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मेघालय में तीन महिलाएं जीतीं, नागालैंड में नहीं खुला खाता

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शिलांग/कोहिमा , रविवार, 4 मार्च 2018 (08:16 IST)
शिलांग/कोहिमा। पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में तीन महिलाएं विधानसभा में प्रवेश करने में सफल रहीं जबकि नगालैंड में इस बार भी कोई महिला विधानसभा के दरवाजे तक नहीं पहुंच सकी है। मेघालय विधानसभा चुनाव में 31 महिला उम्मीदवारों ने अपने भाग्य अजमाये थे जिनमें से केवल तीन को सफलता हाथ लगी।
 
राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री मुकुल संगमा की पत्नी और कांग्रेस उम्मीदवार दिक्कांची डी शिरा ने महेंद्रगंज विधानसभा सीट से 7861 मतों से चुनाव जीता। श्रीमती शिरा को 13 हजार 994 वोट मिले जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी के प्रेमानाडा कोच को 6133 वोट मिले।  
 
लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष पी ए संगमा की पुत्री अगाथा संगमा ने नेशनल पीपुल्स पार्टी के टिकट पर दक्षिण तुरा विधानसभा सीट पर भाजपा के बी ए संगमा को 1603 मतों के अंतर से हराया। सुश्री संगमा को कुल 6499 वोट हासिल हुए। 
 
मेघालय की लोक निर्माण विभाग की मंत्री डॉ. अंपारीन लिंगदोह ने पूर्वी शिलांग की अपनी सीट बरकरार रखी। डॉ. लिंगदोह ने भाजपा के नील एंटोनियों को 6074 मतों के अंतर से हराकर चुनाव जीता। वर्ष 2013 में हुए गत विधानसभा चुनाव में उन्हें 5064 मतों के अंतर से जीत हासिल हुई थी।
 
साठ सदस्यीय विधानसभा में से 59 सीटों के लिए कुल 361 उम्मीदवारों ने अपने भाग्य अजमाये थे। गत 27 फरवरी को हुए मतदान में विलियमनगर सीट पर चुनाव नहीं हुआ था क्योंकि वहां के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार जोनाथन एन संगमा का आईईडी विस्फोट में मौत हो गई थी। चुनाव आयोग की ओर से विलियमनगर क्षेत्र के लिए चुनाव की नयी तिथि अभीतक घोषित नहीं की गई है।
 
नागालैंड में इस बार पांच महिलाओं के चुनाव मैदान में होने की वजह से उम्मीद जताई जा रही थी कि पहली बार कोई महिला विधानसभा तक जरूर पहुंचेगी। लेकिन नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के टिकट पर मैदान में उतरी जिस अवान कोन्याक के जीत की अटकलें लगाई जा रही थीं, वह भी हार गईं। वह चार बार विधायक रहे एन कोन्याक की बेटी हैं। कोन्याक की बीते महीने मौत हो गई थी।
 
मतगणना के शुरुआती दौर में अवान अपनी प्रतिद्वंदी नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के ईशाक कोन्याक से 1300 से ज्यादा वोटों से आगे निकल गई थीं। लेकिन कुछ देर बाद ही तस्वीर बदली और वह 905 वोटों से हार गईं। इसके साथ ही इस बार भी कोई महिला विधायक नहीं चुनी जा सकीं।
 
साक्षरता दर ऊंची रहने और दूसरे राज्यों के मुकाबले समाज और परिवार में बेहतर अधिकार होने के बावजूद नगालैंड में अब तक कोई भी महिला विधानसभा तक नहीं पहुंच सकी है। नगालैंड विधानसभा की 60 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में किस्मत आजमाने वाले 195 उम्मीदवारों में पांच महिलाएं भी शामिल थीं। यह अब तक की सबसे बड़ी तादाद थी।
 
यही वजह है कि राज्य के महिला और सामाजिक संगठनों को इस बार महिलाओं का खाता खुलने की उम्मीद थी। नगा समाज में महिलाओं को काफी आजादी है और उनको दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा अधिकार मिले हैं। लेकिन जब बात राजनीति की आती है तो इसे महिलाओं की पहुंच से दूर रखा जाता है।
 
यही वजह है कि फरवरी, 1964 में पहली विधानसभा के गठन के बाद से ही अब तक कोई महिला चुन कर सदन में नहीं पहुंची है। वर्ष 1977 में रानो एम शाइजा पहली बार चुनाव जीत कर संसद पहुंची थी। (वार्ता) 

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