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शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक 2017 को संसद की मंजूरी

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नई दिल्ली , मंगलवार, 14 मार्च 2017 (15:34 IST)
नई दिल्ली। संसद ने मंगलवार को शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी जिसमें युद्ध के बाद पाकिस्तान एवं चीन पलायन कर गए लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावों को रोकने के प्रावधान किए गए हैं।
 
लोकसभा ने शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक 2017 में राज्यसभा में किए गए संशोधनों को मंजूरी प्रदान करते हुए इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। राज्यसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। यह विधेयक इस संबंध में सरकार द्वारा जारी किए गए अध्यादेश का स्थान लेगा।
 
निचले सदन ने इस बारे में आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन द्वारा रखे गए शत्रु सम्पत्ति संशोधन और विधिमान्यकरण पांचवा अध्यादेश 2016 का निरनुमोदन करने वाले संकल्प को अस्वीकार कर दिया।
 
इस बारे में हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी सरकार को अपने शत्रु राष्ट्र या उसके नागरिकों को संपत्ति रखने या व्यावयायिक हितों के लिए मंजूरी नहीं देनी चाहिए। शत्रु संपत्ति का अधिकार सरकार के पास होना चाहिए न कि शत्रु देशों के नागरिकों के उत्तराधिकारियों के पास।
 
उन्होंने कहा कि जब किसी देश के साथ युद्ध होता है तो उसे शत्रु माना जाता है और शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक 2017 को 1962 के भारत-चीन युद्ध, 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के संदर्भ में ही देखा जाना चाहिए।
 
उपरोक्त युद्धों की पृष्ठभूमि में अपनी पुश्तैनी संपत्ति को छोड़कर शत्रु देश में चले जाने वाले पाकिस्तानी और चीनी नागरिकों के संबंध में लाए गए इस विधेयक के संबंध में राजनाथ ने कहा कि इस विधेयक को पारित कराना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा नहीं होने से लाखों करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुकसान होगा।
 
सरकार द्वारा अध्यादेश का मार्ग अपनाये जाने पर विपक्ष की आलोचना पर गृह मंत्री ने कहा कि सरकार भी अध्यादेश का मार्ग नहीं अपनाना चाहती है। अत्यधिक जरूरत होने पर ही ऐसा किया जाता है उन्होंने कहा कि पिछली तिथि से प्रभावी होने का जो कुछ उल्लेख किया गया है, उससे कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
 
विधेयक को संसद की स्थायी समिति के पास नहीं भेजने के कुछ सदस्यों की आलोचना पर राजनाथ ने कहा कि इस बारे में व्यापक चर्चा हो चुकी है। 
 
इस विधेयक में कुछ शब्दों को प्रतिस्थापित किया गया है जिसमें सड़सठवें के स्थान पर अड़सठवें, 2016 के स्थान पर 2017 तथा किसी विधि के स्थान पर किन्ही विधियों आदि को प्रतिस्थापित किया गया है। विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि शत्रु सम्पत्ति संशोधन और विधिमान्यकरण अधिनियम 2017 द्वारा यथासंशोधित इस अधिनियम के तहत किसी सम्पत्ति के संबंध में या इस बाबत केंद्र सरकार या अभिरक्षक द्वारा की गई किसी कार्रवाई के संबंध में किसी वाद या कार्यवाही पर विचार करने का अधिकार नहीं होगा।
 
इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार के किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति आदेश की सूचना अथवा प्राप्ति की तारीख के साठ दिन की अवधि के भीतर ऐसे आदेश से उत्पन्न किसी प्रश्नगत तथ्य अथवा विधि के संबंध में उच्च न्यायालयों में अपील कर सकता है।
 
राजनाथ ने कहा कि इस प्रकार का कानून पाकिस्तान और चीन सहित दुनिया के कई अन्य देशों में पहले से लागू है। यह केवल पाक गए लोगों की संपत्ति का ही नहीं बल्कि 1962 के युद्ध के बाद चीन गए लोगों की संपत्ति का भी मामला है। इससे मानवाधिकारों या न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों का कहीं से कोई उल्लंघन नहीं होता है।
 
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, शत्रु संपत्ति के मालिक का कोई उत्तराधिकारी भी यदि भारत लौटता है तो उसका इस संपत्ति पर कोई दावा नहीं होगा। एक बार कस्टोडियन के अधिकार में जाने के बाद शत्रु संपत्ति पर उत्तराधिकारी का कोई अधिकार नहीं होगा। (भाषा) 

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