी शादी हो गई हो, भाई के रूप का महत्व तो हमेशा वैसा ही रह‍ता है। वह कभी कम या ज्यादा नहीं होता।

इसलिए भाइयों को भी चाहिए कि समय भले ही कैसा भी हो, कितना भी बदल जाए लेकिन उसे उस डोर के वचन का रिश्ता हमेशा निभाना चाहिए। तभी सारी बहनें दिल से गुनगुना सकेंगी यह गीत 'भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना....' 'भैया मेरे...'

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi