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असम: राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के बारे में 2 मिनट में 7 जरूरी बातें जानिए...

हमें फॉलो करें असम: राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के बारे में 2 मिनट में 7 जरूरी बातें जानिए...
, सोमवार, 30 जुलाई 2018 (11:38 IST)
इस विवाद की शुरुआत 33 साल पहले हुई थी। 14 अगस्त 1985 की मध्यरात्रि को असम में बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों के खिलाफ 5 साल से जारी आंदोलन खत्म हुआ था। 14 अगस्त की आधी रात को ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, असम सरकार और उस वक्त की राजीव गांधी सरकार के बीच हुई संधि के साथ ही असम के लोगों की एक बार फिर से नियति के साथ मुलाकात हुई थी। 
 
1. एनआरसी की जरूरत क्यों:  असम में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशियों का बड़ा मुद्दा रहा है। 80 के दशक में इसे लेकर छात्रों ने आंदोलन किया था, जिसके बाद असम गण परिषद और तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के बीच समझौता हुआ। 1971 तक जो भी बांग्लादेशी असम में घुसे उन्हें नागरिकता दी जाएगी और बाकी को निर्वासित किया जाएगा। 1951 में एनआरसी तैयार किया था। तब से 7 बार इसे जारी करने की कोशिशें हुईं। 2013 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अंत में अदालती आदेश के बाद ये लिस्ट जारी हुई है।
 
2. फिलहाल क्या है स्थिति : एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट से जिन 40 लाख लोगों के नाम गायब है, उनमें से 2.48 लाख लोग संदिग्ध वोटर (डीवोटर) करार दिए गए हैं. इनमें डीवोटर करार करार दिए लोगों के परिजन या फिर वे लोग शामिल है जिनके दावे विदेशी ट्राइब्लूयन में पेंडिंग हैं।
3. क्या कहते हैं जिम्मेदार : असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर समन्यक प्रतीक हाजेला ने एनआरसी का अंतिम ड्राफ्ट जारी करते हुए बताया कि 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.90 करोड़ वैध नागरिक पाए गए। 
 
4. तो क्या बचे लोग अवैध तरीके से रह रहे हैं: हाजेला का कहना है कि फाइनल ड्राफ्ट में करीब 40 लाख लोगों के नाम नहीं है लेकिन कहा ही यह बस अंतिम मसौदा है, फाइनल एनआरसी नहीं, इसलिए जिनका नाम इस ड्राफ्ट में नहीं है, वे घबराए नहीं। 


5. तो जिनका नाम नहीं है उन्हें क्या करना होगा: प्रतीक हाजेला ने बताया कि जिनका नाम फाइनल ड्राफ्ट में नहीं है, उन्हें संबंधित सेवा केंद्रों में एक फॉर्म को भरना होगा। ये फॉर्म सात अगस्त से 28 सितंबर के बीच उपलब्ध होंगे और अधिकारियों को उन्हें इसका कारण बताना होगा कि मसौदा में उनके नाम क्यों छूटे'। 
 
6. क्यों महत्वपूर्ण है 30 जुलाई से 28 सितंबर: इसके बाद अगले कदम के तहत उन्हें अपने दावे को दर्ज कराने के लिये अन्य निर्दिष्ट फॉर्म भरना होगा, जो 30 अगस्त से 28 सितंबर तक उपलब्ध रहेगा। आवेदक अपने नामों को निर्दिष्ट एनआरसी सेवा केन्द्र जाकर 30 जुलाई से 28 सितंबर तक सभी कामकाजी दिनों में सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक देख सकते हैं।
 
7. घोर लापरवाही का नतीजा? इस मुद्दे पर लगभग सभी सरकारों ने लापरवाही बरती, नतीजतन, एनआरसी अब असम के लिए टाइम बम बन चुका है। दिसंबर 2016 को जब राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर का पहला मसौदा जारी किया गया था तब से इस मुद्दे पर देश-दुनिया की मीडिया, सिविल सोसायटी और मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त की तरफ से खासी दिलचस्पी दिखाई गई है। 
 
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर का आखिरी मसौदा 31 जुलाई की मध्य रात्रि को प्रकाशित किया जाएगा, यह एक ऐसा कदम साबित होगा जो कई मायनों में विवादों को जन्म देने वाला है।

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