Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सूर्य अर्घ्य का पवित्र पर्व छठ, 8 जरूरी बातें

हमें फॉलो करें सूर्य अर्घ्य का पवित्र पर्व छठ, 8 जरूरी बातें
सूर्य अर्घ्य का पवित्र पर्व छठ 23 अक्टूबर से आरंभ हो रहा है। छठ सूर्य की उपासना का पर्व है। यह प्रात:काल में सूर्य की प्रथम किरण और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य देकर पूर्ण किया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश में प्रचलित है। 
 
1 . छठ पूजा के दौरान केवल सूर्य देव की उपासना की जाती है, अपितु सूर्य देव की पत्नी उषा और प्रत्यूषा की भी आराधना की जाती है अर्थात प्रात:काल में सूर्य की प्रथम किरण ऊषा तथा सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है। 
 
2 . पहले यह पर्व पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता था, लेकिन अब इसे देशभर में मनाया जाता है।  पूर्वी भारत के लोग जहां भी रहते हैं, वहीं इसे पूरी आस्था से मनाते हैं।
 
3 . छठ की व्रतधारी महिलाएं लगातार 36 घंटे का कठोर व्रत रखती हैं। इस दौरान वे पानी भी ग्रहण नहीं करती। पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है। 
 
4 . बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का दृश्य भक्तिमय होता है। सभी छठ व्रती नदी या तालाब के किनारे एकत्रित होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं। 
 
5. छठ का व्रत बहुत कठोर होता है। चार दिवसीय इस व्रत में व्रती को लगातार उपवास करना होता है। इस दौरान व्रती को भोजन तो छोड़ना ही पड़ता है। इसके अतिरिक्त उसे भूमि पर सोना पड़ता है। व्रती बिना सिलाई वाले वस्त्र पहनते हैं। 
 
6. छठ महोत्सव के दौरान छठ के लोकगीत गाए जाते हैं, जिससे सारा वातावरण सुरीला और भक्तिमय हो जाता है। 'कईली बरतिया तोहार हे छठी मैया’ जैसे लोकगीतों पर मन झूम उठता है। 
 
7.  छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है। चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदियमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रती वहीं पुनः एकत्र होते हैं, जहां उन्होंने संध्या के समय सूर्य को अर्घ्य दिया था और पुन: सूर्य को अर्घ्य देते हैं।  
 
8 . सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की थी. वह प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देता था। बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में इस व्रत को अत्यंत पवित्र माना गया है। 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अत्यंत प्रभावशाली और शुभ है यह सूर्य कवच