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दूसरा कश्मीर है जम्मू मंडल का पत्नीटॉप

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सुरेश एस डुग्गर

सड़क किनारे गुजरते ही बर्फीली हवाओं का बदन को छूकर जाना तो शरीर में कंपकंपी का छूट जाना, लंबे-लंबे चीड़ और देवदार के पेड़ जिन पर से बर्फ के फाहे हवा के झौंकों के साथ नीचे गिरते हुए यूं लगते हैं जैसे बर्फ की बरसात हो रही हो। बर्फ की सफेद चादर और सांय-सांय करती हवा का कानों में घुंघरुओं की आवाज पैदा करना... यह सब अगर देखने, सुनने और महसूसने को मिले तो समझ लें आप उस स्थान पर पहुंच चुके हैं जिसे पत्नीटॉप के नाम से जाना जाता है।
जम्मू मंडल के सबसे रमणीक और खूबसूरत पर्यटन स्थल पत्नीटॉप में आने वालों की भीड़ देख यह आभास अवश्य होता है कि आखिर कुछ ऐसा तो है इसमें जो विश्वभर से पर्यटकों को आकर्षित कर पाने की शक्ति यह रखता है। हो भी क्यों न सब कुछ तो है इस स्थल में जिसे पाने के लिए पर्यटक कश्मीर में जाते हैं। उस कश्मीर में, जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है और जो आज किसी नर्क से कम नहीं है।
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सीमावर्ती राज्य जम्मू कश्मीर के जम्मू मंडल में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जम्मू से 108 किमी की दूरी पर स्थित यह रमणीय और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थल समुद्र तल से 6400 फुट की ऊंचाई पर है जहां लंबे-लंबे चीड़ और देवदार के पेड़ हर उस शख्स को अपनी ओर आकर्षित करते हैं जो प्रकृति प्रेमी हो। इसके अतिरिक्त सालभर इसकी खूबसूरत ढलानों पर जमी रहने वाली बर्फ भी पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेने की शक्ति रखती है।
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मंदिरों की नगरी जम्मू से 108 किमी की दूरी पर स्थित इस पर्यटन स्थल तक पहुंचने के लिए जम्मू से आम यात्री बस और टैक्सी का प्रयोग किया जा सकता है। हालांकि अब तो विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल वैष्णोदेवी के आधार शिविर कटरा से भी यात्री बसें मिल जाती हैं जो आने वालों को पत्नीटॉप तक घुमाकर लाती हैं। जम्मू से पत्नीटॉप की यात्रा साढ़े तीन घंटों की है मगर इसे अपनी इच्छानुसार बढ़ाया भी जा सकता है।
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उधमपुर जिले में आने वाले इस पर्यटनस्थल को और खूबसूरत बनाने तथा अधिक से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पत्नीटॉप विकास प्राधिकरण का गठन भी किया गया है जो सिर्फ पत्नीटॉप का ही नहीं बल्कि उसके आसपास पड़ने वाले और भी रमणीय तथा धार्मिक स्थलों- सुद्धमहादेव, मानतलाई, चिनैनी, सनासर आदि का विकास करने में भी लगी हुई है क्योंकि अक्सर ऐसा होता है कि आने वाले पर्यटकों में से अधिकतर, जिन्होंने बर्फ कई बार देखी हो, बर्फ को देखकर उकता जाते हैं तो उनके मन को बहलाने के लिए आसपास के पर्यटनस्थलों को भी अब विकसित कर लिया गया है।
 
हालांकि पत्नीटॉप में गर्मियों में बहुत भीड़ होती है, लेकिन यहां आने वाले वर्षभर ही आते हैं। सर्दियों में कई फुट जमी और गिरने वाली बर्फ का आनंद उठाने के लिए भी लोगों का तांता लगा रहता है। सर्दियों में आने वाले तो स्कीइंग का आनंद भी उठाते हैं, जिन्हें एक सप्ताह में स्कीइंग सिखाने का प्रबंध भी अब जम्मू कश्मीर पर्यटन विभाग तथा जम्मू कश्मीर पर्यटन विकास निगम की ओर से किया गया है नाममात्र के खर्चे पर।
 
