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संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, राम मंदिर के लिए कानून बनाए मोदी सरकार

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, गुरुवार, 18 अक्टूबर 2018 (12:57 IST)
नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को विजयादशमी भाषण में राम मंदिर, राफेल मुद्दा और सबरीमाला मंदिर विवाद पर अपनी राय रखी। विजयदशमी से पहले अपने संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर राम मंदिर बनाने का आह्वान किया। 
 
भागवत ने कहा कि मंदिर पर चल रही राजनीति को खत्म कर इसे तुरंत बनाना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि जरूरत हो तो सरकार इसके लिए कानून बनाए। 2019 के चुनावों के लिए तेज हो रही सरगर्मियों के बीच मोहन भागवत के इस बयान के राजनीतिक निहातार्थ भी निकाले जा रहे हैं।
 
मोहन भागवत ने राम मंदिर बनाने की मांग उठाते हुए परोक्ष रूप से मोदी सरकार को भी नसीहत दी। मोहन भागवत ने कहा, 'भगवान राम किसी एक संप्रदाय के नहीं है। वह भारत के प्रतीक नहीं हैं। सरकार को किसी भी तरह करे, कानून लाए। लोग यह पूछ रहे हैं कि उनके द्वारा चुनी गई सरकार है फिर भी राम मंदिर क्यों नहीं बन रहा। मोहन भागवत ने कहा कि भगवान राम भारत के गौरवपुरुष हैं और बाबर ने हमारे आत्म सम्मान को खत्म करने के लिए राम मंदिर गिराया। 
 
राम मंदिर निर्माण पर भागवत ने कहा कि श्रीराम मंदिर का बनना स्वगौरव की दृष्टि से आवश्यक है। मंदिर बनने से देश में सद्भावना व एकात्मता का वातावरण बनेगा। राष्ट्र के ‘स्व’ के गौरव के संदर्भ में अपने करोड़ों देशवासियों के साथ श्रीराम जन्मभूमि पर राष्ट्र के प्राणस्वरूप धर्ममर्यादा के विग्रहरूप श्रीरामचन्द्र का भव्य राममंदिर बनाने के प्रयास में संघ सहयोगी है।
 
संघ प्रमुख ने कहा कि देश को शक्तिशाली बनने की जरूरत है कि कोई भी देश हमसे लड़ने की हिम्मत न करे। उन्होंने कहा कि युद्ध की स्थिति में दोनों पक्षों को नुकसान उठाना पड़ता है।
 
अपने वार्षिक विजयादशमी के भाषण में राफेल सौदे पर जारी विवाद का हवाला देते हुए भागवत ने कहा कि विदेशी देशों के साथ इस तरह के करार होते रहने चाहिए लेकिन रक्षा के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनने के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि 'हमें अपनी सुरक्षा के लिए जिन चीजों की आवश्यकता है, हमें उनका उत्पादन करना चाहिए।'
 
संघ प्रमुख ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार एससी और एसटी सब प्लान के लिए आवंटित धन खर्च नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि मदद समय पर नहीं पहुंचती तो इसे मदद के रूप में नहीं देखा जा सकता। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की योजनाओं को लागू नहीं किया गया। इन योजनाओं के लिए पैसा क्यों नहीं खर्च हुआ?'
 
सबरीमाला मंदिर विवाद पर संघ प्रमुख ने कहा कि महिला और पुरुष समान माने गए हैं। उन्होंने कहा कि 'इस मामले पर हमें आपसी सहमति बनानी चाहिए थी। भक्तों से विचार-विमर्श किया जाना चाहिए था। 
 
संघ प्रमुख ने कहा कि सबरीमाला देवस्थान के संबंध में सैकड़ों वर्षों की परंपरा, जिसकी समाज में स्वीकार्यता है, उसके स्वरूप व कारणों के मूल का विचार नहीं किया गया। धार्मिक परंपराओं के प्रमुखों का पक्ष, करोड़ों भक्तों की श्रद्धा, महिलाओं का बड़ा वर्ग इन नियमों को मानता है, उनकी बात नहीं सुनी गई। (एजेंसियां)

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