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दुर्गा पूजा पर अलग-अलग थीम आधारित दुर्गा पूजा पंडाल से जगमग है दिल्ली शहर

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नई दिल्ली। शहर में इस साल दुर्गा पूजा के मौके पर अलग-अलग थीम आधारित पूजा पंडाल बनाए गए हैं जिनमें कोई अनाथ बच्चों की पीड़ा को लेकर जागरूकता का प्रसार कर रहा है, तो कोई मशहूर फिल्मकार सत्यजीत रे की फिल्म 'गोपी गायने बाघा बायने' का जादू दोहरा रहा है।
 
 
आरामबाग पूजा समिति में पंडाल के जरिए समाज के उस हिस्से (अनाथ बच्चे) के प्रति लोगों को जागरूक बनाने की कोशिश की जा रही है जिसे अकसर उदासीनता का सामना करना पड़ता है। पंडाल की थीम रवीन्द्रनाथ ठाकुर की 1935 की पेंटिंग 'भारतमाता' से प्रेरित है जिसमें भारतमाता भगवा कपड़े में हैं। पंडाल में 40 फुट ऊंची 'भारतमाता' की तस्वीर की प्रतिकृति लगी है जिसमें दोनों तरफ बच्चे हैं। इसी तस्वीर में बहुमंजिला इमारतें भी बनी हैं।
 
आरामबाग पूजा समिति के कार्यकारी प्रमुख अभिजीत बोस ने कहा कि हम इस महत्वपूर्ण मुद्दे की वास्तविकता के प्रति सरकार और निजी निकायों का ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं। मयूर विहार का 'मिलन समिति पंडाल' भी इस साल बच्चों को समर्पित है। पंडाल में रे की फिल्म 'गोपी गायने बाघा बायने' को जीवंत किया गया है। फिल्म 1969 में आई थी।
 
मिलन समिति के महासचिव मृणाल बिस्वास ने कहा कि हमें लगा कि थीम बच्चों के लिए मजेदार होगा और साथ ही बड़ों को गुजरे समय की याद दिलाएगा। पंडाल में फिल्म के दृश्यों को दिखाने वाली तस्वीरें एवं प्रतिमाएं लगी हैं जिन्हें पश्चिम बंगाल के कलाकारों- सुदीप रंजन राउत और सुभ्रा बेरा ने बनाया है। मैत्री मंदिर सर्वोजनिन दुर्गा पूजा समिति का पंडाल माउंट आबू के दिलवाड़ा मंदिर से प्रेरित है।
 
उत्सव के मौके पर शहर के कई रेस्तरांओं में भी उस हिसाब से खास व्यंजन परोसे जा रहे हैं। दिल्ली के 'मंकी बार' रेस्तरां में फिश रोल, हिंग-एर-कचौड़ी, चिकन रेजाला और प्रौन डम्पलिंग जैसे तमाम मशहूर बंगाली व्यंजन परोसे जा रहे हैं। पेय पदार्थ- 'पिएरा पीएरा', 'पुचक काईपिरोश्का' और 'थंडा चा' भी बंगाली व्यंजनों से प्रेरित हैं। (भाषा)

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