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मायावती भड़कीं, भाजपा से मांगा 10 माह का हिसाब

हमें फॉलो करें मायावती भड़कीं, भाजपा से मांगा 10 माह का हिसाब
लखनऊ , मंगलवार, 27 दिसंबर 2016 (12:36 IST)
लखनऊ। 104 करोड़ रुपए पार्टी के खाते में जमा कराने के बाद मीडिया के निशाने पर आईं बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने मंगलवार को कहा कि हमारे पास एक-एक पैसे का हिसाब है। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भगवा पार्टी को नोटबंदी से 10 महीने पहले का हिसाब जनता के सामने रखना चाहिए।
 
मायावती ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चुनावी वादाखिलाफी और नोटबंदी के कारण हो रही हार से दुखी केन्द्र की भाजपा नीत नरेन्द्र मोदी सरकार के लोग प्रशासनिक मशीनरी का दुरपयोग कर बसपा और उसके सर्वोच्च नेतृत्व की छवि खराब करने की कोशिश में लगे हैं।
 
उन्होंने कहा कि कल कुछ चैनलों और अखबारों के जरिये बसपा द्वारा बैंक में जमा कराई गई धनराशि के बारे में जो खबर आई है, उस बारे में उनका कहना है कि बसपा ने अपने नियमों के मुताबिक ही एकत्र सदस्यता शुल्क को एक नियमित प्रक्रिया के तहत हमेशा की तरह बैंक में जमा कराया है।
 
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि बड़े मुद्रा नोटों में सदस्यता शुल्क को रखने से धन लाने-ले जाने में आसानी होती है। वह खुद इस धनराशि का हिसाब-किताब करती हैं। चूंकि वह अगस्त, सितम्बर और आधे नवम्बर तक उत्तर प्रदेश में ही रहीं। इसी बीच, आठ नवम्बर को नोटबंदी का ऐलान हो गया। उसके बाद उन्होंने दिल्ली जाकर पूरे देश से आई सदस्यता शुल्क का हिसाब देखा और फिर उस धनराशि को बैंक में जमा कराया। इसमें कुछ गलत नहीं किया गया।
 
मायावती ने दावा किया कि सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने सपा और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर भाजपा के षड्यंत्र का जो पर्दाफाश किया, उससे भाजपा के लोग बुरी तरह बौखला गए हैं, इसी कारण उन्होंने कल ही हमारी पार्टी और परिवार के लोगों के बारे में घिनौनी हरकत की है। इससे बसपा को और भी राजनीतिक फायदा होगा। ये लोग घर बैठे हमारी सरकार बनाने वाले हैं। इसके लिए मैं उनका आभार प्रकट करती हूं।
 
प्रवर्तन निदेशालय ने बसपा से संबंधित एक खाते में 104 करोड़ रूपये और पार्टी प्रमुख मायावाती के भाई आनंद के खाते में 1.43 करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि जमा कराए जाने का पता लगाया है। जांच और सर्वेक्षण अभियान के तहत कल यूनियन बैंक की दिल्ली स्थित करोल बाग शाखा में छानबीन के दौरान पाया गया कि नोटबंदी के बाद इन दो खातों में बड़े पैमाने पर रकम जमा कराई गई।
 
मायावती ने कहा कि उनके छोटे भाई आनन्द कुमार से मिली जानकारी के मुताबिक उनका कहना है कि उन्होंने भी आयकर के नियमों के अनुरूप ही बैंक में धनराशि जमा कराई है। इसे बवंडर बनाया जा रहा है। इस सबको भाजपा के लोग कुछ अखबारों और चैनलों से ऐसे प्रदर्शित करा रहे हैं जैसे यह काला धन हो। उन्होंने दावा किया कि उन्हें खास सूत्रों से यह भी जानकारी मिल रही है कि भाजपा बसपा के प्रभावशाली लोगों को शिथिल करने के लिये सरकारी मशीनरी का दुरपयोग कर उन्हें परेशान कर सकती है। कुछ को परेशान किया भी जा रहा है।
 
पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि जिस अवधि में बसपा और आनन्द कुमार के खातों में धन जमा होने की बात कही जा रही है, उसी दौरान भाजपा सहित अन्य पार्टियों ने भी अपना धन बैंकों में जमा कराया है, लेकिन उनकी चर्चा नहीं होती है और ना ही मीडिया में खबरें आती हैं।
 
उन्होंने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी यह बताएं कि अगर उनमें थोड़ी सी भी सचाई और ईमानदारी है तो वे अपनी पार्टी के आठ नवम्बर से पहले के 10 महीनों के दौरान और नोटबंदी के बाद खाते में जमा कराए गए धन तथा खरीदी गयी सम्पत्ति के बारे में खुलासा करें।
 
मायावती ने कहा कि दलित विरोधी मानसिकता रखने वाली भाजपा और जातिवादी मानसिकता वाले अन्य लोग यह कतई नहीं चाहते हैं कि एक दलित वर्ग की बेटी के हाथों में देश और उत्तर प्रदेश की राजनीतिक सत्ता की मास्टर चाबी आए।
 
मायावती ने ताज कॉरिडोर प्रकरण पर भी खुलकर बोलते हुए कहा कि लोकसभा और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान बसपा को नुकसान पहुंचाने के लिए साजिश के तहत अक्सर ताज कॉरिडोर प्रकरण का इस तरह जिक्र किया जाता है जैसे बसपा मुखिया ने उसमें कोई बड़ा घोटाला किया हो। उन्होंने कहा कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ताज प्रकरण के बारे में अक्सर बोलते हैं। अब केन्द्र में उनकी पार्टी की सरकार है, अब वह देख लें कि मामला क्या है।
 
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सचाई यह है कि ताज कॉरिडोर परियोजना कुल 175 करोड़ रुपए की थी। बसपा सरकार के कार्यकाल में उस पर केवल 17 करोड़ रुपए का काम हुआ था। उस वक्त केन्द्र में भाजपा नीत सरकार थी।
 
उन्होंने कहा कि ताज गलियारा मामले का बसपा के सर्वोच्च नेतृत्व से दूर-दूर तक संबंध नहीं रहा। उनके सामने इसकी कोई फाइल भी नहीं रखी गयी थी, और ना ही किसी फाइल पर उनके हस्ताक्षर हैं। अगर इस प्रकरण में उस दौरान कोई घपला हुआ तो वह केन्द्र की तत्कालीन भाजपा सरकार और उसकी संस्था द्वारा किया हुआ माना जाएगा।
 
मायावती ने कहा, 'इन साजिशों, हरकतों और हथकंडों से यह बात साबित हो जाती है कि वर्ष 2007 की तरह 2017 में भी बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने जा रही है। वर्ष 2007 में भी उन्होंने मेरे तथा मेरे भाइयों और रिश्तेदारों के खिलाफ इससे भी कई गुना ज्यादा घिनावनी हरकतें की थीं। लेकिन इससे उन्हें मिलेगा कुछ नहीं।'
 
संवाददाताओं के एक सवाल पर बसपा मुखिया ने कहा कि नोटबंदी के खिलाफ सबसे पहले उन्होंने ही आवाज उठाई थी, इसीलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। (भाषा) 

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