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कांग्रेस ने लगाया केंद्र सरकार पर आरोप, बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर और महंगाई आसमान छू रही

भारतीय अर्थव्यवस्था में खतरे की घंटियां बज रहीं

हमें फॉलो करें कांग्रेस ने लगाया केंद्र सरकार पर आरोप, बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर और महंगाई आसमान छू रही

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, मंगलवार, 9 अप्रैल 2024 (17:33 IST)
Jairam Ramesh's allegations against the central government:  कांग्रेस ने नई दिल्ली में मंगलवार को केंद्र सरकार (central government) पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि बेरोजगारी (unemployment) रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है और महंगाई (inflation) आसमान छू रही है तथा ग्रामीण भारत के गंभीर संकट से जूझने के साथ ही असमानता चरम पर पहुंच चुकी है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने दावा किया कि केंद्र की गलत नीतियों के चलते यह स्थिति पैदा हुई है। उन्होंने दावा किया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में खतरे की घंटियां बज रही हैं।

 
भारतीय अर्थव्यवस्था में खतरे की घंटियां बज रहीं : रमेश ने एक बयान में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में जितनी भी खतरे की घंटियां बज रही हैं, वे केवल प्रधानमंत्री मोदी को ही नहीं सुनाई दे रही हैं। उनके कार्यकाल में भारत में बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है, महंगाई आसमान छू रही है, वास्तविक मजदूरी में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। कई क्षेत्रों में गिरावट आई है, ग्रामीण भारत गंभीर संकट से जूझ रहा है और असमानता चरम पर है।
 
घरेलू ऋण का स्तर जीडीपी का लगभग 40 प्रतिशत हुआ : रमेश ने कहा कि वित्तीय और निवेश सेवाएं प्रदान करने वाली एक कंपनी की ताजा रिपोर्ट प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों का भारतीय परिवारों पर पड़ने वाले विनाशकारी प्रभाव को दिखाती है। रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2023 तक घरेलू ऋण का स्तर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 40 प्रतिशत हो गया। यह अब तक का सबसे अधिक है। इसके अलावा घरेलू बचत भी 47 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। शुद्ध वित्तीय बचत जीडीपी के 5 प्रतिशत पर आ गई है।

 
बचत में आई यह आश्चर्यजनक गिरावट : उनके मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि बचत में यह आश्चर्यजनक गिरावट आय में वृद्धि कम होने के कारण है। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि इससे पता चलता है कि 2023-24 में निजी खपत और घरेलू निवेश का विकास कम क्यों रहा है। 2023-24 के पहले 9 महीनों में परिवारों की शुद्ध वित्तीय बचत जीडीपी के लगभग 5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित थी। कम बचत का अर्थ है व्यापार और सरकारी निवेश के लिए कम पूंजी उपलब्ध होना और अस्थिर विदेशी पूंजी पर बढ़ती निर्भरता।
 
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट यह भी पुष्टि करती है कि असुरक्षित पर्सनल लोन में बढ़ोतरी घरेलू ऋण के उच्च स्तर के लिए जिम्मेदार है, न कि आवास ऋण या कार लोन, जैसा कि वित्त मंत्रालय विश्वास दिलाना चाहता है। रमेश ने कहा कि पर्सनल लोन में हाउसिंग की हिस्सेदारी वास्तव में 5 वर्षों में पहली बार 50 प्रतिशत से नीचे है और केवल हाई-एंड ऑटोमोबाइल ही अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं जबकि बाजार में कारों और दोपहिया वाहनों की बिक्री में बड़े पैमाने पर गिरावट आई है। दिसंबर में गोल्ड लोन में भी चिंताजनक रूप से वृद्धि देखी गई। भावनात्मक लगाव को देखते हुए लोग सोने के आभूषण जैसी चीजों को गिरवी रखकर लोन केवल अंतिम उपाय के रूप में ही लेते हैं।

 
भारतीय परिवार धीरे-धीरे कर्ज में डूबते जा रहे : उन्होंने दावा किया कि भले ही मोदी सरकार इसे स्वीकार न करे, लेकिन सच्चाई यह है कि मजदूरी में बढ़ोतरी न होने और आसमान छूती महंगाई ने परिवारों को गुजर-बसर करने के लिए ऋण लेने को मजबूर किया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि वित्त मंत्रालय इसे जितना चाहे घुमा ले, लेकिन सच्चाई सबके सामने है। पैसा बचाना तो दूर, भारतीय परिवार धीरे-धीरे कर्ज में डूबते जा रहे हैं।
 
2012 और 2019 के बीच केवल 0.01 प्रतिशत नई नौकरियां जुड़ीं : रमेश ने कहा कि इस रिपोर्ट के निष्कर्ष भी मोदी सरकार की आर्थिक विफलताओं की सूची में शामिल हो गए हैं। रोजगार में लगभग शून्य वृद्धि, 2012 और 2019 के बीच केवल 0.01 प्रतिशत नई नौकरियां जुड़ीं, जबकि हर साल 70-80 लाख युवा श्रम बल में शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि 2012 और 2022 के बीच नियमित रूप से वेतन पाने वाले श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी में गिरावट आई है। भयंकर महंगाई के कारण श्रमिक अब 10 साल पहले की तुलना में कम खर्च कर पा रहे हैं।
 
कांग्रेस महासचिव ने दावा किया कि वित्त वर्ष 2023-24 में मनरेगा के तहत गरीब ग्रामीण परिवारों द्वारा मांगे गए काम के दिनों की संख्या 305 करोड़ हो गई है। 2022-23 में यह 265 करोड़ थी। मनरेगा में काम मांगने की संख्या में इस तरह की बढ़ोतरी होना गंभीर ग्रामीण संकट का संकेत है। रमेश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का 'न्याय पत्र' इन विफलताओं की सीधी प्रतिक्रिया है। पिछले 10 साल का अन्याय-काल 4 जून को समाप्त होगा।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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