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बुंदेलखंड बनेगा भारतीय टूरिज्म का हब....

विंध्य क्षेत्र के अनूठे सौन्दर्य को निहारेंगे विदेशी सैलानी

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शौर्य एवं साहस के प्रतीक महोबा के चंदेल शासकों, आल्हा-ऊदल, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई आदि की कर्मस्थली रहा बुंदेलखंड भारतीय टूरिज्म का हब बनेगा। यहां पर्यटन के लिए आने वाले देशी-विदेशी सैलानी विश्व प्रसिद्ध खजुराहो के शिल्प सौन्दर्य के अलावा अब समूचे विंध्य क्षेत्र में बिखरी लोककला संस्कृति तथा साहित्य से भी रूबरू होंगे।

पर्यटकों को एक ओर जहां खजुराहो के देवालयों के निर्माता चंदेल शासकों के गौरवशाली अतीत की अक्षुण्य स्मृतियों एवं पुरातात्विक महत्व की ऐतिहासिक धरोहरों से बाबस्ता होने का मौका मिलेगा। वहीं दूसरी ओर वे विंध्य क्षेत्र को प्रकृति प्रदत्त अद्भुत और अनूठे सौन्दर्य को निकटता से निहारने का अवसर भी प्राप्त कर सकेंगे।

बुंदेलखंड में पर्यटन विकास के लिए नोडल एजेन्सी नेल्सन द्वारा राज्य सरकार को प्रस्तुत प्रस्तावों पर गौर करें तो आगामी पांच वर्षों में सत्तर फीसदी तक पूर्णता के बाद इलाके की तस्वीर बदली हुई नजर आएगी।

प्राकृतिक आपदाओं से ग्रसित होकर एक दशक में तबाही और बर्बादी का दंश झेलने वाला उत्तर भारत का यह क्षेत्र पर्यटन के लिए आकर्षक साज सज्जा के बाद बदले रंग-रूप में लोगों के सामने होगा। सूखाजनित कारणों से कर्ज, भूख और गरीबी के चलते मौत की राह पकडे़ बुंदेलों की न सिर्फ अलग पहचान बनेगी बल्कि वे विकास के नए आयामों को तय करने की दिशा में प्रतिबद्ध होंगे और अपनी विरासत के बल पर रोजगार अर्जन भी कर सकेंगे।

पर्यटन विकास के इस क्रम में यहां चित्रकूट और ओरछा का धार्मिक पर्यटन जहां विस्तार पाएगा, वहीं झांसी, महोबा, कालिंजर का वीरोचित इतिहास और उससे जुडी़ ऐतिहासिक धरोहरें लोगों को अभिभूत करेंगी।

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चित्रकूट धाम मण्डल के पर्यटन सूचना अधिकारी राजेश कुमार भारती बताते है कि बुंदेलखंड का टूरिज्म मास्टर प्लान तैयार करने वाली कन्सलटेंट कम्पनी नेल्सन ने बुंदेलखंड पर्यटन परिपथ में यूं तो करीब 30 ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व की स्मारकों को पर्यटन विकास के लिए चयनित किया है, परंतु इनमें महोबा जिले के लगभग डेढ दर्जन स्थानों को प्रमुखता दी गई है।

जिन्हें सूक्ष्म प्रयासों के बाद पर्यटकों के खास आकर्षण का केन्द्र बनाया जा सकेगा। इनमें विजयसागर पक्षी विहार, कीरत सागर, मोहन सिंह की गढी, मदन सागर, गोखारगिरी, रहेलिया का सूर्य मंदिर, खकरामठ, चरखारी की झीलें तथा श्रीनगर की गढी़ आदि शामिल है।

राज्य सरकार ने इस पर अपनी स्वीकृति भी प्रदान कर दी है। शीघ्र ही बजट आवंटन के साथ ही इन स्थलों को विकसित कर पर्यटन के योग्य बनाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी।

भारती ने बताया कि बुंदेलखंड पर्यटन परिपथ संबंधी प्रस्ताव को केन्द्र सरकार को प्रेषित किया जा चुका है। इसे मंजूरी मिलते ही बुंदेलखंड के सभी पर्यटक स्थलों को एक-दूसरे से जोड़ने का कार्य आरंभ होगा।

महोबा की जिलाधिकारी डॉ. काजल के मुताबिक बुंदेलखंड पर्यटन परिपथ का केन्द्र बिन्दु महोबा को बनाकर जिला प्रशासन द्वारा यहां पर्यटन विकास की योजनाओं पर तीव्र गति से कार्य आरंभ कराया जा चुका है।

इसके तहत यहां संग्रहालय, शूटिंग रेंज की स्थापना सहित विभिन्न परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है। पर्यटक स्थलों तक सड़क सम्पर्क मार्गों की स्थापना तथा अन्य आकर्षक सुविधाओं के विकास के लिए प्राप्त हो रहे बजट के अनुरूप कार्रवाई शीघ्र सम्पादित करने के नोडल एजेन्सियों को निर्देश दिए गए है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी पांच वर्षों में परियोजनाओं के आधे से अधिक पूरा होने के बाद यहां की तस्वीर बदलेगी और क्षेत्र के विकास का नया अध्याय शुरू होगा। (वार्ता)

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