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रोचक प्रेरक प्रसंग : नानक, राजा जनक और कौड़ा राक्षस

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* राजा जनक ने दिया था श्राप 
 

 
गुरु नानकदेव भाई मरदाने और कौड़ा राक्षस के साथ वर्तमान के मढ़ाताल पहुंचे, जहां कौड़ा  राक्षस कई सालों तक गुरु नानकदेव की भक्ति करता रहा। 
 
ऐसी मान्यता है कि कौड़ा राक्षस को राजा जनक ने श्राप दिया था तभी वह राक्षस बन गया  था। इससे पहले कौड़ा राक्षस राजा जनक का रसोइया था। 
 
एक दिन राजा जनक ने ब्रह्मभोज का आयोजन किया और ऋषि-मुनियों को भोज के लिए  बुलाया लेकिन ऋषि-मुनियों ने भोजन लेने से यह कहकर इंकार कर दिया कि भोजन जूठा है। 
 
तब राजा जनक ने रसोइए से पूछा तो रसोइए ने स्वीकार कर लिया कि उसने भोजन चख  लिया था। 
 
इस बात से नाराज होकर राजा जनक ने उसे राक्षस होने का श्राप दिया। काफी क्षमा-याचना  करने के बाद राजा जनक ने उसे कहा कि कलयुग में गुरु नानकदेव आकर तुम्हारा उद्धार करेंगे।

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