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तो क्या दलित होने के कारण राष्ट्रपति कोविंद को मंदिर में नहीं मिला प्रवेश? ये है वायरल सच

हमें फॉलो करें तो क्या दलित होने के कारण राष्ट्रपति कोविंद को मंदिर में नहीं मिला प्रवेश? ये है वायरल सच
, गुरुवार, 31 मई 2018 (12:00 IST)
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 14 मई को अपने परिवार के साथ राजस्थान की तीर्थ नगरी पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर का दर्शन करने के लिए पहुंचे थे। लेकिन जैसे ही राष्ट्रपति और उनकी पत्नी की मंदिर की सीढ़ियों पर बैठकर पूजा करने की फोटो सामने आई तो सोशल मीडिया पर यह मैसेज वायरल हो गया कि दलित होने के कारण राष्ट्रपति कोविंद को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई और इसी वजह से उन्होंने सीढ़ियों पर बैठकर पूजा की।
 
सच क्या है..  
ब्रह्मा मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव और एसडीएम विष्णु कुमार गोयल ने इस वायरल मैसेज का खंडन करते हुए कहा है कि राष्ट्रपति कोविंद का मंदिर में पूजा का कार्यक्रम तय था, लेकिन राष्ट्रपति की पत्नी सविता कोविंद के पैरों में दर्द के कारण उन्होंने मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने में असमर्थता जाहिर की। मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने के लिए 50 सीढ़ियां थीं। इसलिए राष्ट्रपति के निर्देश पर प्रशासनिक अधिकारियों ने पूजा की व्यवस्था मंदिर की सीढ़ियों पर की और राष्ट्रपति कोविंद ने पत्नी के साथ मंदिर की सीढ़ी पर ही बैठकर पूजा की।
 
लेकिन, इस सच से अनजान कुछ शरारती तत्वों ने सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति के दलित होने और मंदिर में प्रवेश नहीं करने देने का मैसेज फैलाना शुरू कर दिया। इसका असर यह हुआ कि राष्ट्रपति कोविंद के कथित अपमान से नाराज़ एक सिरफिरे ने 28 मई को ब्रह्मा मंदिर के पुजारी पर जानलेवा हमला कर दिया। इस शख्स का नाम अशोक मेघवाल है। सीसीटीवी फुटेज में अशोक हाथ में धारदार हथियार लिए वार करता नजर आ रहा है। इस हमले में पुजारी बाल-बाल बचा और गर्भगृह में जाकर जान बचाई।
 
इस हमले के बाद मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था पर भी कई सवाल उठ रहे हैं। जहां सभी भक्तों को मंदिर में प्रवेश करने के लिए मेटल डिटेक्टर परीक्षण से गुजरना पड़ता है, वहां इस तरह की घटना कैसे हो सकती है।

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