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हमारे समय के प्रतिबिम्ब : माइकल जैक्सन

आइकान आफ द मॉडर्न यूथ

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रवींद्र व्यास

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माइकल जैक्सन। अपनी कला से अकूत धन कूटने की अद्वितीय कला का अभूतपूर्व फनकार। कितनी सारी चीजें उनसे लिपटी हुई हैं। एक मिथ की तरह। एक रहस्य की तरह। एक पहेली की तरह। और एक सचाई की तरह भी। एक से एक कलर्स और शेप में सनग्लासेस, कई रंगीन और फैशनेबल छतरियाँ। खूबसूरत दस्ताने। और तरह-तरह की मालाएँ और ताबीज। हाथों में पहने जाने वाला बैंड्स। और वे चमकीली-भड़कीलें पैंट्स, बैंड पैंट्स। वे एम्ब्रॉयडरी की गईं जैकेट्स। एक से एक बूट्स और जूते।

और वे हेट्स जिनका अपने डाँस में वे कभी-कभार चमत्कारिक इस्तेमाल किया करते थे। और फिर चेहरे की कई सर्जरियाँ। और ड्रग्स और बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार। एक लंबी फेहरिस्त है। इससे मिलकर बनता है किंग ऑफ पॉप। आइकान आफ द मॉडर्न यूथ।

इसी फेहरिस्त के साथ कुछ और चीजें भी जुड़ी हुई हैं। एक उन्माद। उन्हें नाचते देखकर चीखने और चिल्लाने का। एक उत्तेजना, उसकी कमर की बलखाती और बिजली की तरह कौंधती लयात्मक हरकतें। इसे आप उस उद्दाम कामोत्तेजना से भी जोड़ सकते हैं जिसका पॉप म्यूजिक और नशे से गहरा संबंध है।

यहाँ पर उनके कुछ गीतों को याद किया जा सकता है यथा -आई वॉंट यू बैक, शेक यूअर बॉडी, कैन यू फील इट, डोंट स्टॉप टिल यू गेट इनफ। ये सब चीजें मिलकर माइकल जैक्सन को सिर्फ ऐतिहासिक सेलिब्रिटी ही नहीं बनाती, उन्हें सबसे चमकीला आइकान ही नहीं बनाती बल्कि एक ऐसा चेहरा भी बनाती हैं जिसके जरिये हमारे समय की भवावह बीमारियाँ भी अभिव्यक्त होती रही हैं।

माइकल जैक्सन का प्रतिबिम्ब हमारे समय का प्रतिबिम्ब है। हमारे समय के उन्माद, उत्तेजना और सनसनी का प्रतिबिम्ब भी है। यह आकस्मिक नहीं है कि वे जब भी अपने चेहरे को आईने में देखते अपने को बीमार महसूस करते। यह भी आकस्मिक नहीं है कि बीमारियों से बचने के लिए उन्होंने कई जतन किए। अपने चेहरे को कई तरह से ढाँका, अपने हाथों में हमेशा दस्ताने पहने।

चाहें तो इसे मन की बीमारी से भी जोड़ा जा सकता है। और यह उस बात का भी एक बड़ा प्रतीक है कि कैसे पॉप कल्चर एक व्यक्ति की निर्दोषपन और बचपन को, रंग के जरिये बनी पहचान को भी नष्ट-भ्रष्ट करता है। और अंततः उसे कितना अकेला कर देता है।

  माइकल जैक्सन का प्रतिबिम्ब हमारे समय का प्रतिबिम्ब है। हमारे समय के उन्माद, उत्तेजना और सनसनी का प्रतिबिम्ब भी है। यह आकस्मिक नहीं है कि वे जब भी अपने चेहरे को आईने में देखते अपने को बीमार महसूस करते।      
कितनी ही ऐसी कहानियाँ हैं कि चकाचौंध, शोहरत और पैसे के रूतबे के बीच कैसे एक कलाकार तन्हाई में रोता है। माइकल जैक्सन इससे अलग नहीं है। उनके बारे में कहा जाता है कि वे सिर्फ स्टेज पर माइकल जैक्सन होते हैं। अपनी कला का जलवा बिखरते हुए। पूरे आत्मविश्वास के साथ, अपनी कला के नए आयामों को खोजते हुए। लगातार प्रयोग करते हुए।

लेकिन स्टेज से उतरते ही जीवन में वे सबसे छिपने की कोशिश करते जान पड़ते हैं। विन्फ्रे ओपेराह को इंटरव्यू देते हुए तो वे अपने बचपन में यौनाचार को याद कर रो पड़े थे। यह किसी भी कलाकार का सबसे त्रासद पहलू है।

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