Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

फिर नहीं होगी महात्मा गांधी की हत्या की जांच

हमें फॉलो करें फिर नहीं होगी महात्मा गांधी की हत्या की जांच
नई दिल्ली , बुधवार, 28 मार्च 2018 (11:52 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को महात्मा गांधी की हत्या की जांच फिर से कराने के संबंध में दायर याचिका को खारिज कर दिया।
 
न्यायमूर्ति एस. ए. बोबड़े और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिका खारिज कर दी। याचिका अभिनव भारत की ओर से मुंबई के पंकज फडनीस ने दायर की थी।
 
शीर्ष अदालत ने इस हत्याकांड की जांच नए सिरे से कराने के लिए दायर याचिका पर छह मार्च को सुनवाई पूरी कर ली थी। न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखते हुए स्पष्ट किया कि वह भावनाओं से प्रभावित नहीं होगा बल्कि याचिका पर फैसला करते समय कानूनी दलीलों पर भरोसा करेगा।
 
यह याचिका दायर करने वाले फडनीस ने इसे पूरे मामले पर पर्दा डालने की इतिहास की सबसे बड़ी घटना होने का दावा किया था।
 
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मुकदमे पर फिर से सुनवाई कराने के लिए दायर याचिका अकादमिक शोध पर आधारित है और यह वर्षों पहले हुए किसी मामले को फिर से खोलने का आधार नहीं बन सकता।
 
न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा।
 
पीठ ने कहा, 'अब इसे (यह घटना) बहुत देर हो चुकी है। हम इसे फिर से खोलने या इसे ठीक करने नहीं जा रहे हैं। इस मामले को लेकर बहुत भावुक नहीं हों। हम कानूनी तर्कों के अनुसार चलेंगे न कि भावनाओं के अनुसार। हमने आपको सुना है और हम आदेश पारित करेंगे।'
 
पीठ ने कहा कि आप कहते हैं कि लोगों को यह जानने का अधिकार है कि क्या हुआ था। परंतु ऐसा लगता है कि लोगों को इस बारे में पहले से ही मालूम है। आप लोगों के मन में संदेह पैदा कर रहे हैं। हकीकत तो यह है कि जिन लोगों ने हत्या की थी उनकी पहचान हो चुकी है और उन्हें फांसी दी जा चुकी है।
 
याचिकाकर्ता ने नाथूराम गोड्से और नारायण आप्टे की दोषसिद्धि के मामले में विभिन्न अदालतों की तीन बुलेट के कथानक पर भरोसा करने पर भी सवाल उठाये थे। याचिका में कहा गया था कि इस तथ्य की जांच होनी चाहिए कि क्या वहां चौथी बुलेट भी थी जो गोड्से के अलावा किसी अन्य ने दागी थी।
 
शीर्ष अदालत ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेन्द्र शरण को न्याय मित्र नियुक्त किया था । अमरेन्द्र शरण ने कहा कि महात्मा गांधी हत्याकांड की फिर से सुनवाई की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस मामले में फैसला अंतिम रूप प्राप्त कर चुका है और इस घटना के लिये दोषी व्यक्ति अब जीवित नहीं है।
 
महात्मा गांधी की 30 जनवरी, 1948 को राजधानी में हिन्दू राष्ट्रवाद के हिमायती दक्षिणपंथी नाथूराम गोड्से ने काफी नजदीक से गोली मार कर हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड में गोडसे और आप्टे को 15 नवंबर, 1949 को फांसी दे दी गई थी जबकि सबूतों के अभाव में सावरकर को संदेह का लाभ दे दिया गया था।
 
फणनीस ने उसकी याचिका खारिज करने के बंबई उच्च न्यायालय के छह जून, 2016 के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। (भाषा) 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राज्यसभा में पीएम मोदी...