राज्य में कश्मीर के पहलगाम के क्षेत्र के उपरांत पत्नीटॉप को स्कीइंग स्थल के रूप में ख्याति प्राप्त करवाने में पर्यटन विभाग के जम्मू विंग का अच्छा खासा सहयोग रहा है। विभाग की मेहनत ही है कि आज पत्नीटॉप में स्कींइग और पैराग्लाइडिंग करने वालों की भीड़ भी लगी रहती है। हालांकि स्कीइंग के लिए तो पत्नीटॉप की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बनी छोटी और बड़ी स्लोपों का प्रयोग किया जा रहा है तो पैराग्लाइडिंग के  लिए पत्नीटॉप के साथ लगते नथाटॉप और सनासर क्षेत्र का। जो आप भी खूबसूरती की एक मिसाल हैं। पर्यटन विभाग की ओर से अन्य स्लोपों की तलाश तथा उनका विकास किया जा रहा है ताकि स्कीइंग तथा पैराग्लाइडिंग करने के लिए आने वालों की भीड़ से निपटा जा सके। 
 
पर्यटन विभाग की ओर से स्कीइंग तथा पैराग्लाइडिंग के साल में तीन से चार कोर्स करवाए जा रहे हैं और वह भी नाममात्र खर्चे पर, लेकिन इतना अवश्य है कि स्कीइंग के लिए जनवरी-फरवरी तो पैराग्लाइडिंग के लिए अक्टूबर की प्रतीक्षा करनी पड़ती है क्योंकि इसी समय के दौरान अधिक आनंदित हुआ जा सकता है। स्कीइंग और पैराग्लाइडिंग के साथ ट्रेकिंग तथा रॉक क्लाइंविंग करने की इच्छा रखने वाले भी पत्नीटॉप में अपनी इच्छा की पूर्ति करते हैं जिनके लिए भी सप्ताह सप्ताहभर के कई कोर्स करवाए जाते हैं।
 
पिछले कई सालों से इस पर्यटनस्थल के विकास में जुटे जम्मू पर्यटन विभाग की ओर से आसपास के क्षेत्रों के कई स्कूली छात्रों और अन्य बेरोजगारों को इन सभी रोमांचक खेलों का प्रशिक्षण देकर प्रशिक्षक के रूप में तैयार किया गया है। पर्यटन विभाग की योजना के अनुसार इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा और वे आने वाले पर्यटकों को इन रोमांचक खेलों का प्रशिक्षण भी दे सकेंगे।
 
पत्नीटॉप में आकर पर्यटक अपने आप को कश्मीर में पाता है क्योंकि पत्नीटॉप की समुद्रतल से ऊंचाई श्रीनगर से भी अधिक है और जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग के बीच पत्नीटॉप ही एक ऐसा स्थान है तो सबसे ऊंचा है और सुबह-सवेरे पड़ने वाली धुंध व कोहरे के बीच सुबह की सैर का अपना ही आनंद होता है। लेकिन इतना अवश्य है कि आने वालों को अपने साथ गर्म कपड़ों का इंतजाम करके आना चाहिए चाहे वे गर्मियों में ही क्यों न आएं। पत्नीटॉप में दिन का प्रत्येक पहर अपने आप में मनोहरी छटा से लिपटा होता है जिसका आनंद लोग अपने अपने तरीके से उठाते हैं।
 
यहां पर ठहरने के लिए वैसे कई प्रायवेट होटल हैं और सरकारी व्यवस्था भी है। राज्य पर्यटन विभाग और पर्यटन विकास निगम के कई बंगले, हटें आदि हैं जहां पर्यटक रात गुजार सकता है। हालांकि अधिकतर पर्यटक दिनभर सैर सपाटा करने के उपरांत वापस लौट जाते हैं। यहां पर आने वालों की भीड़ कितनी है यह इसी से स्पष्ट है कि गत वर्ष दिन में जाकर शाम को वापस लौटने वालों का आंकड़ा छह लाख को भी पार कर गया है। और ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ स्वदेशी पर्यटक ही पत्नीटॉप में आते हों बल्कि विदेशों से भी लोग इसकी सुरम्य पहाड़ियों और मनोहारी छटा का आनंद उठाने के लिए आ रहे हैं।

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