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स्विस बैंकों में धन, भारत 88 से 73वें स्थान पर पहुंचा, ब्रिटेन शीर्ष पर

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ज्यूरिख/ नई दिल्ली , रविवार, 1 जुलाई 2018 (13:48 IST)
ज्यूरिख/ नई दिल्ली। स्विस बैंकों में किसी देश के नागरिक और कंपनियों द्वारा धन जमा कराने के मामले में 2017 में भारत 73वें स्थान पर पहुंच गया। इस मामले में ब्रिटेन शीर्ष पर बना हुआ है। वर्ष 2016 में भारत का स्थान इस मामले में 88वां था।
 
उल्लेखनीय है कि हाल में जारी स्विस नेशनल बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार 2017 में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में 50% की वृद्धि हुई है और यह करीब 7,000 करोड़ रुपए हो गई। 2016 में इसमें 44% की गिरावट आई थी और भारत का स्थान 88वां था।
 
इस सूची में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का स्थान भारत से 1 ऊपर यानी 72वां हो गया है, हालांकि यह उसके पिछले स्थान से 1 कम है, क्योंकि उसके द्वारा जमा किए जाने वाले धन में 2017 के दौरान 21% कमी आई है। स्विस नेशनल बैंक की रिपोर्ट में इस धन को उसकी ग्राहकों के प्रति देनदारी के रूप में दिखाया गया है इसलिए यह स्पष्ट नहीं होता कि इसमें से कितना कथित कालाधन है?
 
स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक द्वारा इन आधिकारिक आंकड़ों को सालाना आधार पर जारी किया जाता है। इन आंकड़ों में भारतीयों, अनिवासी भारतीयों और अन्य द्वारा अन्य देशों से इकाइयों के नाम पर जमा कराया गया धन शामिल नहीं है।
 
अक्सर यह आरोप लगाया जाता है कि भारतीय और अन्य देशों के लोग अपनी अवैध कमाई को स्विस बैंकों में जमा कराते हैं जिसे कर से बचने की सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है। हालांकि स्विट्जरलैंड ने भारत समेत कई देशों के साथ स्वत: सूचना साझा करने की संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे अब भारत को अगले साल जनवरी से स्विस बैंक में धन जमा करने वालों की जानकारी स्वत: मिलना शुरू हो जाएगी।
 
उल्लेखनीय है कि धन के हिसाब से 2015 में भारत का स्थान इस सूची में 75वां और 2014 में 61वां था। ब्रिटेन इस सूची में पहले और अमेरिका दूसरे स्थान पर है। शीर्ष 10 देशों की सूची में विंडीज, फ्रांस, हांगकांग, बहामास, जर्मनी, गुएर्नसे, लक्जमबर्ग और केमैन आईलैंड शामिल है।
 
ब्रिक्स देशों की सूची में चीन का स्थान 20वां, रूस का 23वां, ब्राजील का 61वां, दक्षिण अफ्रीका का 67वां है। पड़ोसी मुल्कों में मॉरीशस का स्थान 77वां, बांग्लादेश का 95वां, श्रीलंका का 108वां, नेपाल का 112वां और अफगानिस्तान का 155वां स्थान है।
 
वर्ष 1996 से 2007 के बीच भारत इस सूची में शीर्ष 50 देशों में शामिल था। उसके बाद 2008 में वह 55वें, 2009 और 2010 में 59वें, 2011 में 55वें, 2012 में 71वें और 2013 में 58वें स्थान पर रहा। (भाषा)

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