Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(द्वादशी तिथि)
  • तिथि- चैत्र शुक्ल द्वादशी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00
  • व्रत/मुहूर्त-विष्णु द्वादशी, मदन द्वादशी
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

अफ्रीकियों का प्राचीन और पारंपरिक धर्म कौन-सा है?

हमें फॉलो करें अफ्रीकियों का प्राचीन और पारंपरिक धर्म कौन-सा है?

अनिरुद्ध जोशी

, बुधवार, 2 मई 2018 (14:19 IST)
map is not to scale
अफ्रीका महाद्वीप दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है। विश्व की सबसे लंबी नील नदी और सबसे अधिक जलराशि की जायरे नदी अफ्रीका में ही बहती है। यहीं पर दुनिया के सबसे घने जंगल पाए जाते हैं। पशु और पक्षियों की सबसे ज्यादा प्रजातियां भी यहीं पर पाई जाती है। इसे मनुष्‍यों की आदिम भूमि भी कहा जाता है। यहीं पर सहारा और कालाहारी  रेगिस्तान है। ऐसे में निश्चित ही यहीं पर दुनिया का सबसे आदिम धर्म भी रहा ही होगा। हालांकि ताजा शोध से अफ्रीका से भी प्राचीन भूमि गोंडवाना थी।
 
ईसाई धर्म और इस्लाम से पहले अफ्रीका में कई तरह के धर्म प्रचलित थे जिनमें से आज भी कुछ धर्म प्रचलन में है। लेकिन अब इस्लामिक कट्टरता और ईसाई वर्चस्व के दौर के चलते उनका अस्तित्व लगभग खत्म होता जा रहा है। एक सर्वे के अनुसार विश्व की आबादी में अफ्रीका के मूल या पृथक धर्म की आबादी लगभग 5.59 फीसदी है अर्थात इनकी संख्या 40 करोड़ के आसपास है, जो कि एक बड़ा आंकड़ा है।
 
 
इन्हीं धर्मों में सबसे ज्यादा प्रचलित है एक धर्म वुडू है। इसे पूरे अफ्रीका का धर्म माना जा सकता है। कै‍रिबीय द्वीप समूह में आज भी यह जादू की धार्मिक परंपरा जिंदा है। इसे यहां वूडू कहा जाता है। वर्तमान में बनीन देश का उइदा गांव वूडू बहुल क्षेत्र है। यहां सबसे बड़ा वूडू मंदिर है, जहां विचित्र देवताओं के साथ रखी हैं जादू-टोने की वस्तुएं। धन-धान्य, व्यापार और प्रेम में सफलता की कामना लिए अफ्रीका के कोने-कोने से यहां लोग आते हैं।
 
 
नाम कुछ भी हो, पर इसे आप आदिम धर्म कह सकते हैं। यह धर्म अफ्रीका की आदिम जातियों, आदिवासियों का प्रारंभिक धर्म रहा है। अफ्रीका के हर देश में इसका नाम और थोड़े बहुत फेरबदल के साथ तरीका अलग हो सकता है, लेकिन यह है झाड़-फूंक, जादू-टोने, काल्पनिक देवता और कबीले की प्राचीन परंपरा का धर्म। इसे लगभग 6,000 वर्ष से भी ज्यादा पुराना धर्म माना जाता है। ईसाई और इस्लाम धर्म के प्रचार-प्रसार के बाद इसके मानने वालों की संख्या घटती गई और आज यह पश्चिम अफ्रीका के कुछ इलाकों में ही सिमटकर रह गया है। 
 
वूडू प्रकृति के पंचतत्वों पर विश्वास करते हैं। जैसा की भारत के आदिवासियों में समूह में गाने और नाचने की परंपरा है वैसा ही वूडू नर्तक परंपरागत ढोल-डमरूओं की ताल पर नाच कर देवताओं का आह्वान करते हैं। ये प्रार्थनागत नाच गाना कई घंटों तक चलता है।
 
हालांकि वूडू को आप बंजारों, आदिवासियों, जंगल में रहने वालों का काल्पनिक या पिछड़ों का धर्म मानते हैं, लेकिन गहराई से अध्ययन करने पर पता चलता है कि वूडू की परंपरा आज के आधुनिक धर्म में भी न्यू लुक के साथ मौजूद है। भारत में तांत्रिकों और शाक्तों का धर्म कुछ-कुछ ऐसा ही माना जा सकता है। क्या चर्च में भूत भगाने के उपक्रम नहीं किए जाते? बहुत-सी बातें काल्पनिक और अवैज्ञानिक हो सकती है, लेकिन वूडू के रहस्यमय ज्ञान की ताकत से आप बच नहीं सकते।


वर्तमान में अफ्रीका में अधिकांश लोग या तो इस्लाम को मानते हैं या ईसाई धर्म को। वर्ल्ड बुक विश्वकोष के अनुसार अफ़्रीका का सबसे बड़ा मान्य धर्म इस्लाम हो चला है। यदि प्रतिशत के हिसाब से देखें तो कुल जनसंख्या का 45 प्रतिशत भाग मुस्लिम है और 40 प्रतिशत भाग ईसाई। बाकी 14 प्रतिशत अन्य धर्म के लोग रहते हैं। इस्लामिक और ईसाई कट्टरता के दौर में अफ्रीका के अधिकतर देश गृहयुद्ध या दंगों की विभिषिका से गुजर रहे हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आपको चाहिए आर्थिक तंगी से छुटकारा, राशि अनुसार उपाय देंगे धन मनचाहा