Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(द्वादशी तिथि)
  • तिथि- चैत्र शुक्ल द्वादशी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00
  • व्रत/मुहूर्त-विष्णु द्वादशी, मदन द्वादशी
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

नवरात्रि 2018 : जानिए दुर्गा पूजन का महत्व...

हमें फॉलो करें नवरात्रि 2018 : जानिए दुर्गा पूजन का महत्व...
, मंगलवार, 13 मार्च 2018 (11:53 IST)
नवरात्रि में नवदुर्गा के पूजन से क्या मिलते हैं फल, जानिए... 
 
आइए, जानें देवी के नवरूप व पूजन से क्या फल मिलते हैं? वैसे फल की इच्छा न करते हुए भी पूजा करना चाहिए।
 
1. शैलपुत्री- मां दुर्गा का प्रथम रूप है शैलपुत्री। पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म होने के कारण इन्हें 'शैलपुत्री' कहा जाता है। नवरात्र की प्रथम तिथि को शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनके पूजन से भक्त सदा धन-धान्य से परिपूर्ण पूर्ण रहते हैं।
 
2. ब्रह्मचारिणी- मां दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। मां दुर्गा का यह रूप भक्तों और साधकों को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाला है। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है।
 
3. चन्द्रघटा- मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप चन्द्रघंटा है। इनकी आराधना तृतीया को की जाती है। इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है, वीरता के गुणों में वृद्धि होती है, स्वर में अद्वितीय अलौकिक माधुर्य का समावेश होता है तथा आकर्षण बढ़ता है।
 
4. कूष्मांडा- चतुर्थी के दिन मां कूष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों व निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु व यश में वृद्धि होती है।
 
5. स्कंदमाता- नवरात्रि का पांचवां दिन आपकी उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायिनी हैं। मां अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।
 
6. कात्यायनी- मां का छठा रूप कात्यायनी है। छठे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में सक्षम बनाती है। इनका ध्यान गोधूलि बेला में करना होता है।
 
7. कालरात्रि- नवरात्रि की सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की आराधना का विधान है। इनकी पूजा-अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है। तेज बढ़ता है।
 
8. महागौरी- देवी का आठवां रूप मां गौरी है। इनका अष्टमी के दिन पूजन का विधान है। इनकी पूजा सारा संसार करता है। पूजन करने से समस्त पापों का क्षय होकर कांति बढ़ती है, सुख में वृद्धि होती है व शत्रुशमन होता है।
 
9. सिद्धिदात्री- मां सिद्धिदात्री की आराधना नवरात्रि की नवमी के दिन की जाती है। इनकी आराधना से जातक को अणिमा, लघिमा, प्राप्ति प्राकाम्य, महिमा, ईशीत्व, सर्वकामावसान्यिता, दूरश्रवण, परकाया प्रवेश, वाक् सिद्धि, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों व नव निधियों की प्राप्ति होती है।
 
आज के युग में कोई भी व्यक्ति इतना कठिन तप तो नहीं कर सकता, लेकिन अपनी शक्तिनुसार जप-तप व पूजा-अर्चना कर कुछ तो मां की कृपा का पात्र बनता ही है। वाक् सिद्धि व शत्रुनाश हेतु मंत्र भी बता देते हैं जिनका विधि-विधान से पूजन-जाप करने से निश्चित ही फल मिलता है।
 
ॐ ह्रीं बगुलामुखी सर्वदृष्ठाना वाच मुख पद स्तंभय 
जिव्हाम कलिय बुद्धि विनाशक ही ॐ स्वाहा।
 
वाक् सिद्धि हेतु

ॐ ह्रीं दुं दुर्गायनम। ॐ बव बाग्वादिनि स्वाहा। 
 
वाक् शक्ति प्राप्ति करने वाले को मां बाघेश्वरी देवी के सम्मुख जाप करने से वाणी की शक्ति मिलती है जिससे वह जातक को कहता है व वह वातपूर्ण होती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

चन्द्र अशुभ होने के पूर्व मिलते हैं ये संकेत