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गर्मी में सूखी नदी, बर्बाद हुए हजारों किसान

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जीतेन्द्र वर्मा

, रविवार, 16 अप्रैल 2017 (17:40 IST)
होशंगाबाद। प्रदेश ही नहीं, देश में मशहूर तवा नदी के रसीले तरबूज-खरबूज इस बार लोगों का गला तर नही कर पाएंगे। गर्मी के तेवर 43 फैरी पर हो गए हैं। तपन में तवा नदी सुख गई है। जिस कारण बांद्राभान रायपुर घानाबड़ के हजारों किसानों की तरबूज-खरबूज और सब्जियों की खेती सूख गई है।
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किसान बर्बाद हो गए हैं, उनके पास कुछ नहीं बचा है। डंगरबाड़ी लगाकर ही इन किसानों का सालभर जीवन-यापन होता था।  नदी का जलस्तर इतना नीचे चला गया की नदी एक किलोमीटर चौड़े किनारे में पानी ख़त्म हो गया। इस कारण नदी की रेत में लगने वाली तरबूज खरबजों और सब्जियों की फसल सूख गई। इससे हजारों किसान बर्बाद हो गए हैं। किसानों के पास कोई रोजगार नहीं बचा है। 
 
कर्ज लेकर फसल लगाने वाले किसान साहूकारों के कर्जदार हो गए है। तवा नदी नर्मदा नदी की प्रमुख सहायक नदी है।

तवा नदी और नर्मदा नदी के किनारे बड़े पैमाने पर तरबूज-खरबुजों की डंगरबाड़ी लगाई जाती है। यह फसल नदी की नमी से रेट में पनपती है। नदी का जस्त्र कम होने से ऊपरी सतह की नमी खत्म हो गई है। रेत पर क्यारियां बनाकर लगाई गई फसल सुख गई।  

30 प्रतिशत लागत भी नहीं निकली :  तवा नदी में बांद्राभान रायपुर इलाके के किसानों की हालत खराब हो गई है। किसानों ने जितनी लागत लगाकर डंगरबड़ी लगाई थी, उसका तीस प्रतिशत राशि भी नहीं निकल पाई है। 15 प्रतिशत पर लिया किसानों ने कर्ज बांद्राभान के किसान गंगाराम ने बताया कि फसल खराब होने से किसान कर्जे में आ गया है। डंगरबाड़ी लगाने के लिए साहूकारों से 15 प्रतिशत प्रति सैकड़ा ब्याज पर रकम ली है। फसल नहीं निकलने के कारण कर्ज वापस करना संभव नहीं है।

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