Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
  • तिथि- वैशाख कृष्ण प्रतिपदा
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त- कच्छापवतार, सत्य सांईं महा.दि.
  • राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
webdunia
Advertiesment

नवरात्रि : अखंड दीप प्रज्वलन और कलश स्थापना की विधि

हमें फॉलो करें नवरात्रि : अखंड दीप प्रज्वलन और कलश स्थापना की विधि
webdunia

आचार्य राजेश कुमार

चैत्र नवरात्रि में अखंड दीप जलाने और कलश स्थापना का विशेष महत्व है। आइए जानें यह दोनों पवित्र कार्य कैसे करें.... 
 
कलश स्थापना के लिए
 
सबसे पहले जौ को फर्श पर डालें, उसके बाद उस जौ पर कलश को स्थापित करें। फिर उस कलश पर स्वास्तिक बनाएं उसके बाद कलश पर मौली बांधें और उसमें जल भरें। कलश में अक्षत, साबुत सुपारी, फूल, पंचरत्न और सिक्का डालें।
 
अखंड दीप जलाने का विशेष महत्व
 
दुर्गा सप्तशती के अनुसार नवरात्रि की अवधि में अखंड दीप जलाने का विशेष महत्व है। जिस घर में अखंड दीप जलता है वहां माता दुर्गा की विशेष कृपा होती है।
 
लेकिन अखंड दीप जलाने के कुछ नियम हैं, इसमें अखंड दीप जलाने वाले व्यक्ति को जमीन पर ही बिस्तर लगाकर सोना पड़ता है। किसी भी हाल में दीपज्योति बुझना नहीं चाहिए और इस दौरान घर में भी साफ सफाई का खास ध्यान रखा जाना चाहिए।
 
माता दुर्गा नवरात्र में नौ दिनों तक अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। नवरात्र के नौ दिनों में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
 
पूजन विधि 
 
देवी का कोई भी चित्र, प्राण-प्रतिष्ठायुक्त यंत्र तथा पूजन-आरती करना चाहिए। रुद्राक्ष की माला से जप संकल्प आवश्यक है।  जप के पश्चात अपराध क्षमा स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, देवी सूक्त, रात्र‍ि सूक्त, कवच तथा कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें। गणेश पूजन आवश्यक है। ब्रह्मचर्य, सात्विक भोजन करने से सिद्धि सुगम हो जाती है। 
 
कलश स्थापना का विधान
 
माता की मूर्ति या तस्वीर के सामने कलश मिट्टी के ऊपर रखकर हाथ में अक्षत, फूल, और गंगाजल लेकर वरुण देव का आह्वान करें। कलश में सर्वऔषधि एवं पंचरत्न डालें। कलश के नीचे रखी मिट्टी में सप्तधान्य और सप्तमृतिका मिलाएं। आम के पत्ते कलश में डालें। एक कलश के ऊपर पात्र में अनाज भरकर इसके ऊपर एक दीप जलाएं। एक कलश में पंचपल्लव डालें इसके ऊपर एक पानी वाला नारियल रखें जिस पर लाल रंग का वस्त्र लपेटा हो। अब कलश के नीचे मिट्टी में जौ के दानें फैला दें। इसके बाद देवी का ध्यान करें-
 
सर्व मंगल मांगल्यै, शिवे सर्वार्थ साधिके, 
शरण्यै त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

18 से 26 मार्च तक चैत्र नवरात्र : महत्व और पूजन मुहूर्त