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'जाने भी दो यारो', दुनिया से चले गए कुंदन शाह

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मुंबई। हास्य और व्यंग्य से भरपूर फिल्म ‘जाने भी दो यारो’ के लिए पहचाने जाने वाले प्रसिद्ध फिल्म निदेशक कुंदन शाह का शनिवार तड़के 69 साल की उम्र में उनके घर पर निधन हो गया। 
 
उनके परिवार के करीबी सूत्रों ने बताया कि उनका निधन दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुआ। शाह ने पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) से निर्देशन की पढ़ाई की थी और 1983 में आई ‘जाने भी दो यारो’ से फीचर फिल्मों की दुनिया में कदम रखा था। हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही, लेकिन इसने समय के साथ कल्ट फिल्म का दर्जा हासिल कर लिया। 
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फिल्म के लिए शाह को उनका पहला और एकमात्र राष्ट्रीय पुरस्कार (किसी निर्देशक की पहली सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए) इंदिरा गांधी पुरस्कार दिया गया था। समय के साथ ‘जाने भी दो यारो’ भारतीय सिनेमा के इतिहास के सबसे लोकप्रिय व्यंग्यात्मक फिल्म बन गई। कुंदन शाह ने 'जाने भी दो यारों' के अलावा 'खामोश', 'हम तो मोहब्बत करेगा' और 'पी से पीएम तक' जैसी कई फिल्मों का निर्देशन किया। 
 
शाह ने 2015 में अपने पूर्व संस्थान एफटीआईआई में छात्र विरोध प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दिया था। उन्होंने 1986 में ‘नुक्कड़’ धारावाहिक के साथ टेलीविजन की दुनिया में पदार्पण किया था। 1988 में उन्होंने मशहूर हास्य धारावाहिक ‘वागले की दुनिया’ का निर्देशन किया जो कॉर्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण के आम आदमी के किरदार पर आधारित थी।
 

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