Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गुरु नानक देव की रचनाएं...

हमें फॉलो करें गुरु नानक देव की रचनाएं...
* गुरु नानक देव के दोहे


 

* जगत में झूठी देखी प्रीत।
 
अपने ही सुखसों सब लागे, क्या दारा क्या मीत॥
 
मेरो मेरो सभी कहत हैं, हित सों बाध्यौ चीत।
अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत॥
 
मन मूरख अजहूं नहिं समुझत, सिख दै हारयो नीत।
नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत॥
 
****
 
* एक ओंकार सतिनाम
एक ओंकार सतिनाम, करता पुरखु निरभऊ। 
निरबैर, अकाल मूरति, अजूनी, सैभं गुर प्रसादि ।। 
 
हुकमी उत्तम नीचु हुकमि लिखित दुखसुख पाई अहि। 
इकना हुकमी बक्शीस इकि हुकमी सदा भवाई अहि ॥
 
सालाही सालाही एती सुरति न पाइया।
नदिआ अते वाह पवहि समुंदि न जाणी अहि ॥
 
पवणु गुरु पानी पिता माता धरति महतु।
दिवस रात दुई दाई दाइआ खेले सगलु जगतु ॥
 
****
 
* हरि बिनु तेरो को न सहाई।
 
काकी मात-पिता सुत बनिता, को काहू को भाई॥
 
धनु धरनी अरु संपति सगरी जो मानिओ अपनाई।
तन छूटै कुछ संग न चालै, कहा ताहि लपटाई॥
 
दीन दयाल सदा दु:ख-भंजन, ता सिउ रुचि न बढाई।
नानक कहत जगत सभ मिथिआ, ज्यों सुपना रैनाई॥
 
****

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

गुरु नानक देव की कहानी : सच्चा यज्ञोपवीत...