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अखबारों में छाई 'आप' और भाजपा की जीत

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, सोमवार, 9 दिसंबर 2013 (19:06 IST)
देश के चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों से देशभर के समाचार पत्र रंगे हुए हैं। राजधानी नई दिल्ली से 9 दिसंबर को प्रकाशित होने वाले अधिकतर समाचार पत्रों ने मुख्य रूप से दिल्ली सहित चार राज्यों के चुनाव परिणामों को प्रमुखता से छापा है।

समाचारों में जहां भाजपा और चुनावी राजनीति के सबसे नए खिलाड़ी आम आदमी पार्टी (आप) से संबंधित समाचारों और तस्वीरों को प्रमुखता दी गई है वहीं कुछ समाचार पत्रों ने अधिक उत्साह दिखाते हुए अपने शीर्षकों में भाजपा को चारों राज्यों में जीत दिला दी। जबकि वास्तविकता यह है कि दिल्ली में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला और कोई भी अपने बूते पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। इस तरह तीन राज्यों में ही भाजपा को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ है।

ज्यादातर समाचार पत्रों ने अपने पहले से लेकर आखिरी पन्ने तक चुनाव परिणामों से संबंधित खबरों, फोटो, ग्राफिक्स, कार्टून्स को प्रमुखता दी है। इनमें चुनाव परिणाम से जुड़ी प्रवृत्तियों को भी समझाने का प्रयास किया है। उल्लेखनीय है कि विदेशी समाचार पत्रों ने भारत के इन अहम चुनावों को अधिक प्रमुखता तो नहीं दी, लेकिन इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की दुर्गति को प्रमुखता से छापा है। नवभारत टाइम्स का समाचार है- 'तीन राज्यों में बीजेपी की जीत, लेकिन राजधानी में बहुमत पर झाड़ू फेरी केजरीवाल ने।'

गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी का चुनाव चिन्ह झाड़ू थी जो दिल्ली के चुनावों में खूब चली। इसलिए समाचारों में झाडू चलना, फिरना और झाड़ू डांस जैसे जुमलों को अखबारों में प्रमुखता से जगह मिली। समाचार पत्र ने दिल्ली की विधानसभा में त्रिशंकु की स्थिति को देखते हुए यह आशंका भी जाहिर की है कि राज्य में ‍फिर एक बार चुनावों की जरूरत पड़ सकती है।

अमर उजाला ने 'कांग्रेस चित, भाजपा का परचम' लहरा दिया। समाचार पत्र लिखता है कि राजनीतिक महत्व के लिहाज से दिल्ली की सत्ता के लिए सेमीफाइनल माने जाने वाले इन चुनावों में भाजपा का जबर्दस्त परचम लहरा रहा है जबकि कांग्रेस चारों खाने चित हो गई है। दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की आशंका को जाहिर करने के साथ अखबार ने लिखा है- 'आप' की अद्‍भुत जीत। दैनिक भास्कर ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों को खास महत्व देते हुए लिखा- आप ने रोका भगवा रथ। एक और प्रमुख दैनिक 'दैनिक जागरण' लिखता है- 'कांग्रेस पर चला झाड़ू।' अन्य समाचार पत्रों की तरह इसने भी दिल्ली के नतीजों को आश्चर्यजनक करार दिया है।

दैनिक जागरण लिखता है कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की (हैरी पॉटर जैसी) जादुई झाड़ू ने दिल्ली में भाजपा की आंधी को थाम दिया। समाचार पत्रों ने 'आप' के संयोजक अरविंद केजरीवाल को राजनीति का नया हीरो बताया है। वहीं नई‍दुनिया का सबसे ज्यादा जोर है एक पार्टी विशेष पर और इसका शीर्षक है- भाजपा सबसे बड़ी पार्टी। इसमें एक विशेष सम्पादकीय भी लिखा गया है जिसमें 'आम आदमी का हाथ कांग्रेस के खिलाफ' शीर्षक से‍ लिखे विशेष सम्पादकीय में कहा गया है कि 'प्राप्त चुनाव परिणामों को चारों राज्यों की जनता का कांग्रेस के भ्रष्टाचार और उसके अतिरंजित अहंकार के साथ बचाव करने के प्रति व्यक्त हुआ आक्रोश माना जाना चाहिए।'

