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सोशल मीडिया के कारण जेल भेजे जा रहे हैं फिलिस्तीनी

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

# माय हैशटैग
इजराइली कब्जे वाले वेस्ट बैंक इलाके से पिछले दो साल में करीब 470 फिलिस्तीनी केवल इस कारण गिरफ्तार किए गए हैं कि उन्होंने सोशल मीडिया पर इजराइल के विरुद्ध कोई बात लिखी थी। इजराइली पुलिस ने उन लोगों को अलग-अलग मामलों में जेल भेजा है, कहीं किसी को सरकारी क्षेत्र में अवैध रूप से घुसने की कोशिश करने के मामलों में, तो कहीं आपत्तिजनक सामग्री अपने कब्जे में रखने के कारण। अधिकांश मामलों में इजराइली सुरक्षाबलों ने गलत धाराएं लगाई हैं और कानून का दुरुपयोग किया है। यह आरोप है फिलिस्तीनी संगठनों के लिए काम करने वाले सोशल मीडिया ग्रुप के प्रमुख का।
इजराइली सुरक्षाबलों ने वेस्ट बैंक इलाके में अभिव्यक्ति के अधिकारों को तहस-नहस कर रखा है। वे कोई भी मनमानी बात गिरफ्तार लोगों के मुंह से निकलवाने के लिए कुख्यात हैं। जो लोग पकड़े गए हैं, उनमें से अधिकांश युवा हैं। फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने वालों के साथ इजराइल का यही व्यवहार है। सुरक्षाबल इस तरह लगातार एकतरफा कार्रवाई कर रहे हैं। 
 
इजराइली सुरक्षाबलों का मामला है कि फेसबुक का उपयोग फिलिस्तीनी युवा नए ‘सिटी स्क्वेयर’ की तरह कर रहे हैं। इसके लिए विशेष तौर पर निगरानी दल तैनात है। सोशल मीडिया पर आ रही प्रतिक्रियाओं पर अध्ययन करने के बाद जहां कहीं भी जरा भी शक की गुंजाइश नजर आती है, ये निगरानी दल तुरंत कार्रवाई करते हैं। 
 
2016 में ऐसी 2241 सोशल मीडिया पोस्ट रजिस्टर्ड की गई थीं, जिनकी भाषा पर इजराइल को आपत्ति थी। इनमें से 70 प्रतिशत पोस्ट कुछ समय के बाद हटा ली गई थीं। आशंका है कि ये पोस्ट आतंक को बढ़ावा देने के लिए जारी की गई थीं और एक निश्चित समय के लिए इनका कुछ लक्ष्य था। 
 
फिलिस्तीनी संगठनों का कहना है कि फेसबुक और इजराइल की सरकार के बीच कुछ समझौता हुआ है, जिसके तहत फेसबुक पोस्ट लिखने वाले के ऊपर निगरानी रखी जाती है। फेसबुक ने इस तरह की किसी भी बात का खंडन किया है। फिलिस्तीनी युवाओं की अभिव्यक्ति पर यह सीधा-सीधा हमला है, लेकिन इजराइल के इस कृत्य को दुनिया के कई देश समर्थन कर रहे हैं। फिलिस्तीनी ग्रुपों का आरोप है कि आतंक के नाम पर इजराइली सुरक्षाबल मनमानी कर रहे हैं। अनेक युवाओं को सैन्य कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हें अनिश्चितकाल के लिए जेल जाने का आदेश सुनाया गया है। 
 
इजराइली सुरक्षाबलों ने पिछले दिनों दारीन टटौर नामक एक युवा कवि को भी गिरफ्तार किया, जो इजराइल में रहने वाले फिलिस्तीनी मूल नागरिक हैं। यह गिरफ्तारी कविता के माध्यम से आतंकवाद को बढ़ावा देने के आधार पर की गई है। फिलिस्तीनी युवाओं में इतना गुस्सा बढ़ रहा है कि फिलिस्तीन के युवा खुद ब खुद इजराइली न्यायालयों में जाकर गिरफ्तारी दे रहे हैं और कह रहे है कि इजराइल अभिव्यक्ति की आजादी का हत्यारा है और लेखकों, कलाकारों और शिक्षाविदों को परेशान कर रहा है। 
 
कुछ गिरफ्तारियों के बाद पूरी दुनिया के मीडिया का ध्यान इजराइल की इस कार्रवाई पर पड़ा है। फेसबुक पर कमेंट लिखने के कारण 16 साल के कई लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। इजराइल के अनुसार, यह लोग सोशल मीडिया के ऑनलाइन आतंकी हैं। पिछले दो सालों में इस तरह की गिरफ्तारियों की संख्या में लगातार तेजी आती जा रही है। इजराइल सुरक्षाबलों ने साइबर क्राइम यूनिट के नाम पर अनेक विशेषज्ञों को तैनात कर रखा है, जो सोशल मीडिया की पोस्ट का पोस्टमार्टम करते हैं। पुलिस के अलावा सेना और अन्य अर्धसैनिक बल भी इस तरह की कार्रवाई में लिप्त हैं।

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