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'ब्लैक संडे' में घुटकर रह गई सिसकियां...नहीं थमेंगे आंसू

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सीमान्त सुवीर

रविवार 18 सितम्बर को जब भारत के आम लोग तड़के 3.30 बजे चैन की नींद में सोए मीठे सपनों में खोए हुए थे, तब जम्मू कश्मीर में सेना की 12वीं ब्रिगेड के हेडक्वार्टर पर सीमा की रक्षा को तैनात भारतीय जवान ड्‍यूटी पूरी करके सोने चले गए थे, लेकिन 17 जवानों को क्या पता था कि वो मौत की नींद सोने जा रहे हैं...
सीमा पार से आए आतंकी शैतान मौलाना मसूद अजहर के पांच गुर्गों ने सेना के हेडक्वार्टर की जमीन को खून से लाल कर डाला, इस खून के छींटे पूरे देश पर उड़े...इस वक्त पूरा देश गुस्से में है। पाकिस्तान की 'नापाक' हरकत का 'मुंहतोड़ जवाब' देने का जुबानी जमा पूंजी खर्च की जा रही है लेकिन यह भी सोचा है कि 'ब्लैक संडे' पर न जाने कितनी सिसकियां घुटकर रह जाएंगी और आंखों से बहते आंसुओं की धार को कौनसा रुमाल पोछ पाएगा? 
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पाकिस्तान की शह पर ही अपनी सल्तनत चलाकर मौलाना मसूद अजहर के ट्रेंड आतंकियों ने इस साल 2 जनवरी के दिन पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था और उसके बाद 18 सितम्बर के दिन उरी में सेना के हेडक्वार्टर पर साल का दूसरा हमला बोला। बहावलपुर में बैठकर खुले आम भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले मसूद अजहर पर कार्रवाई करने की हिम्मत पाकिस्तान की नंपूसक सरकार में तो बिलकुल भी नहीं है। 
 
रविवार को सुबह 5.30 बजे सेना की 12वीं ब्रिगेड के हेडक्वार्टर पर हमला हुआ... दिनभर राष्ट्रीय मीडिया हमले की खबर से देश को हिलाता रहा। नेताओं के आश्वासनों का मरहम देर रात तक लगाया जाता रहा.. पाकिस्तान की हरकतों और उसके दोगलेपन की बानगी दिखाई जाती रही.. और यह भी बताया जाता रहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ कैसे गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं। 
 
कड़वा सच तो ये है कि उरी में सेना के हेडक्वार्टर में 10 फीट की दीवार फांदकर पांच 'नामर्द' आते हैं, और वे 17 जवानों के साथ खून की होली खेलने के बाद सेना के जवानों की गोलियों से भून दिए जाते हैं। नींद में सोए हुए जवानों को इस तरह मारना कौनसी मर्दानगी है? यह लिखने में कोई गुरेज नहीं कि पाकिस्तानी सेना की सरप‍रस्ती में मौत का कायराना खेल खेलने वाले लोग और पूरी पाक सेना नामर्द है...मर्द के बच्चे होते तो सामने आकर लड़ाई लड़ते, यूं सोए हुए जवानों को हमेशा के लिए मौत की नींद नहीं सुलाते...
 
फिदायीन हमले में शहीद होने वाले डोगरा रेजीमेंट के 11 और बिहार रेजीमेंट के 6 जवान हैं। ये वही जवान हैं, जिनकी बहादुरी के कारण आप और हम अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं। रविवार का दिन तो आतंकियों के हमले की खबरें देखते-देखते बीत गया और कान प्रधानमंत्री मोदी से लेकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के आश्वासनों से पक गए...लेकिन सोमवार की सुबह जब शहीद जवानों के पार्थिव शरीर को 'ताबूत' में बंद करके उसे तिरंगे ध्वज में लपेटकर उनके घरों तक पहुंचाने की प्रक्रिया होगी, तब के नजारे को सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं...
 
शहीदों के पार्थिव शरीर जब उनके गृहनगर पहुंचेंगे तब? शहीदों के घरों में तो रविवार से ही मातम पसर गया है ..आंगन सूना, देहरी सूनी और पता नहीं इन 17 शहीदों ने कितनों की सिंदूर की लालिमा से चमकती हुई मांग सूनी कर दी होंगी...किसी ने अपना बेटा खोया होगा तो किसी ने अपना पति और किसी ने अपना पिता तो किसी ने अपना भाई...दु:ख का पहाड़ तो हर उस परिवार को ताउम्र अपने सिर ढोना होगा, जिसके घर का जवान देश पर कुर्बान हो गया होगा...जवान जरूर घर आएगा लेकिन मौत की नींद में सोया हुआ, जवान की पेटी भी आएगी, जिसमें उसकी वर्दी के साथ ढेर सारी यादें होगी, जीवनभर रुलाने के लिए...पूरा देश इन 17 शहीदों के लिए गमगीन है और सोमवार को नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि भी देगा... 
 
पिछले एक दशक में भारतीय सेना के किसी मुख्यालय पर यह अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला है। हमारे नेता कब तक उस नवाज शरीफ की बातों में आते रहेंगे, जो गिरगिट की तरह रंग बदलता है और पीठ में छूरा भोंकता है। खबरिया चैनल 'आजतक' पर सुना कि नवाज शरीफ ने 31 मई को लंदन में अपनी ओपन हार्ट सर्जरी के ठीक पहले मोदीजी को फोन करके यह कहा कि आप मेरे लिए दुआ करें..मुझे आपकी दुआओं की सख्त जरूरत है और यही नवाज शरीफ वापस पाकिस्तान जाकर खुलेआम कश्मीर छीनने का ऐलान करते हैं? निहायत ही दोगला और गंदा खेल है नवाज शरीफ का...
 
आखिर कब तक हम जवानों की कुर्बानियां देकर कूटनीति का राग अलापते रहेंगे? पाकिस्तान को उसकी ही भाषा में सबक सिखाने का वक्त आ गया है। दुनिया ये मान क्यों नहीं लेती कि पाकिस्तान एक जहरीला सांप है, जिसकी नियति में लाठी से पीट-पीटकर ही मरना लिखा है। और यदि मान भी रही है तो फिर लाठी उठाने में इतनी देर क्यों हो रही है??? अब यह समझ में आ जाना चाहिए कि लातों के भूत बातों से नहीं मानने वाले हैं...बहुत हो गई बातें, बहुत हो गई बहस, अब पाकिस्तान का गिरेबां पकड़कर पूछना होगा कि सेना के मार्के वाले हथियार भारतीय जवानों के खून से क्यों रंगे हुए हैं...

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