वहीं जनसत्ता लिखता है- 'कांग्रेस साफ, भाजपा‍ खिली, आगे 'आप'। अगले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल समझे जा रहे चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस का घमंड चूर-चूर कर दिया है। जो कांग्रेस अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के वजूद को स्वीकार करने को तैयार नहीं थी, वही 'आप' आज कांग्रेस को निगल गई। एक अन्य दैनिक हिंदुस्तान ने शीर्षक दिया है- 'केजरीवाल ने झाड़ू ‍फिराई' और अखबार ने झाड़ू लिए 'आप' कार्यकर्ताओं की तस्वीर भी प्रकाशित की है। अंग्रेजी दैनिक 'इंडियन एक्सप्रेस' ने इसे 'एंटी कांग्रेस वेव' या कांग्रेस विरोधी लहर का नाम दिया है।

इस अखबार की राय है कि इन चुनावों से भाजपा को 2014 के लोकसभा चुनाव पर अपनी पकड़ मजबूत होती दिख रही है, वहीं विधानसभा चुनाव परिणामों से विचलित कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि पार्टी प्रधानमंत्री का दावेदार चुनेगी। टाइम्स ऑफ इंडिया का शीर्षक है, 'बीजेपी विनर, कांग्रेस जीरो, आप हीरो।' इसने भी दिल्ली में त्रिशंकु विधानसभा को देखते हुए एक बार और ‍विधानसभा चुनाव की आशंका जताई है। द हिंदू लिखता है, 'कांग्रेस स्कॉर्च्ड बाइ बीजेपीज मैसिव विन' या भाजपा की बड़ी जीत से कांग्रेस झुलसी। हिंदुस्तान टाइम्स का शीर्षक है, 'डेल्ही ब्रूम, बीजेपीज स्वीप' यानी' दिल्ली में झाड़ू और भाजपा ने की सफाई।'

डेली मेल ऑनलाइन इंडिया का शीर्षक है- 'डेल्ही गेट्‍स एन आपो-कैलिप्स (अपाकलिप्स), केजरीवाल्स पार्टी बरीज कांग्रेस एंड ब्लॉक्स बीजेपी फ्रॉम ए क्लीयर विन इन द कैपिटल। ‍‍‍‍दिल्‍ली को नया इलहाम (बोध), केजरीवाल की पार्टी ने राजधानी में कांग्रेस को दफनाया और भाजपा को स्पष्ट जीत पाने से रोका। एक अन्य समाचार में कहा गया है कि शीला स्टैंड्‍स डाउन, शीला पतन की ओर। भारत की लम्बे समय तक महिला मुख्यमंत्री ने तीन बार जीत के बाद हार मानी। फाइनेंशियल लिखता है कि मोदी की उम्मीद में भारतीय बाजारों में उछाल (इंडियन मार्केट्‍स हिट न्यू हाई ऑन मोदी होप्स)। भारत की सत्तारुढ़ पार्टी की चुनावों में बुरी तरह हार।

न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है- भारत के राज्यों के चुनावों में कांग्रेस पार्टी हारी। रिपोर्टर एलीन बैरी और हरि कुमार लिखते हैं कि स्वतंत्रता बाद की भारतीय राजनीति पर प्रभुत्व रखने वाले वंश की कमजोर होती ताकत का इन चुनावों ने संकेत दिया है। इसी तरह सिडनी मॉर्निंग हेरल्ड लिखता है कि राज्य चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को करारा धक्का लगा। ब्रिटेन का प्रमुख दैनिक गार्जियन लिखता है कि नए भारतीय दल ने एक नई क्रांति का शंखनाद किया। कांग्रेस का जनाधार समाप्ति की ओर आगे बढ़ा।

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