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मेरी शक्ति मेरी माँ !

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- नेहा मित्तल

क्या तुम्हें मेरी याद नहीं आती है? फोन पर मेरी माँ ने मुझसे प्रश्न किया । यह बात मेरे दिल को छू गई। याद........... इस अनजाने विशाल शहर में मेरे पास माँ की स्मृतियों के सिवाय और कुछ भी नहीं था।

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अपने पाँव पर खड़े होने की क्षमता मेरी माँ से ही प्राप्त हुई थी क्या मैं उन्हें कभी भी भूल पाऊँगी? नहीं। जिस सूत्र में मैं अपनी माँ से बंधी हुई थी वह सूत्र आज भी उन्हीं से बाँध कर रखा था। आज दूर होकर भी उस सूत्र की डोरी ने, तट पर नाव की डोरी के समान मुझे उनसे बाँध कर रखा है।

उनकी बातें अभी भी मेरे कानों में गूँज रहीं हैं। ऐसा लगता हैं कि वे मेरे साथ ही नहीं बल्कि मेरे अन्दर से बोल रही हों। हर कदम पर उनका साथ है, हर कदम पर उनका विश्वास है। उनकी आशाओं से भरी नजरें, मेरी आँखों के सामने अभी भी दिख रहीं हैं जो रेलवे स्टेशन पर ट्रेन छूटते समय मैंने देखी थी। अपनी जिन्दगी के हर फैसले पर उन्होंने मेरा साथ दिया था। आज मैंने अपने भविष्य के लिए जब घर से दूर जाने का निर्णय लिया तब उन्होंने इसका सर्मथन किया।

मीलों की दूरी ने मेरे मन को विचलित कर दिया। माँ से दूर होकर मैं बहुत दुखी थी। मेरी भावना आसूँओं की धारा में बह गई। माँ के स्पर्श ने मुझे भावुक कर दिया ऐसा लग रहा था कि मानो वे मेरे आँसुओं को अपने हाथों से पोंछ रही हैं। उनकी मुस्कुराहट अंधेरे में उजाले के समान थी जो हर परिस्थिति का सामना करते हुए कभी भी बुझती नहीं थी। वे शक्ति रूपी देवी की प्रतिमा के समान थी जो हर संकट की घड़ी में शांत विनम्र रहते हुए भी स्थिर थी।

माँ, मात्र शब्द नहीं हैं इस शब्द में इतनी भावनाएँ हैं, इतनी शक्ति है कि सारा संसार इनके सामने झुक जाता है। रात हो गई है, घर के सभी सदस्य सो गए होंगे परन्तु माँ आँखे बिछाए अपने बच्चों की वापसी की राह देख रही होगी। बच्चे घर से जितने भी दूर हों, माँ उनके साथ हमेशा रहेगी वे उनकी हर बात सुनती हैं। आपकी आवाज सुनने के लिए प्रतीक्षा करती रहेगी। बालवस्था हो या युवावस्था, माँ हमारी हर बात को याद करती है। अपने दुख-दर्द को न बताते हुए माँ हमारे दुख, कष्ट को अपने आँचल में समेट लेती है। धैर्य की देवी, माँ हर तूफानी समुद्र को पार कर अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर रखती है।

अपने अनुभवों को वास्तविकता में पिरोकर माँ वर्तमान तथा भविष्य की परिस्थितियों के लिए हमें सतर्क एवं होशियार कर देती है ताकि समय रहते हम संभल जाएँ और कभी न भटकें। मैं माँ की बेटी नहीं बल्कि उसका अंश हूँ जिसे कभी अलग नहीं किया जा सकता।

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