Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

निष्क्रिय उपग्रहों के समुद्री कब्रगाह की रोचक कहानी

हमें फॉलो करें निष्क्रिय उपग्रहों के समुद्री कब्रगाह की रोचक कहानी

शरद सिंगी

एक अप्रैल को चीन की एक अंतरिक्ष प्रयोगशाला अपना सक्रिय जीवन समाप्त कर प्रशांत महासागर में गिर पड़ी। उसे नियत कब्रगाह में नहीं उतारा जा सका जिसको लेकर मीडिया में चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर कुछ कटाक्ष भी हुए। इस लेख में हम अंतरिक्ष यानों के कब्रगाह को लेकर कुछ चर्चा करेंगे। 
 
पृथ्वी से सैकड़ों मील दूर समुद्र में एक निर्जन और वीरान जगह है जहाँ मानव के लिए पहुंचना सबसे कठिन चुनौतियों में से एक है। दुनिया के किसी भी समुद्र तट से समुद्र का यह भाग सबसे अधिक दूरी पर है। इसे एक दुर्गम महासागरीय ध्रुव भी कहा जाता है जिसका नाम दिया गया है 'पॉइंट नीमो'। लेटिन भाषा में नीमो का अर्थ है 'नो वन' अर्थात कोई नहीं। याने ऐसी जगह जहाँ किसी का आना जाना आसानी से संभव नहीं। जो तीन द्वीप इस नीमो पॉइंट के सबसे पास हैं वे भी 1600 किमी की दूरी पर स्थित हैं और ऊपर से निर्जन भी हैं। जो सबसे नज़दीक मनुष्यों की बस्ती वाला पृथ्वी का टुकड़ा है वह इस क्षेत्र से 2700 किमी दूरी पर है।
 
रोचक बात यह है कि जो मनुष्य इस पॉइंट के सबसे पास हैं वे 400 किमी दूर अंतरिक्ष में हैं। याने जब अंतरिक्ष स्टेशन इसके ऊपर से गुजरता है तब मनुष्य इस पॉइंट के सबसे नजदीक होता है। 
 
इस निर्जन जगह पर न तो कोई नाविक जाता है और न ही यहां से कोई परिवहन मार्ग गुजरता है। इसलिए लम्बे समय से रूस, यूरोप और जापान की स्पेस एजेन्सियाँ अपने पुराने अंतरिक्ष यानों को इस जगह दफ़न करते आए हैं।
 
सौ से अधिक अंतरिक्ष स्टेशन, अंतरिक्ष माल वाहक और अनुपयोगी हो चुके उपग्रह यहाँ डुबो दिए गए हैं। चूँकि यह क्षेत्र किसी राष्ट्र की सीमा रेखा में नहीं है अतः किसी को कोई आपत्ति भी नहीं होती। जिन उपग्रह की आयु समाप्त हो जाती है उन्हें बड़ी कुशलता और नियंत्रण के साथ समुद्र के इस हिस्से में गिरा दिया जाता है ताकि अन्यत्र कहीं गिरने से पृथ्वी के किसी हिस्से में कोई नुकसान नहीं पहुंच सके।
 
इस माह यह पॉइंट पुनः सुर्ख़ियों में इसलिए आया कि चीन का एक अंतरिक्ष स्टेशन 'तिआनगोंग' निष्क्रिय होकर पृथ्वी की ओर बढ़ रहा था।  चूँकि चीन की स्पेस एजेंसी उस यान पर से अपना नियंत्रण खो चुकी थी अतः वे उसे 'नीमो पॉइंट' क्षेत्र में गिराने में असफल थे। मृत यान की पृथ्वी की ओर बढ़ती गति चिंता का विषय थी और वैज्ञानिक ठीक से अनुमान नहीं लगा पा रहे थे कि वह किस क्षेत्र पर आकर गिरेगा। अंततः एक अप्रैल को वह प्रशांत महासागर में गिरा जो नीमो पॉइंट कब्रगाह से काफी दूर था किन्तु कोई नुकसान नहीं हुआ और वैज्ञानिकों ने चैन की साँस ली।
 
'नीमो पॉइंट' की  दूसरी खास बात यह है कि पृथ्वी से इतना दूर होने के कारण हवा के माध्यम से भी कोई खाने या जीवनपयोगी पदार्थ इस जगह  पहुँच नहीं पाता। इसलिए जैविक रूप से निष्क्रिय क्षेत्र है और यहाँ का समुद्र तल भी वनस्पतिविहीन है। यद्यपि जो भाग मनुष्य की पहुँच के बाहर होता है उसके लिए अनेक तिलस्मी कथाएं भी प्रचलित हो जाती हैं जैसे वहाँ किसी विचित्र और शक्तिशाली जलचरों का निवास है इत्यादि। किन्तु चूँकि वनस्पति नहीं है तो जलचर भी नहीं होते।
 
इस भाग को समुद्र का मरुस्थल भी कहा जा सकता है या समुद्र का निष्प्राण भाग। अतः इस क्षेत्र को अंतरिक्ष कचरे का कब्रगाह बनाया जाना तो उचित है किन्तु जैसे जैसे विकासशील देशों के महत्वाकांक्षाएँ बढ़ रही हैं वैसे वैसे अंतरिक्ष में गतिविधियां भी बढ़ रही हैं। आरम्भ में देश उपग्रह उड़ाना तो सीख लेंगे किन्तु उनको सही जगह पर उतारने की तकनीक विकसित करने में समय लगेगा और ऐसे में हम इन उपग्रहों और अंतरिक्ष यानों के मलबे को पृथ्वी पर इधर उधर गिरते पड़ते देखेंगे और ऊपर वाले से दुआ करेंगे कि किसी के सिर पर न गिरे।  
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कठुआ बर्बर दुष्कर्म मामला सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए