Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मदनमोहन जोशी, भाषा का जादूगर

हमें फॉलो करें मदनमोहन जोशी, भाषा का जादूगर
, बुधवार, 8 अक्टूबर 2014 (14:28 IST)
मदनमोहन जोशी! यह नाम इतना ही लिख देना काफी है। पत्रकारिता और समाजसेवा के क्षेत्र में लोग एकदम जान जाते हैं कि कौन है यह शख्स। कहने का मतलब यह है कि मदनमोहन जोशी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।

मध्यप्रदेश की हिन्दी पत्रकारिता में वे साहित्य के क्षेत्र से आए। इसके पहले वे प्राध्यापक भी रहे। आज वे प्रदेश में ही नहीं, पूरे देश में जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र, भोपाल के संस्थापक-अध्यक्ष के रूप में पहचाने जाते हैं।

बीती सदी के 80 के दशक में जब वे अविभाजित नईदुनिया, भोपाल के ब्यूरो प्रमुख थे तब 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी ने उन्हें झकझोरकर रख दिया था। इस त्रासदी के नतीजे में गैस पीड़ितों में कैंसर होने की आशंकाएं थीं। तभी उन्होंने जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र की स्थापना का संकल्प ले लिया था। यह उन्होंने पूरा भी किया।

उनके बारे में अनेक लोग कहते हैं- एक वे 'मदनमोहन' थे और एक ये हैं। 'एक वे' यानी मदनमोहन मालवीय और 'एक ये' यानी मदन मोहन जोशी। मालवीयजी ने काशी में हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की। ये दोनों ही पत्रकार। इन दोनों ने ही अपनी चेतना को लोक कल्याण की दिशा में मोड़ दिया। श्री जोशी ने हिन्दी पत्रकारिता में नई भाषा, नए मुहावरे और नई लोकोक्तियां और कहावतें गढ़ीं।

पत्रकारिता में उनकी कलम का जादू भी लोगों पर ऐसा चला, जैसा हिन्दी फिल्मों के महानायक अमिताभ बच्चन का। उनके कई मुरीद उन्हें पत्रकारिता का 'अमिताभ बच्चन' की कहते हैं। हमेशा एवरग्रीन। बीते दिसंबर माह में उनके चर्चित लेखों का संकलन 'सुर्खियों के इर्द-गिर्द' और 'राजनीति क्षेत्रे-कुरुक्षेत्रे' का प्रकाशन किया गया। इनके प्रकाशन में संपादन सहयोग का मौका मुझे मिला।

श्री जोशी ने पत्रकारिता की शुरुआत 1956 में की। नवभारत, एमपी क्रॉनिकल (अंग्रेजी) में 1960 तक सेवारत रहे। 1961 में मदन मोहन जोशी देश की प्रमुख न्यूज एवं फीचर एजेंसी इन्फा के मध्यप्रदेश संवाददाता नियुक्त हुए। हिन्दी और अंग्रेजी में लगातार 20 सालों तक स्तंभों का अनवरत लेखन उन्होंने किया। फीचर लेखन को नया रूपाकार दिया।

श्री जोशी 1980 में नईदुनिया में भोपाल ब्यूरो प्रमुख की हैसियत से आए थे। आप इसके स्थानीय संपादक और संपादक बने। श्री जोशी के अब तक 5 हजार से ज्यादा लेख प्रकाशित हो चुके हैं। एक दर्जन से ज्यादा पुस्तकों में 'बस्तर : इंडियाज स्लीपिंग जाइंट' (अंग्रेजी), निबंध संग्रह- संगम, पटिया-परिकथा तथा कतरनें ‍चर्चित हुईं। अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से मदन मोहन जोशी को नवाजा गया।
(मीडिया विमर्श में साकेत दुबे)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi