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जूलियट के 'बुत' के नाम प्रेम पीड़ितों के पत्र

हमें फॉलो करें जूलियट के 'बुत' के नाम प्रेम पीड़ितों के पत्र
जानता हूँ कहने को
वो एक बुत ही ठहरा
पर क्या करूँ, कि
मुहब्बत के रास्ते
पर है घना कोहरा।

इसलिए धुँधलाती नजरों से
लिख दिया है हाले दिल...
सुना है प्रेम डाल देता है
मुर्दों में जान

कोई तो होगा जो देगा
मेरी फरियाद पे ध्यान
क्योंकि खुदा ने दे डाला है
धड़कता दिल सबको

तो छू ही लेगा मेरा खत
उसकी धड़कन को
इसी उम्मीद पे
करता हूँ इंतजार
जवाब आएगा,
कहता है मन बार-बार

जी हाँ... ये कोई निरी कविता भर नहीं है। एक सचाई है... जिस पर लोग अटूट विश्वास करते हैं। ये विश्वास है शेक्सपियर की अनुपम कृति रोमियो-जूलियट की प्रेम दास्तान से जुड़ा। इसी विश्वास के बूते पर दुनिया भर के प्रेम पीड़ित जूलियट के 'बुत' के नाम पत्र लिखते हैं और उनके जवाब भी पाते हैं। है ना आश्चर्य...लेकिन यही तो हम मनुष्यों के धड़कते उस नन्हे दिल के जिंदा होने का सबूत भी है।

'प्रिय जूलियट... तुम ही मेरी आखिरी आशा हो। वो लड़की जिसे मैं विश्व में सबसे ज्यादा प्यार करता था, मुझे छोड़कर चली गई है...।' यह उन तमाम पत्रों में से एक है, जो इटली के वेरोना स्थित पोस्ट ऑफिस में जूलियट के नाम आते हैं और जिन पर पते के स्थान पर केवल इतना लिखा होता है... 'टू जूलियट वेरोना।' इतने संक्षिप्त पते के बावजूद चिट्ठियाँ वहाँ पहुँच ही जाती हैं, जहाँ उन्हें पहुँचना चाहिए, यानी जूलियट के पास। ठीक पहचाना आपने, यह वही जूलियट है... विश्वविख्यात रचनाकार शेक्सपियर की अमर कृति रोमियो-जूलियट की नायिका। मगर, वह तो एक काल्पनिक पात्र है।


फिर उसके नाम पत्र? ऐसा कैसे हो सकता है भला, तो जनाब आश्चर्यचकित होने की जरूरत नहीं है। प्रेम में जब व्यक्ति को खोने का अहसास होता है, तो वह उसे प्राप्त करने हेतु कोई कसर नहीं रहने देना चाहता। जूलियट तो फिर भी एक अमर हस्ती है, भले ही काल्पनिक हीक्यों न हो। दरअसल वेरोना दुनिया की शायद एकमात्र जगह है, जिसे प्रेम नगरी कहा जाता है। स्मरण रहे कि वेरोना उस नगर का नाम है, जिसे शेक्सपियर ने अपनी रचना रोमियो-जूलियट की पृष्ठभूमि बनाया था। यहाँ की प्रत्येक चीज रोमियो-जूलिएट को समर्पित है। इस खूबसूरत नगरी को देखने विश्वभर से वर्षभर लगभग पाँच लाख पर्यटक यहाँ आते हैं।

यहाँ पर एक दरगाह है, जिसके बारे में माना जाता है कि वह जूलियट का मकबरा है एवं यहाँ पर लगी जूलियट की कांस्य प्रतिमा को छूकर लोग अपने प्रेम हेतु मन्नतें माँगते हैं। बहुत से लोग अपनी अर्जियाँ यहाँ की चाहरदीवारी पर च्यूइंगम से चिपका जाते हैं। यह एक मिथ है, फिर भी लोगों को इस पर अटूट विश्वास है। इस विश्वास को बनाए रखने का श्रेय जाता है, वेरोना स्थित जूलियट क्लब को, जिन्होंने जूलियट को मिलने वाले इन बेशुमार पत्रों को आदर देने का संकल्प लिया हुआ है।

डाकिया प्रतिदिन पत्रों का पैकेट यहाँ पहुँचा देता है। क्लब के सदस्य इन पत्रों को पढ़ते हैं और उनके जवाब लिखने में जुट जाते हैं। वे जानते हैं कि उनके पत्र लिखने से उन प्रेमियों की समस्याओं का समाधान नहीं होने वाला, पर उन्हें यह भी मालूम है कि डूबते को तिनके का सहारा ही काफी होता है। इस लिहाज से 'जूलियट' का पत्र पाकर प्रेम में निराश व्यक्ति को कुछ तो सहारा मिलेगा ही। लगभग साढ़े तीन दशक पुराने इस क्लब का काम सरल नहीं है। विश्व के अलग-अलग हिस्सों से अलग-अलग भाषाओं में भिन्न-भिन्न तरह की समस्याओं से भरे पत्र इनके पास आते हैं, जिनका जवाब देने हेतु एक ऐसी टीम मौजूद है, जिसमें अनेक अनुवादक, मनोविज्ञानी आदि शामिल हैं।

पिछले दिनों गोआ में 'प्रेम की संस्कृति' विषय पर आयोजित एक राष्ट्रीय सेमिनार के दौरान इस जूलियट क्लब के अध्यक्ष ग्यूलियो ने एक चर्चा में इस लेखक को बताया था कि जूलियट क्लब को मिलने वाले ज्यादातर पत्र प्रेम का इजहार न कर पाने, दिल टूटने, साथी की तलाश जैसी कठिनाइयों के बारे में बताते हैं और इस ट्रेंड की ओर इशारा करते हैं कि अब लोग पहले से ज्यादा एकाकी और असुरक्षित महसूस करते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि पत्र लिखने वाले चाहे पुरुष हों या महिलाएँ, अधिकतर सभी जूलियट को ही पत्र लिखते हैं। रोमियो के नाम संदेश भेजने वालों की संख्या इनकी दस फीसदी भी नहीं है। यह भी कहते हैं कि वेरोना को अपनी कथा की पृष्ठभूमि बनाने वाले शेक्सपियर कभी इटली गए ही नहीं थे।

उन्होंने रोमियो-जुलियट को लिखते समय आर्थर ब्रुक की एक कविता को अपनी कहानी का आधार बनाया था, जो तीस वर्ष पहले प्रकाशित हुई थी, परंतु आस्था और तर्क में 36 का आँकड़ा हमेशा से रहता आया है। इसलिए प्रेमियों को इससे कोई लेना-देना नहीं है। उनके लिए वेरोना एक तीर्थ है एवं जूलियट प्रेम की एक देवी है, जो उनकी मनोकामना पूर्ण कर सकने में सक्षम है। यह विश्वास बना है, क्योंकि प्रेम पर विश्वास खत्म नहीं हुआ है।

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